Siyasi Analysis: Haryana के 7 Political Area में कितनी हैं विधानसभा सीट्स, कहां और किस जाति का है दबदबा, यहां जानिए सबकुछ

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में कुल 22 जिले हैं लेकिन पॉलिटिकल एरिया के तहत बांटा जाए तो कुल 7 बेल्ट बनते हैं. इन सभी क्षेत्रों का राजनीतिक मिजाज एक-दूसरे से अलग है. भाजपा का जहां जीटी रोड बेल्ट और अहीरवाल बेल्ट पर पकड़ है, वहीं कांग्रेस का देशवाल बेल्ट में दबदबा है. अब देखना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में इन सातों बेल्ट के मतदाता किस पार्टी को जीत का सेहरा पहनाते हैं. 

Haryana Assembly Election 2024
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:14 AM IST
  • भाजपा को जीटी रोड-अहीरवाल बेल्ट से आस
  • कांग्रेस की स्थिति जाटलैंड-बांगर में मजबूत

Haryana Election 2024: हरियाणा विधानसभा की कुल 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को चुनाव होना है. मतों की गिनती 8 अक्टूबर 2024 की जाएगी और नतीजे भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) जहां जीत की हैट्रिक लगाना चाह रही है, वहीं कांग्रेस (Congress) किसी भी हाल में सत्ता पाना चाह रही है. उधर, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD), जननायक जनता पार्टी (JJP) व अन्य दलों के उम्मीदवार भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. आपको मालूम हो कि इस प्रदेश का सत्ता का रास्ता 7 पॉलिटिकल एरिया से होकर गुजरता है. आइए जानते हैं क्या है इन इलाकों का सियासी गणित.

ये हैं 7 पॉलिटिकल एरिया
1. अहीरवाल बेल्ट
2. जीटी रोड बेल्ट
3. दक्षिण हरियाणा बेल्ट
4. बांगर बेल्ट
5. देशवाल बेल्ट
6. बागड़ बेल्ट
7. मेवात क्षेत्र 

1. अहीरवाल बेल्ट
राजस्थान के साथ हरियाणा के लगते क्षेत्रों को अहीरवाल बेल्ट कहा जाता है. इस क्षेत्र में हरियाणा के तीन जिले रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम आते हैं. यहां कुल 11 विधानसभा सीटें हैं. अहीरवाल बेल्ट में गत चुनावों में भाजपा का दबदबा रहा है. विधानसभा चुनाव 2014 में जहां भाजपा को 11 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं 2019 में 8 बीजेपी उम्मीदवार विजयी हुए थे. कांग्रेस का 2014 में खाता तक नहीं खुला था जबकि विधानसभा चुनाव 2019 में यह पार्टी 2 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी. अहीर बाहुल्य इस इलाके के सबसे बड़े नेताओं में राव इंद्रजीत की गिनती होती है.

पिछले चार बार से वह लगातार यहां से सांसद हैं. कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा, राव दान सिंह और राव नरबीर के साथ अभय सिंह यादव का इस क्षेत्र में प्रभाव है. राव इंद्रजीत की बेटी आरती अटेली से अपना पॉलिटिकल डेब्यू करने जा रही हैं. उधर, नारनौल में ओमप्रकाश यादव और नांगल चौधरी में अभय सिंह यादव चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस की बात करें तो महेंद्रगढ़ सीट पर राव दान सिंह और रेवाड़ी में कैप्टन अजय यादव के बेटे और लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव ताल ठोक रहे हैं. राव इंद्रजीत के भाई राव यदुवेंद्र कोसली में कांग्रेस के जगदीश यादव को टक्कर दे रहे हैं.

2. जीटी रोड बेल्ट
इस बेल्ट में विधानसभा की कुल 23 सीटें हैं. गत दो चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता दिलाने में इस क्षेत्र का विशेष योगदान रहा है. यह क्षेत्र 10 सालों से BJP का गढ़ बना हुआ है. इसी क्षेत्र में पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, करनाल और पानीपत जिला आते हैं. विधानसभा चुनाव 2014 में बीजेपी को इस बेल्ट की 23 में से 21 सीटों पर जीत मिली थी. विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा 12 सीटें जीतने में सफल रही थी.

उधर, कांग्रेस को 2014 में एक और 2019 में 9 सीटों पर जीत मिली थी. इस क्षेत्र में अधिकतर मतदाता गैर जाट हैं. भाजपा इन्हीं वोटरों के बल पर अधिक सीटों पर जीत दर्ज करती है. मौजूदा सीएम नायब सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, अनिल विज, महिपाल ढांडा, कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा इसी इलाके से आते हैं. स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी यहीं से हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सीएम नायब सिंह सैनी करनाल से चुनाव जीते हैं.

