UP Election 2022: चूड़ियों का श्रृंगार करने वाली महिलाएं सरकार से क्यों हैं नाराज? कौन सी गुड न्यूज का है उनको इंतजार?

UP Election 2022: फिरोजाबाद में चूड़ियां बनाने वाली महिलाएं मुश्किल से एक दिन के 200-250 रुपए ही कमा पाती हैं. वे निराश है क्योंकि उन्हें सरकार की तरफ से न राशन मिलता है ना किसी तरह की आर्थिक सहायता.

फिरोजाबाद की चूड़ियां (प्रतीकात्मक तस्वीर)
तेजश्री पुरंदरे
  • फिरोजाबाद,
  • 13 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:39 PM IST
  • फिरोजाबाद में हर सातवें घर में चूड़ियां बनाने का काम किया जाता है.
  • यहां महिलाएं करती हैं चूड़ियों पर कलाकारी.

चूड़ियां महिलाओं के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा होती हैं. गोरी कलाइयों में खनकती ये चूड़ियां हर उम्र-वर्ग-धर्म-संप्रदाय की महिलाओं को पसंद आती हैं.पर क्या आपको पता है कि साड़ियों से महिलाओं के शृंगार का अहम हिस्सा रहीं ये चूड़ियां कहां बनती हैं? पूरे देश में  मिलने वाली चूड़ियों की खनक उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में गढ़ी जाती है. यहां पर हर सातवें घर में चूड़ियां बनाने का काम किया जाता है. यहां चूड़ियां बनाने का काम इतना फैला हुआ है कि करीब 300 से 350 फैक्ट्रियां चूड़ियां बनाने का काम करती हैं. इन फैक्ट्रियों से लाखों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. पर रंग बिरंगी चूड़ियों के इस शहर का राजनीतिक समीकरण भी बड़ा दिलचस्प है.

फिरोजाबाद सदर में 25 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की है. फिर भी यहां पर बीजेपी के मनीष असीजा का बोलबाला है. 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के मनीष असीजा जीते थे.उन्होंने सपा प्रत्याशी अजीम भाई को 41727 मतों से हराया था. बसपा के खालिद नसीर 51328 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 2012 के चुनाव में बीजेपी के मनीष असीजा ने अजीम भाई को दो हजार मतों के अंतर से हराया था. ऐसे में बीजेपी ने दो बार से विधायक रहे मनीष असीजा पर तीसरी बार दांव लगाया है. ऐसे में चुनाव से पहले जीएनटी की टीम ने फिरोजाबाद में बनाने वाली चूड़ियां की फैक्ट्रियों का जायजा लिया. यहां पर हमने चूड़ियां बनाने के साथ-साथ चूड़ियां बनाने वाले कारीगरों से भी जाना कि उनके हिसाब से किस सरकार की खनक उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव में सुनाई देने वाली है.

ऐसे बनती हैं चूड़ियां

रंग बिरंगी और नाजुक कांच के चूड़ियों की बनाने की प्रक्रिया बड़ी लंबी और मुश्किल होती.सबसे पहले इसमें इस्तेमाल होने वाली रेत को राजस्थान के रेगिस्तान से लाया जाता है. इस रेत में रंग और केमिकल्स मिलाए जाते हैं. यह मिश्रण तैयार होने के बाद इसे 1200 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर भट्ठी में पकने के लिए डाला जाता है. यह भट्ठी 12 घंटे चालू रहती है जिसमें मिश्रण को पिघलाया जाता है.पिघलने के बाद मजदूर इस पर लेयरिंग और ऊपर की परत पर रंग चढ़ाने का काम करते हैं. जब रंग और लेयरिंग हो जाती है तब इसे कारीगर गोल आकार देते हैं. खास बात यह है कि गोल आकार देने के लिए किसी भी तरह की मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता.य ह कारीगरों की कारीगरी का कमाल है कि हर चूड़ी का आकार एक जैसा  ही आता है. इसके बाद चूड़ियों को अलग-अलग कर कटर से काटा जाता है. इस कटर पर खास तरह का डायमंड लगाया जाता है जिससे चूड़ियों को काटा जाता है. यहां से चूड़ियां फिर आगे सजावट के लिए भेजी जाती हैं.

हर घर में बनती हैं चूड़ियां 

फैक्ट्री के मालिक संदीप चतुर्वेदी बताते हैं कि यहां पर हर घर में चूड़ियां बनाने का काम किया जाता है. यहां की बनाई गई चूड़ियां पूरे देश में बेची जाते हैं. गौरतलब है कि चूड़ियां बनाने के लिए कच्चा माल फिरोजाबाद में उपलब्ध नहीं है लेकिन यहां के कारीगरों की कारीगरी के कारण ही चूड़ियां यहां पर बनाई जाती हैं. कांच के हैंडीक्राफ्ट्स के आइटम का साठ से ज्यादा देशों में निर्यात होता है.इस सीट पर 20 फरवरी को मतदान होना है और नतीजों का एलान 10 मार्च को किया जाएगा. ऐसे में यहां के लोगों का कहना है कि चूड़ियां तो फैक्ट्रियों में तैयार हो रही है, लेकिन जहां तक सरकार की बात है तो वे बताते हैं कि फिरोजाबाद सदर सीट पर बीजेपी के मनीष असीजा ने बहुत अच्छा काम किया है.

महिलाएं करती हैं चूड़ियों पर कलाकारी 

चूड़ियां महिलाओं के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा होती हैं. लेकिन चूड़ियों का श्रृंगार उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के छोटी छोटी गलियों के छोटे-छोटे कमरों में इन महिलाओं के हाथों द्वारा किया जाता है. दरअसल फैक्ट्री से बनकर आने वाली चूड़ियां पूरी तरह से तैयार नहीं होती इसीलिए इन चूड़ियों को रंग और रूप देने का काम यह महिलाएं करती हैं. यहां पर हर सातवें घर में चूड़ियां सजाने का काम किया जाता है.चूड़ियां जैसे ही फैक्ट्री से बनकर आती हैं उसके बाद उन पर केमिकल और कलर के मिश्रण को चढ़ाया जाता है. रंग चढ़ाने के बाद इस पर महिलाएं कलाकारी का काम करती हैं. इस पर अलग-अलग तरह के मोती, नाक और कान के छोटे-छोटे टुकड़े लगाए जाते हैं. यह महिलाएं एक दिन में दर्जनों चूड़ियों पर कलाकारी का काम करती हैं. लेकिन चूड़ियों पर रंग चढ़ा रही महिलाओं की जिंदगी थोड़ी फीकी नजर आती है.

सरकारी योजनाओं का नहीं मिलता फायदा 

महिलाएं बताती हैं कि जितना भी काम करती हैं उतना पैसा उन्हें नहीं मिल पाता है. वह मुश्किल से एक दिन के 200-250 रुपए ही कमा पाती हैं. वे निराश है क्योंकि उन्हें सरकार की तरफ से न राशन मिलता है ना किसी तरह की आर्थिक सहायता. यहां काम कर रही महिलाओं का कहना है कि सरकार की योजनाओं का फायदा उन्हें अब तक नहीं मिल पाया है. वे चाहती हैं कि फिरोजाबाद और पूरे उत्तर प्रदेश में एक ऐसी सरकार आए जो उनके हित के लिए काम करें.

 

 

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