Haryana Siyasi Kisse: एक बार देवी लाल (Chaudhary Devi Lal) और बंसी लाल (Bansi Lal Haryana) कहीं जा रहे थे. बंसी लाल शांत बैठे हुए थे लेकिन ताऊ देवी लाल उनको बार-बार सलाह दे रहे थे. देवी लाल की बातों से बंसी लाल को गुस्सा आ गया. बंसी लाल ने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा और देवी लाल को बीच रास्ते में उतार दिया.
हरियाणा की राजनीति (Haryana Politics) के तीन लाल के कई किस्से हैं. कभी देवी लाल बंसी लाल पर भारी पड़ते हैं तो कभी भजन लाल (Bhajan Lal Haryana) दोनों को चित करते हैं. एक बार तो देवी लाल ने भजन लाल और बंसी लाल के खिलाफ ताल ठोक दी थी.
हरियाणा की राजनीति में तीन दशक इन तीनों लाल का असर रहा. इस दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसने हरियाणा को देश की सियासत में अलग मुकाम दिया. इन तीनों में बंसी लाल को सबसे अच्छे मुख्यमंत्री माना जाता है.
आइए हरियाणा के उस सियासी किस्से की पीछे की कहानी जानते हैं. जब बंसी लाल ने देवी लाल को बीच रास्ते में गाड़ी से उतार दिया था.
पहला विधानसभा चुनाव
इस किस्से के पीछे की कहानी साल 1967 से शुरू होती है. हरियाणा में पहले विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election 1967) के बाद कांग्रेस के बीडी शर्मा मुख्यमंत्री (Bhagwat Dayal Sharma Haryana) बनते हैं. कांग्रेस के विधायकों के दल बदलने की वजह से कुछ ही दिनों में उनकी सरकार गिर जाती है.
हरियाणा में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनती है. हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में राव बिरेन्द्र सिंह (Rao Birendra Singh Haryana) शपथ लेते हैं. राव बिरेन्द्र सिंह की सरकार करीब 9 महीने चली. हरियाणा विधानसभा को भंग कर दिया जाता है.
फिर से चुनाव
हरियाणा में सरकार गिरने के बाद मध्यावधि चुनाव का ऐलान होता है. देवी लाल कांग्रेस में आ जाते हैं लेकिन उनको चुनाव में टिकट नहीं दिया जाता है.चौधरी देवी लाल को तो टिकट नहीं मिला लेकिन अपने बड़े ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) को ऐलनाबाद से टिकट दिलवा दिया.
चुनाव के नतीजे में देवी लाल के बेटे को हार मिलती है लेकिन कांग्रेस को हरियाणा (Haryana Congress) में पूरा बहुमत मिलता है. कांग्रेस को 81 विधानसभा सीटों में से 41 सीटें मिलीं. अब कांग्रेस नेतृत्व को मुख्यमंत्री तय करना था.
बंसी लाल मुख्यमंत्री
भगवत दयाल शर्मा फिर से हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे थे. देवी लाल विधायक नहीं थे इसलिए वो मुख्यमंत्री की रेस में नहीं थे. विधायक दल की बैठक हुई. बीडी शर्मा को विधायक दल का नेता चुना गया.
बीडी शर्मा का मुख्यमंत्री बनना तय लग रहा था लेकिन हाईकमान उनके नाम पर राजी नहीं हुआ. कहा जाता है प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) बीडी शर्मा को मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहती थीं. तब बंसी लाल का नाम प्रस्तावित किया. बीडी शर्मा के समर्थन से बंसी लाल मुख्यमंत्री बन गए.
बीच रास्ते में देवी लाल
अब आते हैं उस किस्से पर. बंसी लाल हाल ही में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे. बंसी लाल ने देवीलाल को हरियाणा स्टेट खादी बोर्ड का चैयरमेन बना दिया. पॉवर ऑफ पॉलिटिक्स किताब में भीम सिंह दहिया इस किस्से का जिक्र करते हैं.
एक बार मुख्यमंत्री बंसी लाल और देवी लाल किसी काम से दिल्ली जा रहे थे. ताऊ देवी लाल हरियाणा के नये नवेले मुख्यमंत्री को किसी बात को लेकर बार-बार सलाह दे रहे थे. जब चौधरी देवी लाल ने सलाह मानने को लेकर जोर दिया तो बंसी लाल चिढ़ गए.
बंसी लाल ने गाड़ी के ड्राइवर को कार रोकने को कहा. ड्राइवर ने गाड़ी रोकी. ताऊ देवी लाल को समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है? मुख्यमंत्री बंसी लाल ने देवी लाल को गाड़ी से उतार दिया और दिल्ली चले गए.
ताऊ देवी लाल ने तेज धूप में बस से आगे की यात्रा की. उस समय हरियाणा में ये किस्सा काफी मशहूर हो गया था. इसके कुछ दिनों बाद बंसी लाल फिर से दिल्ली जा रहे थे. इस बार उनके साथ चौधरी सुल्तान सिंह थे.
बंसी लाल ने किससे मांगी सलाह?
आपस में बातचीत के दौरान बंसी लाल ने सुल्तान सिंह ने किसी मामले को लेकर सलाह मांगी. इस पर सुल्तान सिंह ने कहा कि अगर गाड़ी पेड़ की छांव में रोकी जाए तब सलाह देंगे.
मुख्यमंत्री बंसी लाल ने इसकी वजह पूछी. सुल्तान सिंह ने कहा कि अगर कार से उतार दिया तो कम से कम धूप में झुलसने से बच जाएंगे. ये सुनकर बंसी लाल हंस पड़े. इसके बाद बंसी लाल जब भी दिल्ली जाते तो अपने साथ सुल्तान सिंह को ले जाते थे.