मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक विदिशा लोकसभा क्षेत्र (Vidisha Lok Sabha Seat) पर पूरे देश की नजर रहती है. नजर रहे भी क्यों न, यहां से अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह चौहान जैसे बड़े नेता चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं. भाजपा का गढ़ रही इस सीट पर 1989 के बाद से लगातार बीजेपी ने ही अपना परचम लहराया है. इस बार पार्टी ने सांसद रमाकांत भार्गव की जगह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा को टिकट दिया है. यहां तीसरे चरण में 7 मई को वोट डाले जाएंगे. चलिए आपको आज इस सीट का इतिहास बताते हैं साथ ही बताते हैं कि इसबार का चुनावी समीकरण क्या है और प्रताप भानु शर्मा कौन हैं जिन्हें कांग्रेस ने शिवराज सिंह के खिलाफ टिकट दिया है.
विदिशा से लगातार 5 बार जीत चुके हैं शिवराज (Shivraj Singh Chouhan)
विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने जब 17 साल से सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह मोहन यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया तो अटकलें तेज हो गई कि शीर्ष नेतृत्व उन्हें केंद्र में बुला सकती है. हालांकि शिवराज सिंह ने कहा था कि वे केंद्र में नहीं जाना चाहते, अपने प्रदेश में ही काम करेंगे. खबरें ये भी थी कि सीएम नहीं बनाए जाए के बाद क्या शिवराज सिंह चौहान के युग का अंत हो जाएगा. लेकिन भाजपा ने शिवराज सिंह को विदिशा से टिकट देकर अटकलों पर विराम दे दिया. विदिशा भाजपा की सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है. खुद शिवराज सिंह 1991 से लेकर 2004 तक यहां से लगातार 5 बार चुनाव जीते हैं. हालांकि दो दशकों के लंबे समय के बाद वे फिर से एक बार चुनावी मैदान में होंगे और अपना छठा संसदीय चुनाव लड़ेंगे. इस बार उनको टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा को मैदान में उतारा है.
कौन हैं प्रताप भानु शर्मा ( Who is Pratap Bhanu Sharma ? )
1967 से लेकर 2019 तक हुए चुनाव में सिर्फ 2 बार ही कांग्रेस विदिशा से जीत दर्ज करने में कामयाब हो पाई है. और जिस उम्मीदवार ने कांग्रेस को बैक टू बैक 1980 और 1984 में जीत दिलाई उनका ही नाम प्रताप भानु शर्मा है. विदिशा के ही रहने वाले भानु प्रताप का जन्म 1947 में हुआ था. प्रताप भानु शर्मा ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और बड़े उद्योगपति भी रहे हैं. इसके अलावा प्रताप भानु शर्मा 1975-1976 के बीच कांग्रेस की तरफ से जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और जिला लघु उद्योग संगठन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. आखिरी बार 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी से भानु प्रताप करीब 1 लाख वोटों से चुनाव हार गए थे. एक बार फिर वे चुनावी मैदान में हैं और सामने हैं विदिशा से लगातार 5 बार जीत दर्ज कर चुके शिवराज सिंह चौहान.
2019 में किसने मारी थी बाजी
2019 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार रमाकांत यादव 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे. उनको 853,022 (68.23%) वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल को 3,49,938 (27.99%) वोट मिले थे. तीसरे नंबर बसपा के गीतावली अहरिवार को केवल 14,409 वोट ही मिले थे.
दो पार्टी के बीच ही होती रही है लड़ाई
इस सीट पर हमेशा से 2 पार्टियों के बीच ही लड़ाई देखने को मिली है. और कई बार जीतने वाले उम्मीदवार को दोगुना या इससे ज्यादा वोट मिले हैं. बात अगर 2009 लोकसभा की करें तो सुषमा स्वराज को रिकॉर्ड 4,38,235 (78.80 % ) वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे सपा के उम्मीदवार को केवल 48,391 वोट (8.70 %) वोटों से ही संतोष करना पड़ा था.
सीट का जातीय समीकरण और विधानसभा सीटें
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार विदिशा लोकसभा सीट के अंतर्गत 2014 में कुल 16,34,370 मतदाता थे. 2019 चुनाव की बात करें तो 12 लाख 51 हजार 13 मतदाताओं (71.83 %) ने वोट किया था. यहां 18.68 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के और 5.84 अनुसूचित जनजाति के हैं. हालांकि यहां की जनता ने दिल खोलकर हमेशा भाजपा को ही वोट किया है. विदिशा लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की 8 सीटें आती हैं- विदिशा, भोजपुर, सिलवनी,इच्छावर, बुधनी, सांची, खाटेगांव और बासौदा.
सीट का इतिहास, कब किसे मिली जीत
1967: पंडित शिव शर्मा, भारतीय जनसंघ
1971: रामनाथ गोयनका, भारतीय जनसंघ
1977: राघव जी, जनता पार्टी
1980: प्रताप भानु शर्मा, कांग्रेस
1984: प्रताप भानु शर्मा, कांग्रेस
1989: राघव जी, भाजपा
1991: अटल बिहारी वाजपेयी, भाजपा
1996: शिवराज सिंह चौहान, भाजपा
1998: शिवराज सिंह चौहान, भाजपा
1999: शिवराज सिंह चौहान, भाजपा
2004: शिवराज सिंह चौहान,भाजपा
2006: रामपाल सिंह,भाजपा
2009 : सुषमा स्वराज,भाजपा
2014: सुषमा स्वराज,भाजपा
2019: रामाकांत भार्गव,भाजपा