बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह बिहार पहुंचे हैं. पटना में गृह मंत्री अमित शाह ने सहकारिता और संबंधित विभागों के तहत कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया. इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे.
सभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में बिहार को जंगल राज में बदल दिया था. इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ का जिक्र किया.
नीतीश कुमार ने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया. सीएम नीतीश कुमार ने जिस सियासी घटनाक्रम का जिक्र किया है. आइए बिहार के इस सियासी किस्से के बारे में जानते हैं.
वाजपेयी ने बनाया CM
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में सभा को संबोधित करते हुए कहा, दो बार गलती हो गई. अब इधर-उधर नहीं होगा. नीतीश कुमार ने कहा कि मुझे सीएम किसने बनाया. अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया था. हमने बहुत काम किए हैं. कब्रिस्तान को लेकर हिन्दू-मुसलमान में लड़ाई होती थी. हमने बाड़बंदी की.
लालू के शासन का अंत
नीतीश कुमार ने सभा में 2005 का जिक्र किया. इसी साल नीतीश कुमार दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले नीतीश कुमार 2000 में सिर्फ 7 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे. फरवरी 2005 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए. बीजेपी और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा. राजद ने सबसे ज्यादा 75 सीटों पर जीत हासिल की. जदयू ने 55 और बीजेपी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की.
एनडीए की राजद से ज्यादा सीटें आईं थीं लेकिन जनता ने किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं दिया था. इस घटनाक्रम का जिक्र संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब बिहारी ब्रदर्स में किया है. नीतीश कुमार ने बीजेपी नेता अरुण जेटली से कहा, लोग लालू की एवजी शासन-प्रणाली से निजात पाना चाहते थे लेकिन उनके स्पष्ट नहीं बताया गया था कि कौन उनकी जगह लेगा?
अरुण जेटली बिहार में एनडीए की सरकार बनाना चाहते थे. निर्दलीय विधायक इतनी जल्दी बिहार में चुनाव नहीं चाहते थे. अरुण जेटली ने लोजपा और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाने की भरसक प्रयास किया. आखिर में बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह ने विधानसभा भंग कर राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी. हालांकि, नीतीश कुमार भी ऐसी सरकार बनाने के पक्ष में नहीं थे.
लालू के सामने कौन?
नीतीश कुमार फिर से बिहार में चुनाव की तैयारी में लग गए. नीतीश कुमार राज्य में न्याय यात्रा में निकल पड़े. बीजेपी और जदयू एक बार फिर से मिलकर चुनाव लड़ रहे थे. संकर्षण ठाकुर की बिहारी ब्रदर्स के अनुसार, लोग लालू को हराना चाहते हैं कि लेकिन वे ये भी जानना चाहते हैं कि लालू के बाद कौन आएगा? अरुण जेटली नीतीश कुमार की बात समझ गए.
अरुण जेटली ने नीतीश कुमार का संदेश बीजेपी नेतृत्व तक पहुंचा दिया. अटल बिहारी वाजपेयी और प्रमोद महाजन नीतीश कुमार की इस बात पर सहमत थे. राष्ट्रपति शासन के 6 महीने बाद बिहार में चुनाव का बिगुल बज गया. एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री के लिए नीतीश कुमार के नाम की घोषणा की जानी थी.
नाटकीय मोड़
चुनाव अभियान शुरू होने से पहले अटल बिहारी वाजपेयी को नीतीश कुमार के नाम का औपचारिक ऐलान करना था. इसको लेकर नाटकीय मोड़ सामने आया. इसका जिक्र बिहारी ब्रदर्स किताब में है. ये तय किया गया कि भागलपुर में अटल विहारी वाजपेयी चुनावी भाषण देंगे. इसी दौरान उनके सहयोगी एक पर्ची देंगे और वाजपेयी जी नीतीश कुमार के नाम की घोषणा कर देंगे.
तय स्क्रिप्ट के तहत भागलपुर में अटल बिहारी वाजपेयी ने भाषण दिया. इस बीच उनके सहयोगी अश्विनी वैष्णव ने एक पर्ची दी. अटल बिहारी वाजपेयी ने पर्ची पर दस्तखत तो कर दिए लेकिन मंच से नीतीश कुमार के नाम की घोषणा नहीं की. आनन-फानन में इसको लेकर एनडीए की मीटिंग हुई. अंत में अगले दिन बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के नाम की घोषणा कर दी.
अंतिम मुहर
सुशील मोदी की घोषणा के बाद एक बार फिर एक नाटकीय मोड़ आ गया. जॉर्ज फर्नांडिस ने बयान दिया कि भावी मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश ने नाम का ऐलान, बीजेपी ने किया होगा, जेडीयू ने नहीं किया है. इस बयान के बाद अरुण जेटली दौड़े-दौड़े जॉर्ज फर्नांडिस के पास पहुंचे. दोनों के बीच जमकर बहस हुई. आखिर में जॉर्ज फर्नांडिस नीतीश कुमार के नाम पर राजी हो गए.
अगले दिन पटना में जॉर्ज फर्नांडिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. इस तरह जदयू ने भी भावी मुख्यमंत्री के लिए नीतीश कुमार की मुहर लगा दी. नवंबर 2005 में बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए. एनडीए ने लालू-राबड़ी के शासन का अंत कर दिया. जेडीयू की सबसे ज्यादा 88 सीटें आईं और बीजेपी ने 55 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं राजद सिर्फ 54 सीटें हासिल कर सकी. इस तरह नीतीश कुमार 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने.