Himachal Election 2022: 3 बार CM, 9 बार MLA, वीरभद्र सिंह को दी मात... जानिए जोड़-तोड़ की सियासत के लिए मशहूर Thakur Ram Lal के किस्से

Himachal Pradesh Election: ठाकुर राम लाल हिमाचल प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे थे. उन्होंने जुब्बल-कोटखाई विधानसभा का 9 बार प्रतिनिधित्व किया था. राम लाल को आंध प्रदेश का मुख्यमंत्री भी बनाया गया था. ठाकुर राम लाल ने कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह को भी चुनाव में हराया था.

ठाकुर राम लाल और हिमाचल प्रदेश (फाइल फोटो)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 12:19 PM IST
  • ठाकुर राम लाल ने 3 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी
  • 9 बार विधायक रहे थे ठाकुर राम लाल

हिमाचल प्रदेश में जोड़-तोड़ की सियासत के जनक ठाकुर राम लाल को माना जाता है. पहली बार राम लाल ने ही सूबे में राजनीतिक दांव-पेंच दिखाया था और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे थे. ठाकुर राम लाल 9 बार विधायक रहे. उन्होंने वीरभद्र सिंह तक को हराया. लेकिन कभी भी वो एक भरोसेमंद राजनीतिक खिलाड़ी नहीं बन पाए. सूबे की सियासत में जोड़-तोड़ के माहिर खिलाड़ी ठाकुर राम लाल की कहानी जानते हैं.

ठाकुर राम लाल की सियासी पारी-
साल 1957 में पहली बार ठाकुर राम लाल जुब्बल कोटखाई से विधायक बने. ठाकुर साहब ने 9 बार विधानसभा पहुंचे और हर बार उन्होंने जुब्बल कोटखाई का प्रतिनिधित्व किया. राम लाल ने हर बार बड़े अंतर से चुनाव में जीत हासिल की. साल 1977 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस के खिलाफ लहर थी और कई दिग्गज चुनाव हार गए थे. उस वक्त भी ठाकुर राम लाल ने जुब्बल कोटखाई से 60 फीसदी से ज्यादा वोट पाकर जीत हासिल की थी. साल 1985 में राम लाल चुनावी मैदान में नहीं उतरे. उस बार वीरभद्र सिंह पहली बार इस सीट से विधानसभा पहुंचे थे. ठाकुर राम लाल ने साल 1990 में कांग्रेस छोड़ दिया था. लेकिन फिर साल 1993 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. साल 1998 में उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की.

वीरभद्र सिंह को हराया था-
ठाकुर राम लाल ने कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह को चुनाव मात दी थी. जब ठाकुर राम लाल को आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के पद से हटाया गया तो वो हिमाचल प्रदेश की सियासत में लौटे. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के इस्तीफा दे दिया और जनता दल का दामन थाम लिया. साल 1990 के विधानसभा चुनाव में ठाकुर साहब ने जुब्बल कोटखाई से पर्चा भरा. उनके खिलाफ कांग्रेस ने दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में ठाकुर राम लाल ने वीरभद्र सिंह को हरा दिया. हालांकि वीरभद्र सिंह ने रोहड़ू से भी चुनावी मैदान में उतरे थे और वहां से जीत हासिल की थी. 

3 बार सीएम बने ठाकुर राम लाल-
ठाकुर राम लाल ने हिमाचल प्रदेश की सीएम पद की जिम्मेदारी तीन बार संभाली थी. लेकिन एक बार फिर उन्होंने कार्यकाल पूरा नहीं किया. वो 1048 दिन तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे. ठाकुर राम लाल पहली बार 28 जनवरी 1977 को मुख्यमंत्री बने. साल 1980 में राम लाल के पास फिर से सीएम बनने का मौका आया. इसके बाद वो करीब 3 साल तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे. लेकिन 7 अप्रैल 1983 को पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

नसबंदी कानून को बढ़ चढ़कर लागू किया-
25 जून 1975 को देश में आपातकाल लागू हुआ. उसके बाद संजय गांधी ने कई कानून लागू किए. इसमें से एक विवादित कानून नसबंदी को लेकर भी था. इस नसबंदी कानून को हिमाचल प्रदेश में भी बढ़ चढ़कर लागू किया गया था और उस वक्त स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर राम लाल थे. उन्होंने इस कानून की खूब तारीफ की थी और इसे जोरशोर से लागू किया था.

पहली बार सीएम बनने की कहानी-
21 मार्च 1977 को देश में आपातकाल हटा लिया गया था. इसके बाद हिमाचल प्रदेश में चुनाव हुए. इस चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ. कांग्रेस ने दिग्गज नेता डॉ. यशवंत सिंह परमार को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया और ठाकुर राम लाल को सीएम बना दिया. सीएम बनने के लिए ठाकुर राम लाल ने बड़ा सियासी दांव चला था. ठाकुर राम लाल ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने 22 विधायकों की परेड कराई थी. इसके बाद हिमाचल प्रदेश की सियासत बदल गई. चुनाव से 3 महीने पहले डॉ. यशवंत परमार को हटाकर ठाकुर राम लाल को मुख्यमंत्री बनाया दिया गया. ठाकुर साहब की अगुवाई में सूबे में चुनाव हुए और कांग्रेस की बुरी हार हुई. ठाकुर राम लाल को सीए पद छोड़ना पड़ा. 

