Siyasi Kisse: जब CM Sheikh Abdullah को एक और Governor BK Nehru को 2 ततैया ने काट लिया था? क्या था साल 1981 में Jammu Kashmir की सियासत का ये किस्सा, जानें

Jammu Kashmir Election 2024: साल 1981 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ब्रज कुमार नेहरू थे और मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला थे. गवर्नर बनने के बाद पहली बार बीके नेहरू और मुख्यमंत्री को जम्मू के अमर सिंह क्लब में डिनर में शामिल होना था. लेकिन ये दोनों इस डिनर में शामिल नहीं हो पाए. इस डिनर से मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ततैया के काटने का किस्सा सामने आया.

Sheikh Abdullah and BK Nehru
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:38 PM IST

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. सियासी दल जोरशोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैं. ऐसे में पुराने सियासी किस्से फिर से ताजा हो गए हैं. ऐसा ही एक किस्सा साल 1981 का है, जब सूबे के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला को एक ततैया ने काट लिया था और उसके कुछ ही मिनटों बाद राज्यपाल बीके नेहरू को भी 2 ततैया ने काट लिया था. कीड़े के काटने की वजह से सीएम और राज्यपाल एक डिनर पार्टी में नहीं जा सके थे. चलिए हम आपको वो पूरा किस्सा बताते हैं कि क्यों ततैया ने सीएम और राज्यपाल को काटा और डिनर पार्टी से इसका क्या कनेक्शन था?

डिनर पार्टी से ततैया के काटने का कनेक्शन-
स्थानीय सीनियर जर्नलिस्ट जफर चौधरी ने ये किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि 26 फरवरी 1981 को बीके नेहरू जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बनकर पहुंचे थे. उसके कुछ दिनों बाद जम्मू के अमर सिंह क्लब में एक मीटिंग और डिनर का आयोजन था. डिनर में गवर्नर और मुख्यमंत्री को आना था. पहली बार राज्यपाल के तौर पर बीके नेहरू की सीएम शेख अब्दुल्ला से मुलाकात होनी थी. ततैया के काटने का कनेक्शन इस डिनर पार्टी से था.

डिनर की भव्य तैयारी थी. सूबे के सभी बड़े मेहमान आए थे. डिनर का वक्त शाम 8 बजे तय था. गवर्नर और सीएम के पहुंचने का कार्यक्रम तय था. सारे मेहमान आ चुके थे, सिर्फ मुख्यमंत्री और राज्यपाल का आना बाकी था. लेकिन असली खेल इसके बाद शुरू हुआ.

8 बजे का डिनर था, 9 बजे तक घर से नहीं निकले CM-
जब डिनर का समय नजदीक आ गया तो गवर्नर बीके नेहरू ने एडीसी से मुख्यमंत्री आवास में फोन करने और पूछने को कहा कि क्या मुख्यमंत्री घर से निकल गए हैं? प्रोटोकॉल के मुताबिक किसी भी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के पहुंचने के बाद गवर्नर पहुंचते हैं. इसी को ध्यान में रखकर बीके नेहरू ने सीएम शेख अब्दुल्ला के घर से निकलने के बारे में पूछने को कहा. सीएम आवास से मुख्यमंत्री के ओएसडी ने बताया कि सीएम साहब नहीं निकले हैं.

घड़ी में 8 बज चुके थे. राजभवन से फिर सीएम हाउस में फोन गया और मुख्यमंत्री के निकलने के बारे में पूछा गया. जवाब मिला- सीएम साहब नहीं निकले हैं. इसके बाद कई बार राजभवन से सीएम हाउस को फोन किया गया. लेकिन हर बार सीएम हाउस से वही जवाब मिला. उधर, अमर सिंह क्लब की तरफ से भी लगातार फोन आ रहे थे. इस तरह समय बीतता गया और 9 बज गए.

फिर आया ततैया के काटने का किस्सा-
जब वक्त ज्यादा बीतने लगा तो गवर्नर बीके नेहरू परेशान हो गए. साढ़े 9 बजे फिर से उन्होंने सीएम हाउस से बात करने को कहा. इसके बाद एडीसी ने सीएम हाउस में फोन लगाया और पूछा कि सीएम साहब घर से निकल गए? तो जवाब मिला कि सीएम साहब कार्यक्रम में नहीं जा पाएंगे. इसपर राजभवन की तरफ से पूछा गया कि क्या हो गया? तो सीएम हाउस से जवाब मिला- मुख्यमंत्री को ततैया नहीं काट लिया है. हालांकि सच्चाई ये थी कि मुख्यमंत्री को ततैया ने नहीं काटा था. बल्कि सीएम हाउस की तरफ से फ्रस्टेशन में ये बात कही गई थी, ताकि मजाक में राजभवन समझ जाए कि सीएम साहब डिनर में नहीं जा रहे हैं.

उधर, क्लब की तरफ से बार-बार राजभवन से पूछा जा रहा था कि गवर्नर साहब कब पहुंचेंगे? एडीसी ने गवर्नर से पूछा कि मैं इसका क्या जवाब दूं. इसपर बीके नेहरू ने कहा कि आप क्लब वालों को बोलो कि मुझे 2 ततैया ने काट लिया है. इस तरह से गवर्नर ने भी मजाक में क्लब में जाने से इनकार कर दिया. डिनर में राज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों नहीं पहुंचे.

डिनर में पहले क्यों नहीं जाना चाहते थे CM और गवर्नर-
डिनर में मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोनों में से कोई भी पहले नहीं जाना चाहता था. इसलिए दोनों तरफ से देर किया जा रहा था. दरअसल सूबे का संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता है. इसलिए किसी भी प्रोग्राम में पहले मुख्यमंत्री पहुंचते हैं, उसके बाद गवर्नर का जाना होता है. लेकिन शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर में एक बड़ी शख्सियत थे और वो खुद को ये मानते थ कि उनका कद गवर्नर से बड़ा है. इसलिए वो किसी भी कार्यक्रम में राज्यपाल के बाद जाते थे. लेकिन जब बीके नेहरू राज्यपाल बने तो उन्होंने गवर्नर पद की प्रोटोकॉल का पालन करने पर जोर दिया. इसकी वजह से अमर सिंह क्लब के डिनर पार्टी में ये वाक्या हुआ.

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