Harayana Siyasi Kisse: हरियाणा से दिल्ली गए थे जनता पार्टी के CM... लौटे तो हो गए थे कांग्रेसी मुख्यमंत्री... देश की जनता ने पहली बार देखा था इतना बड़ा दलबदल... जानिए Bhajan Lal और Indira Gandhi से जुड़ा किस्सा 

Harayana Assembly Election 2024: भजनलाल साल 1977 में देवीलाल सरकार का तख्तापलट कर पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे. इसके बाद 1980 में केंद्र में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी तो भजनलाल को लग रहा था कि इंदिरा गांधी उनकी सरकार बर्खास्त कर देंगी. आइए जानते हैं भजनलाल ने उस समय कैसे अपनी सीएम की कुर्सी बचा ली थी. 

Bhajan Lal and Indira Gandhi (File Photo)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST
  • भजनलाल कहे जाते थे राजनीति के 'चाणक्य' और दलबदल के ‘इंजीनियर’
  • दो दशक तक हरियाणा की राजनीति के शिखर पुरुष बने रहे भजनलाल 

Haryana Election: हरियाणा में एक से बढ़कर एक नेता हुए, जिन्होंने सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि देश स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाई. देवीलाल (Devi Lal), बंसीलाल (Bhajan Lal) और भजनलाल (Bhajan Lal) अपनी राजनीतिक कौशल के लिए आज भी याद किए जाते हैं. इन तीनों नेताओं को हरियाणा का लाल कहा जाता है. आज हम राजनीति के 'चाणक्य' और दलबदल के ‘इंजीनियर’ कहे जाने वाले भजनलाल 
और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से जुड़ा एक रोचक किस्सा बता रहे हैं. 

दरअसल, यह बात उस साल की है जब इमरजेंसी के बाद एक बार फिर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी थी. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुईं थीं. हरियाणा में जनता पार्टी की सरकार थी. मुख्यमंत्री भजनलाल को लग रहा था कि उनकी सरकार इंदिरा गांधी गिरा देंगी. वह इस बात को लेकर काफी परेशान थे लेकिन तभी उन्होंने इंदिरा गांधी से मिल ऐसा किया कि सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की जनता भी देखती रह गई. भजनलाल ने देश का सबसे बड़ा दलबदल कर अपनी सीएम की कुर्सी बचा ली थी. आइए इस किस्सा को जानने से पहले भजनलाल के बारे में थोड़ा जानते हैं.

भजनलाल ने पंच के रूप में शुरू की थी राजनीतिक सफर
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का जन्म 6 अक्टूबर 1930 को पंजाब के बहावलपुर (अब पाकिस्तान में) जिले में कोरनवली कस्बे में विश्नोई परिवार में हुआ था. इनका परिवार बंटवारे के बाद हरियाणा के आदमपुर में आकर बस गया. भजनलाल ने अपना राजनीतिक जीवन आदमपुर ग्राम पंचायत में एक पंच के रूप में शुरू किया था और बाद में उसी पंचायत में सरपंच बने थे. हालांकि राजनीति में आने से पहले भजनलाल ने साल 1950 में आदमपुर में कपड़े का बिजनेस शुरू किया. वह राजस्थान से पीले पोमचें और चुनरियां लाकर आदमपुर क्षेत्र में घर-घर जाकर बेचते थे. इसमें खासा मुनाफा नहीं देख वह नए धंधे की तलाश में जुट गए. 

बाद में उन्होंने अनाज मंडियों में कमीशन एजेंट के रूप में काम करना शुरू कर दिया. इसके बाद 1965 में भजनलाल देशी घी का कारोबार करने लगे. फिर उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अपना किस्मत आजमाने का फैसला किया. भजनलाल ने 1960 में पहली बार ग्राम पंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद 1961 में ब्लॉक समिति के चेयरमैन के चुनाव जीतने के बाद वह काफी मशहूर हो गए. इसके बाद उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा. वह 1968 में आदमपुर सीट से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचने में सफल हुए. इसके बाद भजनलाल आगे बढ़ते गए और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह दो दशक तक हरियाणा की राजनीति के शिखर पुरुष बने रहे. इतना ही नहीं भजनलाल ने केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार में कई पदों पर योगदान दिया. राजीव गांधी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में उन्होंने कृषि, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के कामकाज संभाले. 

लोगों को पहचानने की एक खास कला थी भजनलाल के पास
राजनीति के जानकार भजनलाल के बारे में कहते हैं कि उनके पास लोगों को पहचानने की एक खास कला थी. वह तुरंत भांप जाते थे कि किसी की जरूरत क्या है. भजनलाल की यही कला देवीलाल की सरकार गिराने में बीस साबित हुई थी. भजनलाल नेता हो या कोई व्यक्ति सभी को लालच देना खूब जानते थे. सबकी जरूरत के मुताबिक भजनलाल के पास हर रास्ता होता था. बड़े नेताओं का कृपा पात्र बने रहने के लिए भजनलाल अनोखे तरीके अपनाते थे. भजनलाल ने कभी मोरारजी देसाई के पास घी के पीपे भिजवाए तो कभी वरुण गांधी के जन्म पर संजय गांधी के पास सोने का पत्तर चढ़ा ऊंट भिजवाया. इसी तरह बनाए संबंधों से भजनलाल हरियाणा के सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए.

