झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 (Jharkhand Assembly Elections 2024) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. कुल 81 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान होना है. पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग 20 नवंबर को होनी है. चुनाव के नतीजे 23 नवंबर 2024 को आएंगे. चुनावी बिगुल बजते ही सियासी दंगल शुरू हो चुका है. चाहे बीजेपी हो या जेएमएम या कांग्रेस सभी दल अधिक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं.
इस बार चुनाव में मुख्य मुकाबला हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में है. जेएमएम जहां इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) के साथ है तो वहीं भाजपा एनडीए (NDA) संग है. आज हम आपको झारखंड के एक ऐसे नेता से जुड़े किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं, जो निर्दलीय विधायक होते हुए भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गए थे. जी हां, हम बात मधु कोड़ा (Madhu Koda) की कर रहे हैं, जिन्होंने अर्जुन मुंडा की सरकार गिराकर खुद यूपीए के समर्थन में झारखंड के पहले निर्दलीय सीएम बन गए थे.
कौन हैं मधु कोड़ा
मधु कोड़ा का जन्म 6 जनवरी 1971 को झारखंड के पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर स्थित पाताहातू में हुआ था. उनके पिता रसिका कोड़ा एक आदिवासी किसान थे. घर-बार चलाने के लिए रसिका कोड़ा ने कोयले की खादानों में मजदूरी भी की. मधु कोड़ा का बचपन गांव में ही बिता. घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण मधु कोड़ा को भी कोयले के खादानों में काम करना पड़ा.
हालांकि उन्होंने किसी तरह ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली. रसिका कोड़ा अपने बटे मधु कोड़ा को दरोगा बनाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने मधु कोड़ा को प्रेरित भी किया लेकिन मधु कोड़ा को तो नेता बनना था. वह बेइंतहा पैसे कमाना चाहते थे. मधु कोड़ा आल झारखंड स्टूडेंट यूनियन से जुड़ गए. इस तरह से उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की. कोड़ा मजदूरों के बीच नेतागिरी के दौरान बाबूलाल मरांडी के संपर्क में आए और जल्द ही मरांडी के करीबी बन गए. बाद में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए. वह संघ के लिए लगातार काम करते रहे.
जब पहली बार बने विधायक
बाबूलाल मरांडी की पैरवी पर बीजेपी ने पहली बार साल 2000 में मधु कोड़ा को जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा. कोड़ा जीत दर्ज करने में सफल रहे. बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य बना. राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी बने.
मरांडी से नजदीकियों के चलते मधु कोडा को राज्यमंत्री बनाया गया. हालांकि बाबूलाल मरांडी बहुत दिनों तक सीएम की कुर्सी पर नहीं रहे. उनके खिलाफ पार्टी के अंदर विद्रोह के कारण उन्हें साल 2003 में मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी. इसके बाद अर्जुन मुंडा सीएम चुने गए. मुंडा सरकार में भी मधु कोड़ा के सितारे चमकते रहे. वे इस सरकार में भी पंचायतीराज मंत्री बनाए गए.
जब कोड़ा को बीजेपी ने नहीं दिया था टिकट बीजेपी
झारखंड में 2005 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने मधु कोड़ा को टिकट नहीं दिया. इससे नाराज होकर कोड़ा निर्दलीय जगन्नाथपुर से चुनावी मैदान में कूद गए. वह चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल हुए. इस चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिली. जब 2 मार्च 2005 को शिबू सोरेन के नेतृत्व वाले कांग्रेस-झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन को राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए बुलाया तो वे सदन में बहुमत साबित नहीं कर सके और सोरेन सरकार गिर गई. एक बार फिर अर्जुन मुंडा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया.
हालांकि उनके पास भी विधायकों की संख्या कम थी. कोड़ा ने अपनी शर्तों पर समर्थन दिया. अपने तीन साथियों से समर्थन दिलवाया, जिसके बाद सरकार बन गई और बहुमत साबित हो गया. इसका उन्हें लाभ कोड़ा को मिला. मधु कोड़ा को खान एवं भूवैज्ञानिक मामलों का मंत्री बनाया गया. निर्दलीय विधायकों के सहारे बनी मुंडा सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी. सरकार बनने के एक साल के अंदर ही मधु कोड़ा और तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया और मुंडा सरकार गिर गई.
ऐसे बने थे मधु कोड़ा राज्य के सीएम
अर्जुन मुंडा सरकार गिरने के बाद एक बार फिर राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया. शिबु सोरेन दोबारा सीएम बनने की जुगाड़ करने में जुट गए. हालांकि सोनिया गांधी तब सोरेन को सीएम के लिए समर्थन देने के पक्ष में नहीं थी. ऐसे में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बड़ा दांव चलते हुए मुख्यमंत्री के लिए निर्दलीय विधायक के तौर पर मधु कोड़ा का नाम सुझाया. इस पर गठबंधन के सभी दलों कांग्रेस, झामूमो, राष्ट्रीय जनता दल, जअुआ मांझी ग्रुप, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और आल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक ने हामी भर दी. तीन निर्दलीय विधायकों ने भी कोड़ा को समर्थन दिया.
इस तरह से छह दलों और तीन निर्दलीयों के समर्थन से मात्र 35 साल की उम्र में मधु कोड़ा सीएम की कुर्सी पर बैठ गए. इस तरह से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के सहयोग से मधु कोड़ा ने निर्दलीय सीएम बनकर इतिहास रच दिया. मधु कोड़ा 18 सितंबर 2006 को झारखंड के 5वें मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि उनकी सरकार अधिक दिनों तक नहीं चल सकी. साल 2008 में झारंखड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन ने कोड़ा सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया. खुद के मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश किया. कोड़ा सरकार अल्पमत में आ गई. अंत में 27 अगस्त 2008 को मधु कोड़ा को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ गया.
दोषी ठहराए जाने पर रोक लगाने की मांग
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा अभी जेल में हैं. कोड़ा को उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था. उनपर मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ आय से अधिक संपत्ति जमा करने के भी आरोप थे. मधु कोड़ा कथित तौर पर एक खनन घोटाले में शामिल थे और उनपर रिश्वत के बदले खनन का ठेका देने का आरोप लगाया था.
कोड़ा को 30 नवंबर 2009 को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया. फिर 2013 में उन्हें रिहा कर दिया गया था. फिर साल 2017 में एक मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था और 25 लाख रुपये के जुर्माने के साथ तीन साल की जेल की सजा हुई थी. मधु कोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट से राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कोयला आवंटन घोटाले के मामले में दोषी ठहराए जाने पर रोक लगाने की मांग की है. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि उन्होंने इस केस की फाइल नहीं पढ़ी है. इसलिए मामले की सुनवाई शुक्रवार को करेंगे.