Election History: दिलचस्प है चुनाव का इतिहास, जानें आजादी से पहले कैसे होता था मतदान

अगर हम आज से 120 साल पहले की बात करें तो उस समय केवल 50 लोगों को ही मतदान का अधिकार होता था. ये 50 लोग ऐसे होते थे, जो इलाके के मुखिया, जमींदार, बड़े साहूकार, बड़े काश्तकार हुआ करते थे. यानी की वो लगो जो लोग लगान यानी टैक्स देते थे, केवल उन्हें ही मतदान का अधिकार होता था.

दिलचस्प है चुनाव का इतिहास, जानें आजादी से पहले कैसे होता था मतदान
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST
  • 1909 में इलेक्शन एक्ट के बाद शुरू हुए चुनाव
  • मतदाता सूची में केवल 50 लोग होते थे
  • केवल 4 लोग ही लड़ते थे चुनाव

इन दिनों विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, तीन चरणों का मतदान हो चुका है, वहीं 4 चरणों में भी अभी चुनाव होने हैं. ऐसे में कई बार आपके मन में सवाल जरूर आता होगा की आजादी के पहले चुनाव कैसे होते थे. 1950 में देश का संविधान लागू होने के बाद 1952 से इलेक्शन शुरू हुआ. इस इलेक्शन में लोकतंत्र के तहत सभी को मतदान करने का अधिकार दिया गया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनाव का इतिहास क्या है. 

दिलदार नगर स्थित अल दीनदार शमसी अकैडमी एंड रिसर्च सेंटर में 1904 से 1945 तक अलग-अलग मतदाता सूचियां हैं, जो हिंदी और उर्दू में भी हैं. इन मतदाता सूचियों से पता चलता है कि उस वक्त में कैसे-कैसे मतदाता हुआ करते थे और किसे मतदान करने का अधिकार था. इस अकैडमी में इन दौरान हुए  जमानिया परगना में हुए चुनाव के रिकॉर्ड मौजूद हैं. 1857 में अंग्रेजों ने लोकल सेल्फ गवर्नमेंट पॉलिसी पारित किया था, जो कि 1884 में पूरी तरह लागू हो गई थी. 

1909 में इलेक्शन एक्ट के बाद शुरू हुए चुनाव
1909 में इलेक्शन एक्ट पारित होने के बाद इलेक्शन शुरू हुए. उस वक्त मतदाता सूची में केवल 50 लोगों के नाम होते थे, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों मतदाता शामिल होते थे. अकैडमी में मिली मतदाता सूची में 50 लोगों में से 19 हिंदू हैं, और बाकी मुसलमान. वहीं 1945 में सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली के नाम की जो वोटर लिस्ट है, इसमें केवल मुस्लिम मतदाता हैं.

क्या है चुनाव का इतिहास?
अगर हम आज से 120 साल पहले की बात करें तो उस समय केवल 50 लोगों को ही मतदान का अधिकार होता था. ये 50 लोग ऐसे होते थे, जो इलाके के मुखिया, जमींदार, बड़े साहूकार, बड़े काश्तकार हुआ करते थे. यानी की वो लगो जो लोग लगान यानी टैक्स देते थे, केवल उन्हें ही मतदान का अधिकार होता था. ये ही लोग वोटर होते थे, और उन्हीं लोगों में से चुनाव लड़ने वाले लोग भी होते थे. उन्हीं लोगों में से लोग चुनाव जीतकर क्षेत्र के विकास के लिए काम करते थे.

केवल 4 लोग ही लड़ते थे चुनाव
1920 में डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का चुनाव हुआ था, उस वक्त केवल 50 लोगों की मतदाता सूची होती थी, जिनमें से केवल 4 लोगों को ही चुनाव लड़ते थे. जिसमें लोकल बोर्ड और डिस्ट्रिक्ट बोर्ड हुआ करता था. इनमें मात्र 4 प्रत्याशी होते थे, और 46 वोटर होते थे. उन्हीं लोगों में से लोकल बोर्ड का एक मुखिया होता था. ये डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य या लखनऊ में बैठते थे, या फिर दिल्ली जाते थे. उस वक्त चुनाव प्रचार नहीं हुआ करते थे, बल्कि इश्तिहार चला करते थे, जो कि हाथों से लिखे या प्रिंटिंग प्रेस में छपे होते थे.

 

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