दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Election Result 2025) में बीजेपी (BJP) की बड़ी जीत हुई है. भाजपा ने 48 सीटें जीती और आप (AAP) 22 सीटों पर सिमट गई है. कांग्रेस (Congress) इस चुनाव में भी खाता नहीं खोल पाई. लगातार तीन चुनावों से जीत रही आप की सत्ता से विदाई हुई है.
दिल्ली भगवामय हो गई है. बीजेपी ने कांग्रेस के बड़े-बड़े महारथी को हरा दिया है. अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) समेत मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और सत्येन्द्र जैन (Satyendra Jain) समेत कई धुरंधरों को हार का सामना करना पड़ा.
दिल्ली का ये चुनाव काफी कड़ा रहा. आप और बीजेपी ने जमकर टक्कर दी. चुनाव से पहले कई नेताओं ने दल भी बदले. आप के कई नेता बीजेपी और कांग्रेस में गए. वहीं दूसरे दलों के नेता आम आदमी पार्टी में भी आए. दिल्ली चुनाव में इन दलबदलुओं का क्या हाल रहा? इस बारे में जानते हैं.
आखिरी बार दिल्ली में भाजपा की सरकार 1993 में आई थी. बीजेपी की वो सरकार 1998 तक रही थी. यह जीत 1998 में सरकार जाने के बाद 27 साल बाद हासिल हुई. इस जीच में न सिर्फ बीजेपी के जमीन से जुड़े नेताओं का योगदान रहा बल्कि अलग-अलग पार्टियों से आए नेताओं ने भी खूब वोट बटोरे.
BJP में आए नेता
अरविंदर सिंह लवली शीला सरकार में 2003 से लेकर 2013 तक मंत्री रहे थे. कांग्रेस के दिग्गज माने जाने वाले अरविंदर सिंह लवली को कांग्रेस ने दो बार प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया. 2024 में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लवली बीजेपी में चले गए. अरविंदर सिंह लवली ने इस बार गांधीनगर की अपनी परंपरागत सीट पर बड़ी जीत हासिल की है.
राजकुमार चौहान भी शीला दीक्षित सरकार में दो बार मंत्री रहे. अरविंदर सिंह लवली के साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ी और बीजेपी में शामिल हो गए. आम आदमी पार्टी की राखी बिड़ला से दो बार चुनाव हारे. इस बार उन्होंने मंगोलपुरी में बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की है.
कैलाश गहलोत
आम आदमी पार्टी सरकार में कुछ महीने पहले तक मंत्री रहे कैलाश गहलोत ने बिजवासन विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. कैलाश गहलोत ने वहां से जीते भी हासिल की. कैलाश गहलोत ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी छोड़ी थी. इसका इनाम बीजेपी ने उनकी मनपसंद सीट बिजवासन से टिकट देकर दिया था.
नई दिल्ली की कस्तूरबा नगर सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए नीरज बसोया को टिकट दिया. नीरज इसी सीट से पहले कांग्रेस की टिकट पर 2008 में विधायक बने थे. पिछले दो चुनावों में कांग्रेस उनके ऊपर अभिषेक दत्त को तरजीह दे रही थी. यही वजह नीरज बसोया के पार्टी छोड़ने की भी रही. नीरज ने अभिषेक दत्त को कड़े मुकाबले में हराया.
तरविंदर सिंह मारवाह
मारवाह तीन बार कांग्रेस के टिकट पर जंगपुरा से चुनाव लड़े. इस बार उन्होंने बीजेपी की तरफ पाला बदला. तरविंदर सिंह मारवाह ने आम आदमी पार्टी के हैवीवेट मनीष सिसोदिया को चुनाव हराया. जब शीला दीक्षित मुख्यमंत्री हुआ करती थी तो मारवाह उनके संसदीय सचिव होते थे.
कभी दिल्ली में सिख पॉलिटिक्स में अकाली दल के जरिए सक्रिय रहने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा ने कुछ साल पहले बीजेपी का दामन थामा था. अकाली दल छोड़ने के बाद सिरसा को पार्टी में काफी महत्व भी मिला. इस बार राजौरी गार्डन से मनजिंदर सिंह सिरसा विधायक के तौर पर चुने गए हैं.
AAP में दल बदलू
बीजेपी में दूसरी पार्टियों से आए नेताओं ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है. वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गए कई नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा. किराड़ी विधानसभा सीट से भाजपा छोड़कर आम आदमी पार्टी में गए अनिल झा तो चुनाव जीत गए लेकिन बाकी नेता इतने लकी साबित नहीं हुए. कांग्रेस छोड़कर आए चौधरी जुबेर अहमद सीलमपुर से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत गए.
बीजेपी से आम आदमी पार्टी में गए बीबी त्यागी लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा से चुनाव हार गए. जितेंद्र सिंह शंटी ने भाजपा छोड़ी थी और आम आदमी पार्टी का दामन थामा था. इसके बाद उन्हें शाहदरा विधानसभा से टिकट भी दिया गया लेकिन वहां से बीजेपी के संजय गोयल के हाथों चुनाव हार गए.
कांग्रेस और फिर भाजपा में रहे सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू को आम आदमी पार्टी ने तिमारपुर से चुनाव लड़ाया लेकिन काफी करीबी मुकाबले में बीजेपी के सूर्य प्रकाश खत्री से चुनाव हार गए. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए मुकेश गोयल और विनय मिश्रा भी आदर्श नगर और द्वारका सीट से चुनाव हार गए हैं.
कांग्रेस में आए नेताओं का हाल
कांग्रेस में भी दूसरी पार्टी छोड़कर आए नेताओं का हाल बेहाल ही रहा. कांग्रेस वैसे भी पूरी दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत पाई. सीलमपुर से मौजूदा विधायक अब्दुल रहमान ने आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में वापसी की थी लेकिन वहां पर चुनाव हार गए.
आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में हाजी इशराक का भी कुछ यही हाल हुआ. वह भी बाबरपुर सीट से गोपाल राय के हाथों चुनाव में पराजित हुए. बिजवासन सीट पर आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए कर्नल देवेंद्र सहरावत को भी हर का मुंह देखना पड़ा.