Haryana & Jammu Kashmir Exit Poll 2024: भारत में पहली बार कब हुए थे एग्जिट पोल…कितने सटीक होते हैं ये…कैसे करते हैं कैलकुलेट…इन देशों में बैन हैं ये सर्वे…जानिए Exit Poll के बारे में सब कुछ

Haryana & Jammu Kashmir Exit Poll 2024: चुनाव के बाद एग्जिट पोल कराए जाते हैं. एग्जिट पोल को कई सर्वे एजेंसियां करती हैं. इस सर्वे से चुनाव की एक तस्वीर पता चलती है. आइए जानते हैं एग्जिट पोल क्या होता है और ये कितने सही होते हैं?

Exit Polls 2024 (Photo Credit: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST
  • एग्जिट पोल चुनाव नतीजों के रूझान होते हैं
  • वोटिंग के 30 मिनट बाद ब्रॉडकास्ट हो सकते हैं एग्जिट पोल

Haryana & Jammu Kashmir Exit Poll 2024: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir Assembly Election) की वोटिंग हो गई है. वहीं हरियाणा में विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) की वोटिंग चल रही है. हरियाणा में 5 अक्तूबर को 90 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. वहीं जम्मू और कश्मीर में तीन फेज में वोटिंग हुई. 

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में पहले फेज में 24 सीटों पर वोट डाले गए. वहीं दूसरे फेज में 26 सीटों पर और आखिरी चरण में 40 सीटों पर मतदान हुआ. दोनों जगहों के रिजल्ट 8 अक्तूबर को आएंगे.

वोटिंग खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर और हरियाणा के एग्जिट पोल आएंगे. न्यूज चैनल (News Channels Exit Polls) सर्वे एजेंसियों के साथ मिलकर एग्जिट पोल कराते हैं. एग्जिट पोल से चुनाव नतीजों की एक तस्वीर सामने आती है.

क्या एक्जिट पोल वाकई में एकदम सटीक होते हैं? एक्जिट पोल को कैसे किया जाता है और इसे कैलकुलेट कैसे करते हैं? आइए एग्जिट पोल के बारे में सब कुछ जानते हैं.

क्या है एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल एक चुनावी सर्वे होता है. इस सर्वे को वोटिंग वाले दिन किया जाता है. जब वोटर्स मतदान करके आता है तो उसकी राय जानी जाती है. उससे कई सवाल किए जाते हैं. उससे पूछा जाता है कि उसने किस कैंडिडेट को वोट दिया और किस पार्टी को सपोर्ट कर रहे हैं.

पोलिंग स्टेशन पर ये सर्वे इसलिए किया जाता है क्योंकि उस समय उनकी मेमोरी फ्रेश होती है. अधिकतर वोटर मतदान करने के बाद सही बताते हैं. हालांकि अब तो एजेंसियां ऑनलाइन भी सर्वे करती हैं. कई बार वोटर्स से फोन पर भी सवाल किए जाते हैं.  इसी आधार पर पूरा डेटा जुटाते हैं. सर्वे एजेंसी इसी डेटा के आधार पर चुनावी नतीजों का अनुमान लगाती हैं.

कितने सही होते हैं एग्जिट पोल?
एग्जिट पोल चुनाव नतीजों का एक रूझान भर होता है. इसे चुनावी नतीजे कहना गलत होगा. एग्जिट पोल हमेशा सही नहीं होते हैं. कई बार एग्जिट पोल और चुनावी नतीजों में जमीन आसमान का अंतर देखने को मिलता है.

देश भर में कई सर्वे एजेंसियां एग्जिट पोल करती हैं. अलग-अलग एजेंसियों के सैंपल साइज अलग होते हैं. यही वजह हैं कि कई बार सर्वे एजेंसियों के अनुमान में काफी अंतर दिखने को मिलता है. सैंपल साइज बड़ा होने पर एग्जिट पोल का अनुमान निकालने में आसानी होती है.

इस सर्वे में हर वोटर्स से सवाल नहीं पूछे जाते हैं. हर पोलिंग बूथ से कुछ लोगों से सवाल किए जाते हैं. इससे विधानसभा और लोकसभा चुनाव के अलग-अलग क्षेत्र के लोगों की राय पता चल जाती है. 