3. दक्षिण हरियाणा बेल्ट
यूपी से लगते हरियाणा के सीमा क्षेत्र को दक्षिण हरियाणा बेल्ट कहा जाता है. यूपी संग सीमा लगने से इस क्षेत्र में बृज भाषा का असर है. साउथ हरियाणा में दो जिले फरीदाबाद और पलवल आते हैं. इस क्षेत्र में कुल 9 विधानसभा सीटें हैं. बीजेपी विधानसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के बावजूद सिर्फ 3 सीटों पर दर्ज कर पाई थी जबकि विधानसभा चुनाव 2019 में बेहतरीन प्रदर्शन किया था.

कुल 9 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज करने में भाजपा सफल हुई थी. उधर, कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2014 में 3 और 2019 में सिर्फ एक सीट  पर जीत मिली थी. इस क्षेत्र के प्रमुख नेताओं में बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल, पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना और कर्ण सिंह दलाल शामिल हैं. 

4. बांगर बेल्ट
इस बेल्ट में दो जिले जींद और कैथल शामिल हैं. इस क्षेत्र में कुल 9 विधानसभा क्षेत्र है. भाजपा को विधानसभा चुनाव 2014 में 2 और 2019 में 3 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 2014 और 2019 में एक-एक सीट पर विजय मिली थी. बांगर की राजधानी उचाना को कहा जाता है. सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह और कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला इस क्षेत्र के दो बड़े चेहरे हैं.

हालांकि ये दोनों कभी प्रदेश की कमान नहीं सभांल सके. जयप्रकाश जेपी इसी इलाके से आते हैं. इस बार इन तीनों नेताओं के बेटे कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कैथल में रणदीप के बेटे आदित्य सुरजेवाला, कलायत में जयप्रकाश जेपी के बेटे विकास सहारण और उचाना में बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह इस साल चुनावी मैदान में हैं. जींद की जुलाना सीट से रेसलर विनेश फोगाट चुनावी मैदान में हैं.

5. देशवाल बेल्ट
इस क्षेत्र में जाटों की बहुलता है. इसी कारण इस इलाके को जाटलैंड कहा जाता है. इस बेल्ट में चार जिले रोहतक, झज्जर, पानीपत और सोनीपत शामिल हैं. इस बेल्ट में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं. विधानसभा चुनाव 2014 में भाजपा को 4 और 2019 में 2 सीटों पर जीत मिली थी.

उधर, कांग्रेस को 2014 में 10 और 2019 में 11 सीटों पर जीत मिली थी. इस इलाके में चौधर का नारा चलता है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा का दबदबा है. वह इसी चौधर के नारे के दम पर दो बार सीएम भी रहे हैं. इस इलाके में कैप्टन अभिमन्यू, मनीष ग्रोवर व ओमप्रकाश धनखड़ का भी प्रभाव है.

6. बागड़ बेल्ट
हरियाणा का बागड़ क्षेत्र राजस्थान और पंजाब से सटा है. यहां बागड़ी और पंजाबी दोनों भाषाएं बोली जाती हैं. इस एरिया में 5 जिले हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी और चरखी-दादरी आते हैं. यहां के पांचों जिलों में जाट वोटरों का डॉमिनेंस है. यह क्षेत्र हरियाणा के तीनों लाल परिवारों देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल की कर्मभूमि रहा है. ताऊ देवीलाल समेत इस धरती ने कुल 4 मुख्यमंत्री दिए हैं.

बागड़ बेल्ट में विधानसभा की कुल 21 सीटें आती हैं. भाजपा को विधानसभा चुनाव 2014 में 6 और 2019 में 8 सीटों पर जीत मिली थी. उधर, कांग्रेस को 2014 में 1 और 2019 में 4 सीटों पर विजय मिली थी. बंसीलाल परिवार से किरण चौधरी, भजनलाल परिवार से कुलदीप बिश्नोई और देवीलाप परिवार से अजय सिंह और अभय चौटाला के साथ दुष्यंत चौटाला उनकी राजनीतिक विरासत संभाले हुए हैं.

7. मेवात क्षेत्र
इस क्षेत्र में पूरा नूंह जिला आता है. यहां कुल तीन विधानसभा सीटें हैं. यह मुस्लिम बाहुल्य जिला है. यहां पर अधिकतर मुस्लिम नेताओं का ही प्रभाव रहा है. कांग्रेस के आफताब अहमद और भाजपा नेता जाकिर हुसैन का यहां पर प्रभाव है.

भाजपा का विधानसभा चुनाव 2014 और 2019 में इस क्षेत्र से खाता भी नहीं खुला था. उधर, कांग्रेस भी 2014 में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी जबकि 2019 में तीन सीटों पर जीत मिली थी. 2014 में यहां 2 सीटों पर इनेलो को जीत मिली थी जबकि तीसरी सीट निर्दलीय के पक्ष में गई थी. इस बार नूंह में कांग्रेस को मुस्लिमों का साथ तो वहीं बीजेपी को ध्रुवीकरण की आस है. 

 

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