Delhi Siyasi Kisse: जब 'प्याज' ने दिल्ली की सियासत में 'शीला युग' का किया आगाज, BJP को हरा Congress का सत्ता पर कब्जा, जानिए वह चुनावी किस्सा

Delhi Assembly Election 2025: शीला दीक्षित के कुशल नेतृत्व के कारण ही साल 1998 में भाजपा को हराकर कांग्रेस दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी. शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं थी. इसके बाद 15 सालों तक दिल्ली की जनता ने शीला युग को देखा. शीला युग का अंत अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में किया था. इस चुनाव के बाद कांग्रेस आजतक दिल्ली की सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी. 

Delhi Siyasi Kisse
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:01 PM IST
  • साल 1998 के चुनाव में सुषमा स्वराज पर भारी पड़ीं थीं शीलि दीक्षित 
  • कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद शीला दीक्षित बनी थीं दिल्ली की सीएम 

चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 (Delhi Assembly Elections 2025) की तारीखों का ऐलान कर दिया है. सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को चुनाव होंगे और और 8 फरवरी 2025 को नतीजे घोषित किए जाएंगे. भारतीय जनता पार्टी (BJP), आम आदमी पार्टी (AAP) से लेकर कंग्रेस (Congress) तक सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं. आज हम दिल्ली के सियासी किस्सों में आपको एक ऐसे मुख्यमंत्री से जुड़ा किस्सा बताने जा रहा हूं, जिन्हें राष्ट्रीय राजधानी में रॉकेट होते प्याज के दामों के बदौलत दिल्ली की सत्ता मिली. जी हां, हम बात कर रहे हैं, पंजाब की बेटी, यूपी की बहू और दिल्ली की राजनीति में करिश्मा करने वाली शीला दीक्षित की. 

शीला दीक्षित के कुशल नेतृत्व के कारण ही साल 1998 में  भाजपा को हराकर कांग्रेस दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी. शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं थी. इसके बाद 15 सालों तक दिल्ली की जनता ने शीला युग को देखा. इस बीच दिल्ली में जीतने भी विधानसभा चुनाव हुए सभी में कांग्रसे को जीत मिली. अब एक बार फिर कांग्रेस जीत का स्वाद चखने के लिए तैयार है. उधर, बीजेपी भी हार का बदलना लेना चाहती है तो आप दिल्ली की सत्ता से बेदखल होना नहीं चाह रही. अब तो 8 फरवरी को वोटों की काउंटिग के बाद  ही पता चल सकेगा कि जानता दिल्ली की कुर्सी पर किसे बैठाती है. अरविंद केजरीवाल भी एक बार फिरअपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं.

बीजेपी के सपने को दिया था तोड़
साल 1998 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने कमर कस ली थी. उस समय दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी. उस विधानसभा चुनाव में बीजेपी का चुनावी मोर्चा जहां सुषमा स्वराज  ने संभाल रखा था तो वहीं कांग्रेस का नेतृत्व शीला दीक्षित कर रहीं थी. उस समय बीजेपी दिल्ली में कई मोर्चों पर घिरी हुई थी. पार्टी में खेमेबाजी खुलकर सामने आ गई थी. महंगाई चरम पर थी. प्याज के दाम रॉकेट हो चुके थे. प्याज की बढ़ती कीमत को लेकर दिल्ली में बीजेपी के प्रति जनता में रोष था. 

प्याज की बढ़ी कीमत ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया था. प्याज के बढ़े दामों पर भोजपुरी गायक और अभिनेता मनोज तिवारी ने उस समय एक गाना गाया था, जो काफी फेमस हुआ था. गाना का बोल था- अब का सलाद खइब, पियाजी अनार हो गइल, वाह रे अटल चाचा, निमकिया पे मार हो गइल. इस गाने का हिंदी में अर्थ है प्याज के दाम अनार के समान हो गए हैं. अटल राज में नमक के लिए भी मारामारी जैसी स्थिति बन गई है. शीला दीक्षित ने प्याज के बढ़े दामों का बीजेपी के विरोध में खूब भुनाया और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया. इस चुनाव में शीला दीक्षित ने जातीय समीकरण से ज्यादा आम जनता के मुद्दों को उठाया था. बीजेपी का दोबारा दिल्ली में सरकार बनाने के सपने को तोड़ दिया था. आपको मालूम हो कि 1998 में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी कभी भी दिल्ली की सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी.

सिर्फ इतनी सीटों पर सिमट गई थी बीजेपी
दिल्ली में साल 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित ने गोल मार्केट सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने बीजेपी के कीर्ति आजाद को भारी मतों से हराया था. इस चुनाव में दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 52 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने 47.80 फीसदी मत हासिल किए थे. उधर, भाजपा को 15 सीटों पर ही जीत मिल सकती थी. उसका वोट शेयर 34.02 फीसदी था. इस चुनाव में कांग्रेस को हर वर्ग के लोगों ने वोट दिया था. 

15 साल सीएम रहकर बनाया रिकॉर्ड
साल 1998 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में शीला दीक्षित ने कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिलाकर कमाल कर दिखाया था. इस चुनाव के बाद 15 सालों तक दिल्ली की जनता ने शीला युग देखा. शीला दीक्षित 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की सीएम रहीं. उन्होंने कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा चुनाव 1998, 2003 और फिर 2008 के चुनाव में जीत का स्वाद चखाया. इस तरह से शीला दीक्षित ने लगातार तीन बार महिला सीएम रहने का रिकॉर्ड बनाया था. शीला दीक्षित को झटका तब लगा जब दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से हराया. 

केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने. इसके बाद दिल्ली की सत्ता पर आज तक कांग्रेस काबिज नहीं हो सकी. इस चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित को केरल का राज्यपाल बना दिया. हालांकि पांच महीनों में ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में शीला दीक्षित ने कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा लेकिन वह जीत दर्ज नहीं कर सकीं. बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी ने इस चुनाव में उन्हें हरा दिया. आखिरकार शीला दीक्षित का 20 जुलाई 2019 को निधन हो गया.


 

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