Gujarat Election 2022: 20 साल में बगावत, आंदोलन में गए जेल, बदल दी गांवों की किस्मत, जानिए गुजरात के दूसरे CM Balwantrai Mehta के किस्से

Gujarat Assembly Election 2022: देश में पंचायती राज के शिल्पकार माने जाने वाले Balwantrai Mehta ने सिर्फ 20 साल की उम्र में ब्रिटिश शासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने विदेशी शासन से ग्रेजुएशन की डिग्री लेने से इनकार कर दिया था. उन्होंने लाला लाजपत राय के संगठन के साथ भी काम किया. आजादी के बाद सांसद बने और जब गुजरात राज्य बना तो सूबे के दूसरे मुख्यमंत्री भी बने.

बलवंतराय मेहता और लाल बहादुर शास्त्री के साथ गुजरात के दूसरे सीएम (Wikimedia Commons)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:21 PM IST
  • मेहता ने 20 साल की उम्र में विदेशी सरकार से डिग्री लेने से इनकार कर दिया था
  • आजादी की लड़ाई में 7 साल जेल में रहे मेहता

बलवंतराय मेहता उस दिग्गज लीडर का नाम था, जिनको पंचायती राज का पिताहम कहा जाता है. बलवंतराय गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री थे. एक गरीब परिवार में पैदा हुए मेहता ने सियासत में बड़ा मुकाम हासिल किया. साल 1965 में लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उनके विमान को मार गिराया था. इसमें गुजरात के तात्कालिक सीएम बलवंतराय मेहत की मौत हो गई. चलिए आपको इस दिग्गज नेता की जिंदगी के किस्से बताते हैं.

विदेशी सरकार से डिग्री लेने से इनकार-
बलवंतराय का पूरा नाम बलवंतराय गोपालजी मेहता था. उनका जन्म 19 फरवरी 1900 में गुजरात के भावनगर में एक साधारण परिवार में हुआ था. मेहता के बारे में एक किस्सा फेमस है कि साल 1920 में जब वो 20 साल के थे तो ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. लेकिन जब डिग्री लेने की बारी आई तो उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि वो विदेशी सरकार से डिग्री नहीं लेंगे. इसके बाद मेहता ने लाल लाजपतराय के संगठन 'सर्वेंट ऑफ पीपल' की सदस्यता ली.

21 साल में सामंती शासन के खिलाफ मोर्चा खोला-
बलवंतराय मेहता ने 21 साल की उम्र में ही सामंती शासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. साल 1921 में मेहता ने भावनगर में प्रजा मंडल की स्थापना की. इस संगठन ने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. मेहता बारडोली सत्याग्रह का भी हिस्सा बने. बलवंतराय मेहता को साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई. ब्रिटिश शासन में मेहता 7 साल तक जेल में बंद रहे. 

साल 1952 में पहली बार सांसद बने मेहता-
जब देश आजाद हो गया तो महात्मा गांधी ने खुद बलवंतराय मेहता को कांग्रेस में शामिल होने को कहा. इसके बाद मेहता ने कांग्रेस की सदस्यता ली. साल 1952 में पहली बार देश में चुनाव हुए. कांग्रेस ने बलवंतराय मेहता को भावनगर से उम्मीदवार बनाया गया. उउनके खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार कृष्णलाल थे. लेकिन बलवंतराय ने इस चुनाव में जीत हासिल की और सांसद बने. साल 1957 के लोकसभा चुनाव में भी मेहता की जीत हुई. इस बार उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी के जशवंत भाई मेहता को हराया था.

पंचायती राज का खाका बनाया-
जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने साल 1957 में सामुदायिक विकास के कार्यक्रमों की जांच के लिए एक कमेटी बनाई. जिसके अध्यक्ष बलवंतराय मेहता को बनाया गया. इसी साल के नवंबर में इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. एक अप्रैल 1958 को संसद से बलवंतराय मेहता की कमेटी की सिफारिशों को पारित किया गया. साल  साल 1959 में राजस्थान के नागौर से भारत में पंचायती राज की शुरुआत की गई. हालांकि पंचायती राज संस्थानों को संवैधानिक दर्जा साल 1993 में संविधान के 73वें संशोधन के जरिए मिला.

गुजरात के CM बने मेहता-
साल 1963 में कांग्रेस ने कामराज प्लान अपनाया. जिसके तहत मुख्यमंत्रियों और बड़े कैबिनेट मंत्रियों को सत्ता से हटाकर पार्टी के कामकाज में लगाया गया. इसी प्लान के तहत गुजरात के मुख्यमंत्री जीवराज मेहता को पद छोड़ना पड़ा. जीवराज की जगह गुजरात में नए मुख्यमंत्री की तलाश शुरू हुई. कांग्रेस के दिग्गज नेता मोरारजी देसाई गुजरात से आते थे. इसलिए वो राज्य की सत्ता में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते थे. मोरारजी देसाई ने बलवंतराय मेहता को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव दिया. केंद्रीय नेतृत्व ने उनके सुझाव को मान लिया और गुजरात के दूसरे सीएम के तौर पर बलवंतराय मेहता की ताजपोशी हुई. 19 सितंबर 1963 को मेहता ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

पाकिस्तानी हमले में मेहता की मौत-
साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया. इस वक्त गुजरात के सीएम बलवंतराय मेहता थे. बॉर्डर के आसपास विमान में सफर करने की मनाही थी. गुजरात में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था. इस दौरान मेहता ने तय किया वो द्वारका के मीठापुर में रैली को संबोधित करेंगे. 19 सितंबर को बलवंतराय मेहता अपनी पत्नी सरोजबन, 3 असिस्टेंट और एक पत्रकार के साथ अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे. एयरपोर्ट पर सभी लोगों ने अमेरिकी विमान बीचक्राफ्ट मॉडल 18 में सवार हुए. इस विमान में दो इंजन थे और ये 8 सीटर था. जब विमान कच्छ में आसमान में उड़ान भर रहा था. उसी वक्त पाकिस्तानी सेना के लड़ाकू विमान ने उस पर हमला कर दिया. हमले के बाद विमान जमीन पर गिरा और उसमें आग लग गई. विमान में सवार सभी लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में गुजरात के दूसरे सीएम बलवंतराय भी थे. 

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