देवीलाल सरकार का तख्तापलट कर पहली बार बने थे हरियाणा के सीएम 
इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए इमरजेंसी के बाद देश में 1977 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस को हार मिली थी. पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. जनता पार्टी की तरफ से मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री चुने गए थे. उधर, हरियाणा विधानसभा चुनाव 1977 में चौधरी देवीलाल की पार्टी भी भारी बहुमत से सत्ता में आई थी. उस चुनाव में जनता पार्टी को सबसे अधिक 75 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 3 सीटों से संतोष करना पड़ा था. विशाल हरियाणा पार्टी के 5 उम्मीदवार और 7 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी. 75 सीटों के साथ ताऊ देवीलाल को सरकार बनाने में कोई परेशानी नहीं हुई. 

आदमपुर विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले भजनलाल को ताऊ की सरकार में डेयरी मंत्री की कुर्सी दी गई थी. हालांकि चुनाव के कुछ दिनों बाद ही केंद्र की जनता पार्टी सरकार में उथल-पुथल मच गई. हरियाणा में भी सीएम देवीलाल की सरकार इससे अछूती नहीं रही. मुख्यमंत्री देवीलाल ने पार्टी में उथल-पुथल देख 19 अप्रैल 1979 को जनसंघ से आए मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया. उन्हें लगा कि अब उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. इसी बीच ताऊ के करीबी भी बगावत पर उतर आए. भजनलाल ने कई बागी विधायकों के साथ देवीलाल सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. इससे ताऊ देवीलाल घबरा गए. उन्होंने अपने विधायकों को बचाने की कोशिश शुरू कर दी. हालांकि इसके बाद भी भजनलाल ने अपनी राजनीतिक चाल से देवीलाल सरकार का तख्तापलट कर दिया था. भजनलाल ने विधायकों का ऐसा प्रलोभन दिया कि वे उनके पाले में आने के लिए तुरंत राजी हो गए. इस तरह से भजनलाल पहली बार 29 जून 1979 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए थे.

इस तरह भजनलाल ने फिर बचा ली थी सीएम की कुर्सी 
आपको मालूम हो कि इमरजेंसी के बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए कई पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था. सभी पार्टियों का एजेंडा अलग-अलग था. सरकार तो केंद्र में जनता पार्टी की बन गई लेकिन पीएम मोरारजी देसाई सभी पार्टियों को एक साथ लेकर चलने में सफल नहीं हुए. चुनाव के कुछ महीनों बाद ही सरकार गिर गई. इसके बाद साल 1980 में केंद्र में फिर कांग्रेस की सरकार बनी. इंदिरा गांधी 14 जनवरी 1980 को तीसरी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं. उस समय हरियाणा में जनता पार्टी की सरकार थी और भजनलाल मुख्यमंत्री थे. भजनलाल को लग रहा था कि इंदिरा गांधी उनकी सरकार बर्खास्त कर देंगी क्योंकि जब जनता पार्टी की केंद्र में सरकार बनी थी तो कई राज्यों में कांग्रेस की सरकारें बर्खास्त कर दी गईं थीं. राजनीति के 'चाणक्य' कहे जाने वाले भजनलाल भांप गए थे अब जनता पार्टी लंबी रेस का घोड़ा नहीं रही. 

वह अपनी सरकार और सीएम की कुर्सी बचाने में जुट गए. हरियाणा कैडर के IAS अधिकारी रहे राम वर्मा अपनी किताब थ्री लाल्स ऑफ हरियाणा में लिखते हैं, इंदिरा गांधी के पीएम बनने के तुरंत बाद भजनलाल 20 जनवरी 1980 को बुके लेकर इंदिरा गांधी से मिलने देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गए. इंदिरा गांधी ने मुलाकात के दौरान कहा, भजनलाल जी, आप अपने घर में वापसी कर लीजिए, लेकिन मेजॉरिटी लेकर आना, वर्ना मैं आपका राज कायम नहीं रख पाऊंगी. मुझे हरियाणा असेंबली भंग करनी पड़ेगी. इंदिरा गांधी से मिलने के बाद भजनलाल हरियाणा लौट आए. इसके दो दिन बाद 22 जनवरी 1980 को फिर वह दिल्ली इंदिरा गांधी से मिलने पहुंच गए. वह गए तो थे जनता पार्टी के सीएम बन लेकिन वहां से लौटे तो कांग्रेसी मुख्यमंत्री बन गए थे. दरअसल, प्रदेश की जनता पार्टी सरकार रातों-रात कांग्रेस सरकार में तब्दील हो गई थी. भजनलाल अपने 40 विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इस तरह से उन्होंने इंदिरा गांधी के सामने बहुमत पेश कर दिया था और सीएम की कुर्सी बचा ली थी. देश की जनता ने पहली बार इतना बड़ा दलबदल देखा था.

भजनलाल तीन बार रहे हरियाणा के सीएम 
भजनलाल तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. वह पहली बार 1979 में, फिर 1982 में और एक बार फिर 1991 में हरियाणा का मुख्यमंत्री बने थे. राजीव गांधी सरकार में भजनलाल केंद्रीय कैबिनेट के सदस्य भी रहे. उन दिनों भजनलाल की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती थी. हालांकि बाद में कांग्रेस से नाराजगी के चलते उन्होंने साल 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस नाम से अलग पार्टी बना ली थी. इसके बाद कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए भजनलाल को पार्टी से निलंबित कर दिया था. 

 

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