जोड़-तोड़ से फिर CM बने राम लाल-
सीएम पद से हटने के बाद ठाकुर राम लाल ने आस नहीं छोड़ी. उन्होंने इंतजार किया और वक्त आने पर सियासी दांव के जरिए सत्ता बदल दी. 1977 चुनाव हारने के 3 साल के भीतर ठाकुर साहब ने दांव चल दिया. उन्होंने जनता दल के 22 विधायकों को तोड़  लिया और एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए. 14 फरवरी 1980 को राम लाल ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 

राम लाल की अगुवाई में कांग्रेस की जीत-
हिमाचल प्रदेश में साल 1982 में 5वीं बार विधानसभा के चुनाव हुए. चुनाव से पहले जनता पार्टी का विघटन हो गया. बीजेपी नई पार्टी बनी. जनता पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो गए. इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला था. बीजेपी ने शांता कुमार को चेहरा बनाया था. जबकि ठाकुर राम लाल सूबे के मुख्यमंत्री थे और कांग्रेस के दिग्गज नेता थे. चुनाव हुए तो ठाकुर राम लाल का रुतबा कायम रहा. 68 विधानसभा सीटों में से 31 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. जबकि बीजेपी को 29 सीटों पर जीत हासिल हुई. 6 निर्दलीय विधायकों में से 5 ने ठाकुर राम लाल का समर्थन किया. ठाकुर साहब तीसरी बार सूबे के मुख्यमंत्री बन गए.

कथित घोटाले में बेटे का आया नाम-
ठाकुर राम लाल तीसरी बार मुख्यमंत्री तो बन गए. लेकिन इस बार भी उनका कार्यकाल ज्यादा दिन नहीं चल पाया. इस बार एक गुमनाम चिट्ठी ने ठाकुर साहब को मुसीबत में फंसा दिया. दरअसल जनवरी 1983 में शिमला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस व्यास देव मिश्रा को एक चिट्ठी मिली. जिसमें सीएम ठाकुर राम लाल के बेटे जगदीश, दामाद पदम सिंह और एक जंगल ठेकेदार मस्तराम टांडा पर अवैध तौर से देवदार के पेड़ों को काटने और बेचने का आरोप लगा था. इस कथित घोटाले को लेकर हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए तो सियासी हंगामा खड़ा हो गया. 12 जनवरी 1983 को जज ने जजमेंट में सरकार पर सवाल उठाए. जिसके बाद विरोधियों ने ठाकुर राम लाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

दिल्ली में एक बयान और चली गई कुर्सी-
इस कथित टिंबर घोटाले के सामने आने के बाद सूबे की सियासत में खलबली मच गई. ठाकुर राम लाल दिल्ली गए और सफाई दी. ठाकुर राम लाल का एक बयान केंद्र सत्ता के लिए मुसीबत बन गया. विरोधियों ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया और फिर ठाकुर राम लाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. दरअसल ठाकुर राम लाल ने दिल्ली में कहा था कि मुझे राजीव गांधी ने भरोसा दिया है कि परेशान नहीं किया जाएगा. इस बयान के बाद विरोधी दलों ने केंद्र की कांग्रेस सरकार पर घोटाले के आरोपी को बचाने का आरोप लगाने लगे. इसके बाद ठाकुर राम लाल को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा.

साल 1983 में बनाए गए राज्यपाल-
मुख्यमंत्री के पद से हटाए जाने के बाद ठाकुर राम लाल को साल 1983 में आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया. लेकिन एक साल बाद ही 1984 में एक विवाद के बाद उनको पद से हटा दिया गया. दरअसल ठाकुर राम लाल ने बहुमत वाली एनटी रामाराव की सरकार को बर्खास्त कर दिया था. जब सीएम एनटी रामाराव हार्ट सजर्री के लिए अमेरीका गए थे तो राज्यपाल रामलाल ने एन भास्कर राव को मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया. आनन-फानन में एनटीआर वापस लौटे और राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. हंगामे के बाद ठाकुर राम लाल को राज्यपाल के पद से हटाना पड़ा. 

राम लाल ने एलएलबी की डिग्री ली थी-
ठाकुर राम लाल का जन्म 7 जुलाई 1929 को ऊपरी शिमला के बरथाटा गांव में हुआ था. राम लाल ने जालंधर से एलएलबी की डिग्री हासिल की थी. 6 जुलाई 2002 को ठाकुर राम लाल ने आखिरी सांस ली. 

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