हिमाचल में राज बदल गया और रिवाज कायम रहा. पांच सालों बाद सत्ता एक बार फिर कांग्रेस के हाथों में आ गई. जीत के बाद पार्टी के कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं. वहीं पार्टी आलाकमान की चुनौतियां बढ़ रही हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावेदारों की तादाद बढ़ती जा रही है. हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. शिमला में कांग्रेस विधायकों की बैठक हो रही है. बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ राज्य के प्रभारी राजीव शुक्ला भी शिमला पहुंचे हैं. आलाकमान ने विधायकों का मन टटोलने के लिए और उनसे बात करने के लिए छ्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को भी शिमला भेजा है. सीएम बनने की रेस में पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू, मौजूदा नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, ठाकुर कौल सिंह, आशा कुमारी आदि शामिल हैं.
प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह प्रबल दावेदार
हिमाचल प्रदेश का अगला सीएम बनने की रेस में सबसे आगे पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह चल रही हैं. मंडी लोकसभा सीट से सांसद प्रतिभा सिंह ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन अपने पति वीरभद्र सिंह की विरासत के तौर वो सीएम पद का दावा कर रही हैं क्योंकि कांग्रेस ने वीरभद्र के चेहरे का इस्तेमाल पूरे प्रचार अभियान में किया था. प्रतिभा सिंह को ज्यादातर विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो वीरभद्र सिंह के प्रति निष्ठावान रहे हैं.वीरभद्र सिंह लंबे समय तक इस पहाड़ी राज्य में कांग्रेस के निर्विवादित नेता रहे थे. प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य भी शिमला ग्रामीण से विधायक निर्वाचित हुए हैं.
मुकेश अग्निहोत्री
मौजूदा नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री पहले राजा वीरभद्र सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं. प्रतिभा सिंह के करीबी माने जाते हैं. उनका नाम भी सीएम के तौर पर आगे आ रहा है. चार बार के विधायक अग्निहोत्री ऊना जिले की हरोली सीट से लड़े हैं. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि राहुल गांधी सहित वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें पिछली विधानसभा में विपक्ष का नेता बनाए जाने के बाद पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी थी. उन्होंने कहा कि पार्टी में सभी ने इस जीत के लिए कड़ी मेहनत की है. हम विकास की राजनीति को आगे बढ़ाएंगे और राज्य में माफिया राज को खत्म करेंगे.अग्निहोत्री ब्राह्मण जाति से आते हैं.
सुखविंदर सिंह सुक्खू-
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस बार चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया गया था. सुक्खू को राहुल गांधी की पसंद माना जाता है. हालांकि उनके वीरभद्र सिंह से मतभेद थे और कहा जाता है कि प्रतिभा सिंह उनकी ताजपोशी का पुरजोर विरोध करेंगी. सुक्खू हमीरपुर जिले की नादौन सीट से चुनाव लड़े थे.सुक्खू राज्य में प्रभावशाली ठाकुर समुदाय से हैं.
ठाकुर कौल सिंह
ठाकुर कौल सिंह हिमाचल कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता हैं. हालांकि 77 साल के कौल सिंह मंडी जिले की दरांग सीट से चुनाव हार गए हैं. लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राज्य सरकार में मंत्री तक रह चुके हैं. राजा वीरभद्र सिंह के निधन के बाद प्रतिभा सिंह के समर्थन में मजबूती से खड़े हुए थे. अब उन्हें रिटर्न गिफ्ट मिल सकता है, लेकिन ज्यादा उम्र और चुनाव हारने की वजह से उनके खिलाफ जा सकता है.
आशा कुमारी-
चंबा जिले की डलहौजी सीट से छह बार की विधायक आशा कुमारी पंजाब कांग्रेस की प्रभारी रह चुकी हैं. महिला चेहरे के साथ ही आशा कुमारी का दावा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि वो छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री टी.एस. सिंह देव की बहन हैं. छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के कथित समझौते के बावजूद टी.एस. सिंह देव को सीएम की कुर्सी नहीं मिल पाई थी. माना जा रहा है कि इसकी भरपाई हिमाचल में की जा सकती है. हालांकि आशा कुमारी भी चुनाव हार गई हैं.
ये भी दावेदार
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ भी मुख्यमंत्री पद के लिए आशावान हैं. कुलदीप दावा कर रहे हैं कि उन्होंने पिछले कुछ सालों से गुटबाजी से जूझ रही पार्टी को एकजुट किया. वह ठियोग सीट से चुनाव जीते हैं. इसके अलावा हर्षवर्धन चौहान को भी छुपा रुस्तम माना जा रहा है. हर्षवर्धन चौहान सिरमौर जिले की शिलाई सीट से पांच बार के विधायक हैं. इनके पिता हिमाचल सरकार में मंत्री रह चुके हैं. सीएम पद की दावेदारी में एक और नाम सामने आ रहा है वो है राजेश धर्माणी का जो कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं और राहुल गांधी की टीम के करीबी हैं. धर्माणी बिलासपुर की घुमारवीं सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं हालांकि पिछला चुनाव हार गए थे.
हिमाचल में सीएम पद को लेकर शुरू हुए घमासान के बीच कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस का डर भी सता रहा है. जाहिर है सीएम पद के दावेदार अनेक हैं तो कांग्रेस आलाकमान की चुनौतियां भी कम नहीं हैं.