एग्जिट पोल को लेकर नियम
भारत में एग्जिट पोल को लेकर बीते सालों में कई कड़े नियम बन गए हैं. चुनाव आयोग ने इसको लेकर गाइडलाइन जारी की है. चुनाव आयोग के रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट 1951 (Representation of the Peoples Act, 1951) के सेक्शन 126A के मुताबिक, एग्जिट पोल को चुनाव के आखिरी दिन वोटिंग खत्म होने के 30 मिनट बाद ही ब्रॉडकास्ट किया जा सकता है. 

यदि कोई चुनाव एक से ज्यादा चरण में होता है तो आखिरी फेज के बाद ही एग्जिट पोल चलाया जा सकता है. एग्जिट पोल को टीवी चैनल्स पर दिखाया जा सकता है. साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म वेबसाइट और यूट्यूब पर भी एग्जिट पोल चलाने पर मनाही नहीं होती है.

एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में अंतर
एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल चुनावी सर्वे हैं. एग्जिट पोल वोटिंग के दिन किए जाते हैं. वोटर्स से पूछा जाता है कि उन्होंने किस उम्मीदवार या पार्टी को वोट दिया. वहीं ओपिनिय पोल वोटिंग से पहले होते हैं.

ओपिनियन पोल में लोगों के मन को टटोलने की कोशिश की जाती है. लोगों से पूछा जाता है कि वे किसको वोट देने के बारे में सोच रहे हैं. उनके मुद्दे क्या हैं? ओपिनियन पोल सही नहीं माने जाते हैं क्योंकि वोट डालने से पहले वोटर का मन बदल सकता है.

एग्जिट पोल की चुनौती
एग्जिट पोल की सबसे बड़ी चुनौती यही होती है कि इनको नतीजे के आसपास होना चाहिए. अगर चुनावी नतीजे और एग्जिट पोल में बड़ा अंतर होता है तो सर्वे एजेंसियों आलोचना झेलनी पड़ती है. कई बार ऐसा हुआ है कि नतीजे एग्जिट पोल से काफी अलग आए हैं.

एग्जिट पोल की एक चुनौती डेटा सैंपलिंग भी होती है. एक ही विधानसभा में अलग-अलग क्षेत्र वोटर्स की अलग-अलग राय होती है. ऐसे में उस जगह को चुनना कठिन काम होता है जो एग्जिट पोल में पूरे इलाके की सही तस्वीर को दिखा सके.


भारत में कब शुरू हुए एग्जिट पोल?
भारत में पहली बार एग्जिट पोल की शुरूआत सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने की थी. इस सोसायटी ने 1996 में एग्जिट पोल कराए थे. वहीं 1998 में भारत में पहली बार टीवी पर एग्जिट पाल को ब्रॉडकास्ट किया गया था.

इसके बाद से भारत में हर चुनाव में एग्जिट पोल होते हैं. 1996 से पहले भारत में पोस्ट पोल सर्वे हुआ करते थे. इंडिया में पोस्ट पोल पहली बार दूसरे लोकसभा चुनाव 1957 में हुए थे. उस समय पोस्ट पोल को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (IIPU) ने करवाए थे.

इन देशों में एग्जिट पोल हैं बैन
भारत से पहले दुनिया के कई देशों में एग्जिट पोल शुरू हो गए थे. पूरी दुनिया में पहली बार एग्जिट पोल 1936 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हुए थे. 1937 में ब्रिटेन और 1938 में फ्रांस में एग्जिट पोल की शुरूआत हुई थी.

कई देश ऐसे ऐसे भी हैं जहां पर एग्जिट पोल नहीं होते हैं. भारत की तरह जर्मनी में वोटिंग से पहले एग्जिट पोल नहीं किया जा सकता है. वहीं सिंगापुर में एग्जिट पोल पूरी तरह से बैन हैं. इसके अलावा बुल्गारिया में एग्जिट पोल कराने पर मनाही है. कुछ देशों में ओपिनियन पोल पर बैन लगाया हुआ है.

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