Delhi Siyasi Kisse: 'मुझे नहीं चाहिए मुख्यमंत्री पद', जब परेशान होकर Sheila Dikshit ने Sonia Gandhi को भेजा इस्तीफा, फिर क्या हुआ, जानिए पूरा सियासी किस्सा

शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) लगातार तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री (Delhi CM) रहीं. शीला दीक्षित को कई बार अपनी ही पार्टी का विरोध झेलना पड़ा. एक बार तो शीला दीक्षित ने परेशान होकर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को इस्तीफा भेज दिया था.

When Sheila Dikshit Sent Resignation Letter (Photo Credit: Getty)
ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:24 PM IST
  • शीला 1998 में पहली बार सीएम बनीं
  • 2003 में शीला दीक्षित दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं

दिल्ली में चुनाव (Delhi Elections 2025) का माहौल है. आप (AAP) और बीजेपी (BJP) के बीच कड़ी टक्कर चल रही है. कांग्रेस (Congress) भी इस बार मैदान में है. दिल्ली में भाजपा सिर्फ एक बार सत्ता में रही. हालांकि, उस दौरान तीन मुख्यमंत्री रहे.

भाजपा के बाद कांग्रेस दिल्ली की सत्ता में आई. 1998 में शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) पहली बार मुख्यमंत्री बनीं. पार्टी के अंदर चल रहे भितरघात के बावजूद पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया. 2003 में कांग्रेस फिर से जीती और शीला दीक्षित दिल्ली की दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं.

कांग्रेस हाईकमान के आदेश के बाद भी दिल्ली में कांग्रेस और शीला के बीच टक्कर चलती रही. एक बार तो परेशान होकर शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भी भेज दिया था. आइए दिल्ली पॉलिटिक्स से जुड़े इस सियासी किस्से के बारे में जानते हैं.

हाईकमान की अनदेखी
साल 2003 में कांग्रेस की जीत के बाद मु्ख्यमंत्री को लेकर हाईकमान चुप रहा. शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री बनाने से पहले एक बैठक हुई. इस बैठक में कांग्रेस हाईकमान ने दो टूक में कहा कि सरकार चलाने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए.

2004 में आम चुनाव हुए. इस चुनाव शीला दीक्षित ने अपने बेटे संदीप को प्रत्याशी बनाकर उतारा. पूर्वी दिल्ली से संदीप जीत भी गए. देश में यूपीए की सरकार आई. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने. दूसरी तरफ दिल्ली में शीला दीक्षित पार्टी से दूर रहीं और काम करती रहीं. कांग्रेस नेता शीला दीक्षित पर तमाम आरोप लगा रहे थे.

मीटिंग छोड़कर निकलीं
अप्रैल 2005 में दिल्ली सरकार को डेढ़ साल हो गए थे. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की एक मीटिंग हुई. बैठक में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित में पहुंचीं. शीला दीक्षित ने अपनी ऑटोबायोग्राफी सिटीजन दिल्ली माई टाइम्स माई लाइफ में इसका जिक्र किया है. शीला दीक्षित लिखती हैं कि मीटिंग आमतौर पर बंद दरवाजे में होती थी लेकिन ये टेंट के नीचे खुले मैदान में हो रही थी.

डीपीसीसी की मीटिंग में शीला दीक्षित पर आरोप लगाए गए. शीला दीक्षित से इस्तीफा मांगा गया. शीला दीक्षित लिखती हैं कि जितनी हिम्मत थी उतना सुना. फिर मैं वहां से उठकर चली गई. कांग्रेस के नेताओं ने इसको बड़ा मुद्दा बनाया. पूरा मामला कांग्रेस हाईकमान के पास पहुंच गया.

भेजा इस्तीफा
शीला दीक्षित के मीटिंग से जाने को लेकर हंगामा कम नहीं हुआ. तब शीला दीक्षित ने कांग्रेस के बड़े नेता माधवराव सिंधिया और अशोक गहलोत से कहा, मैं दिल्ली को संभालूं या फिर पार्टी की राजनीति को संभालने में समय बर्बाद कर दूं. उन्होंने शीला दीक्षित को कार्यकर्ताओं को समय देने की बात कही.

उस समय दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामबाबू शर्मा थे. वो दिल्ली नगर निगम के पार्षद थे. रामबाबू शर्मा ने शीला दीक्षित के निजामुद्दीन वाले घर पर जांच बैठा दी. दिल्ली नगर निगम के अधिकारी जांच के लिए शीला दीक्षित के घर भी पहुंचे. इन सबसे परेशान होकर आखिर में शीला दीक्षित ने अपना इस्तीफा सोनिया गांधी को भेजा.

नहीं चाहिए CM पद
शीला दीक्षित ऑटोबायोग्राफी में बताती हैं कि मैंने सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया. मैंने उनको लिखा कि पार्टी की राजनीति बहुत हो चुकी है. अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती'. सोनिया गांधी ने शीला दीक्षित के इस्तीफे का कोई जवाब नहीं दिया.

सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल शीला दीक्षित से मिलने आए. शीला दीक्षित ने कहा, मुझे क्या करना चाहिए. मुख्यमंत्री का पद नहीं चाहिए. मुझे सत्ता की कोई भूख नहीं है. अहमद पटेल ने कहा कि सोनिया जी ने आपका इस्तीफा स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस हाईकमान के इस संदेश के बाद पार्टी कार्यकर्ता भी शांत हो गए. इसके बाद शीला दीक्षित ने अपना कार्यकाल अच्छे से पूरा किया.

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