Delhi Siyasi Kisse: जब साहिब सिंह की जगह सुषमा स्वराज बनीं दिल्ली की मुख्यमंत्री, प्याज से लेकर पुलिस तक, जानिए कैसे थे CM सुषमा के 52 दिन?

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया गया. भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा (Sahib Singh Verma) को हटाकर सुषमा स्वराज को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया. सुषमा स्वराज 52 दिन के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं.

Sushma Swaraj Delhi CM (Photo Credit: Getty)
ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST
  • सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री
  • साहिब सिंह को हटाकर सुषमा स्वराज को सीएम बनाया

दिल्ली में एक बार फिर से चुनाव हैं. इस बार आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी (BJP) के बीच चुनावी टक्कर मानी जा रही है. कांग्रेस (Congress) भी इस बार अकेले दम पर चुनाव लड़ने जा रही है. कांग्रेस 12 साल से दिल्ली की सत्ता से बाहर है.

दिल्ली में भाजपा की सरकार आखिर बार साल 1998 में थी. उसके बाद 10 साल कांग्रेस और फिर अब आप की दिल्ली में सरकार है. भाजपा इस बार जीतकर दिल्ली पर जरूर काबिज होना चाहेगी.

एक समय ऐसा भी था जब दिल्ली में सुषमा स्वराज को 52 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बना दिया गया था. सुषमा स्वराज को दिल्ली की कमान सिर्फ चुनाव के लिए दी थी. उन 52 दिनों में सुषमा स्वराज ने दिल्ली में क्या-क्या किया था? आइए चुनावी किस्से में सुषमा स्वराज के 52 दिनों पर नजर डाल लेते हैं.

सांसद से मुख्यमंत्री तक
12 अक्तूबर 1998 का दिन था जब सुषमा स्वराज  (Sushma Swaraj Delhi CM)  ने दिल्ली की मुख्यमंत्री की शपथ ली. सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं. पार्टी हाईकमान ने साहिब सिंह वर्मा को हटाकर सुषमा स्वराज को दिल्ली की कमान सौंपी.

सुषमा स्वराज को दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी. शीला दीक्षित कांग्रेस की कमान संभाले हुए थी. शीला दीक्षित सड़क पर उतरकर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं. ऐसे में भाजपा का शीला की टक्कर की कोई महिला चाहिए थी.

सुषमा स्वराज उस समय साउथ दिल्ली की सांसद थीं. अचानक से सुषमा स्वराज दिल्ली की सबसे बड़ी महिला बन गईं. सुषमा स्वराज का मिशन था, दिल्ली में बीजेपी को दोबारा से सत्ता पर काबिज कराना. सुषमा स्वराज एक हारी हुई बाजी पर दांव लगा रही थीं.

सुषमा को क्यों बनाया CM?
दिल्ली में साहिब सिंह बीजेपी की सरकार चला रहे थे. उनकी काफी आलोचना हो रही थी. उस समय दिल्ली में प्याज के रेट आसमान छू रहे थे. ये काफी बड़ा मुद्दा था. इसके अलावा बिजली में लगातार हो रही कटौती भी एक सीरियस इश्यू था. साथ ही दिल्ली कांग्रेस में मदन लाल खुराना और साहिब सिंह वर्मा के धड़े के बीच मतभेद चल रहे थे.

सुषमिता दत्ता की किताब- सुषमा स्वराज द् पीपल्स मिनिस्टर में विजय गोयल ने बताया- 'चुनाव सिर पर थे. उस समय पार्टी को दिल्ली में नए चेहरे की तलाश थी, खासतौर पर महिला. सुषमा स्वराज उस समय दिल्ली से ही सांसद भी थीं'. तब पार्टी ने दिल्ली की कमान सुषमा को सौंप दी.

सुषमा के 52 दिन
दिल्ली की मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज लगातार काम करती रहीं. वो बीजेपी के लिए एक मिशन के लिए निकली हुई थीं. वो कई बार बिना बताए पुलिस स्टेशन पहुंच जातीं.  इससे जुड़ा सुषमा स्वराज द् पीपल्स मिनिस्टर में एक किस्से का जिक्र है.

एक दिन सुषमा स्वराज अपनी प्राइवेट कार से कल्याणपुरी पुलिस स्टेशन पहुंच गईं. थाने में एसएचओ नहीं था. सुषमा स्वराज ने एसएचओ के लिए थाने में दो घंटे का इंतजार किया. एसएचओ को सस्पेंड करा दिया गया. दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री के अधीन नहीं आती है. इसलिए सुषमा स्वराज ने इसको लेकर गृह मंत्री को चिट्ठी भी लिखी.

हार या जीत?
सुषमा स्वराज ने दिल्ली में बीजेपी को जिताने के लिए कड़ी मेहतन की लेकिन बीजेपी को सत्ता में वापसी नहीं करा पाईं. चुनाव में सुषमा स्वराज हौज खास से जीत गईं लेकिन पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. 

दिल्ली विधानसभा चुनाव 1998 में कांग्रेस को 52 सीटों पर जीत मिली. वहीं बीजेपी 15 सीटों पर सिमट गई. हार के बाद शीला दीक्षित ने हौज खास विधानसभा से इस्तीफा दे दिया. शीला दीक्षित वापस साउथ दिल्ली में बतौर सांसद काम करने लगीं.

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