UP Assembly Election 2022: मोदी लहर में भी इन सीटों पर नहीं जीत पाई थी BJP, अखिलेश की क्या है रणनीति?

Uttar Pradesh Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो चरणों की वोटिंग बाकी है. इन चरणों में पूर्वांचल में वोटिंग होनी है. 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था, लेकिन आजमगढ़ और जौनपुर में विपक्ष को जीत हासिल हुई थी. इस बार एसपी-एसबीएसपी गठबंधन और बीजेपी-निषाद पार्टी समीकरण से चुनाव दिलचस्प हो गया है.

अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 4:50 PM IST
  • आजमगढ़, जौनपुर में बीजेपी को मिली थी मात
  • 2017 में आजमगढ़ में सिर्फ एक सीट पर मिली थी जीत
  • जौनपुर में सिर्फ 4 सीटों पर मिली थी जीत

UP Assembly Election 2022: यूपी चुनाव फाइल राउंड में पहुंच गया है. दो चरणों की 111 सीटों पर वोटिंग बाकी है. ट्रेंड के मुताबिक इन सीटों पर जो बाजी मारता है, सरकार उसकी ही बनती है. साल 2007 में बीएसपी, साल 2012 में एसपी और साल 2017 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. भले ही बीजेपी ने सरकार बना ली थी, लेकिन आजमगढ़ और जौनपुर में बीजेपी कब्जा नहीं कर पाई थी. इन जिलों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था.

आजमगढ़ में चुनौती-
जहां तक आजमगढ़ जिले की बात है तो साल 2017 में बीजेपी सिर्फ खाता खोल पाई थी. जिले की 10 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में भी आजमगढ़ में बीजेपी को हार मिली थी. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जीते थे. जिले में यादव और मुस्लिम समीकरण फिट बैठता है. इस बार अखिलेश यादव के समर्थन में एसबीएसपी का भी तड़का है.

जौनपुर में विपक्ष ने मारी थी बाजी-
पिछले विधानसभा चुनाव में जौनपुर में बीजेपी को 9 में से सिर्फ 4 सीटों पर जीत मिली थी. जिले में तीन विधायक एसपी और एक विधायक बीएसपी का था. लोकसभा चुनाव 2019 में भी बीजेपी को हार मिली थी. ये सीट बीएसपी की झोली में गई थी. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने लोकसभा चुनाव में लालगंज और घोसी सीट पर भी कब्जा किया था.

इसके अलावा गाजीपुर की जंगीपुर, गोरखपुर की चिल्लूपार, देवरिया की भाटपार रानी, बलिया की बांसडीह, मऊ सदर विधानसभा और भदोही की ज्ञानपुर सीट पर अब तक बीजेपी का खाता नहीं खुला है.

अखिलेश यादव की सोशल इंजीनियरिंग-
पूर्वांचल में अपना दल, एसबीएसपी, निषाद पार्टी जैसे छोटे दलों का अच्छा-खासा प्रभाव है. 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने छोटे दलों के साथ लेकर बड़ी जीत हासिल की थी. इस बार समाजवादी पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया है. पूर्वांचल की दो दर्जन से अधिक सीटों पर प्रभाव रखने वाले ओमप्रकाश राजभर की एसबीएसपी ने साइकिल से गठबंधन किया है. अखिलेश यादव ने इस बार एमवाई समीकरण में राजभर को भी जोड़ लिया है. इसके साथ ही अपना दल कमेरावादी को भी गठबंधन में जगह दिया है. अखिलेश यादव इसी सोशल इंजीनिरिंग फॉर्मूले के भरोसे मैदान मारने की फिराक में हैं. 

काम आएगा बीजेपी का MY समीकरण-
बीजेपी ने इस बार ओमप्रकाश राजभर का साथ छोड़ दिया है. लेकिन डॉ. संजय निषाद की निषाद पार्टी से हाथ मिलाया है. पूर्वांचल के कई इलाकों में निषाद वोटर एक बड़ी ताकत हैं. इसके अलावा बीजेपी भी एमवाई समीकरण के भरोसे है. एम मतलब मोदी और वाई यानी योगी. छठे चरण में योगी के गढ़ गोरखपुर और आसपास की 57 सीटों पर वोटिंग होगी. जबकि सातवें चरण में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आसपास की 54 सीटों पर वोटिंग होगी.

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