UP Election 2022: यूपी चुनाव में 'AJGAR' से पार नहीं लगेगी सपा की नैया! 'GAJAB' सियासत कर रहे अखिलेश

उत्तर प्रदेश का चुनावी इतिहास पलटेंगे तो पता चलेगा कि कभी चौधरी चरण सिंह ने AJGAR यानि अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत वोटरों के दम पर कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंका था. जब भी सपा और रालोद साथ आए, ये माना गया कि AJGAR को साधने की तैयारी है. इस बार भी दोनों के बीच गठबंधन है लेकिन इस बार राजपूतों को साध पाना बड़ी चुनौती है. इसकी जगह अखिलेश GAJAB यानि गुर्जर, अहीर, जाट और ब्राह्मणों को साधने की तैयारी कर रहे हैं. अखिलेश राजपूत वोटरों की भरपाई ब्राह्मण वोटरों से करना चाहते हैं.

अखिलेश यादव
gnttv.com
  • लखनऊ,
  • 31 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:03 PM IST
  • AJGAR मतलब अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत
  • GAJAB यानि गुर्जर, अहीर, जाट और ब्राह्मण
  • योगी के रहते सपा का राजपूतों को साध पाना बड़ी चुनौती

उत्तर प्रदेश में जो पार्टी जातीय समीकरण को साध लेती है उसे सत्ता की चाभी मिल जाती है. अब तक यही उत्तर प्रदेश का राजनीतिक इतिहास रहा है. जातीय समीकरण जिस पार्टी का ठीक बैठ गया उसे सत्ता की कुर्सी मिलनी तय है. 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव अपने पीक पर है और सारी पार्टियां जातीय समीकरण साधने में जुटी है. नेता एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जा रहे हैं. जहां जिसकी गोटी फिट बैठ रही है वह नेता वहां सेट हो जा रहा है.

'AJGAR' समीकरण से चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस को सत्ता से कर दिया था बाहर 
यूपी में हुए विधानसभा चुनाव का इतिहास पलटेंगे तो पता चलेगा कि 1960 के दशक में किस तरह चौधरी चरण सिंह ने जातीय समीकरण मिलाकर पहली बार गैर कांग्रेस सरकार बनाई थी. वे कांग्रेस से अलग हुए और AJGAR समीकरण बनाया. AJGAR मतलब अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत. इन जातियों के बल पर उन्हें यूपी की सत्ता हाथ लगी. इसके बाद कांग्रेस फिर सत्ता में लौटी. तब कांग्रेस ने ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम वोटरों के साधा और इन तीनों ने मिलकर यूपी में कांग्रेस की वापसी कराई. इसे साधने के लिए चौधरी चरण सिंह ने गैर ब्राह्मण और गैर दलित समुदाय को साथ लिया. इन जातियों की उपस्थिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में थी. इनमें सिर्फ अहीर(यादव) ही हैं जिनकी संख्या पूरे प्रदेश भर में अच्छी खासी है.

ये प्रयोग उत्तर प्रदेश की राजनीति में 10 सालों तक अच्छे से चला लेकिन मंडल की राजनीति से समाजवादी पार्टी सत्ता में आई. यादव राष्ट्रीय लोक दल से अलग हो गए है और सपा के साथ जुड़ गए. इसके बाद रालोद सिर्फ जाटों की पार्टी बन गई. बड़ी संख्या में राजपूत मुलायम सिंह यादव के साथ रहे. ऐसी स्थिति में जब भी सपा और रालोद साथ आए, ये माना गया कि AJGAR(अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत)  को साथ में साधने की तैयारी है.

नहीं सफल होगा AJGAR समीकरण!
इस बार सपा और रालोद का गठबंधन है और यही कहा जा रहा है कि AJGAR(अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत) को साधने के लिए यह गठबंधन किया गया है. लेकिन, राजनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बार यह फेल होता दिख रहा है. इसके पीछे मुख्य वजह है कि भाजपा सत्ता में है और मुख्यमंत्री योगी खुद राजपूत हैं. इसी वजह से राजपूत किसी भी हाल में बीजेपी खेमे को छोड़कर नहीं जाएंगे.

AJGAR की जगह GAJAB की राजनीति
AJGAR(अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत) समीकरण को नहीं साधा जा सकता तो अखिलेश यादव अब GAJAB समीकरण पर काम कर रहे हैं. GAJAB मतलब गुर्जर, अहीर, जाट और ब्राह्मण. सपा इस कोशिश में है कि जो राजपूत वोट चले गए हैं उसकी भरपाई ब्राह्मण वोटरों से की जाए. यही वजह है कि सपा ने पूरे प्रदेश में प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन कराया. अब ये तो आने वाला समय बताएगा कि ब्राह्मण वोटर बीजेपी में से कितना छिटकते हैं और सपा का रुख करते हैं.

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