UP Politics: मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए बीजेपी की माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति, 6 मंत्रियों को सौंपी गई जिम्मेदारी

Milkipur By Election: उत्तर प्रदेश में मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी ने 6 मंत्रियों की एक टीम मनाई है. इस टीम की अगुवाई मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे. बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति अपनाई है.

Yogi Adityanath
समर्थ श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 06 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:35 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है. पार्टी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में 6 मंत्रियों की एक टीम का गठन किया है. इसमें सूर्यप्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह, जेपीएस राठौर, डॉ. दयाशंकर मिश्रा दयालु, मयंकेश्वर शरण सिंह और सतीश शर्मा शामिल हैं.

बीजेपी की रणनीति-
बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति अपनाई है. जिसमें बूथ लेवल पर टोली बनाकर जनता से सीधा संवाद और जनसंपर्क करने पर जोर दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे हर बूथ से लेकर गांव-गांव जाकर जनता से संवाद और संपर्क करें और सरकार की नीतियों के बारे में समझाएं.

बीजेपी की इस रणनीति का मकसद 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर हार का बदला लेना है. उस समय समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अवधेश प्रसाद अयोध्या सीट से सांसद चुने गए.

दयाशंकर मिश्रा को मिल्कीपुर की जिम्मेदारी-
यूपी सरकार में मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्रा दयालु जिन्हें भी मिल्कीपुर की जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने बताया बीजेपी ने बूथ कमिटियों का गठन कर लिया है. मिल्कीपुर में चुनाव की तैयारी पहले से ही हो रखी थी. सीएम योगी खुद भी 3 बार इधर जा चुके हैं. शक्ति केंद्र के संयोजकों की बैठकें हो चुकी हैं. कामों का बंटवारा हो गया है, संगठन की बैठकें हो चुकी हैं, सामाजिक बैठके चल रही हैं. लोगों तक सरकार की योजनाओं को पहुंचाने का काम दिया गया है.

अयोध्या में कितना बड़ा चैलेंज?
जातियों के समीकरण पर डॉ. दयाशंकर मिश्रा ने बताया कि कुंदरकी और कटहरी की जीत के बाद सामाजिक समीकरण टूट गए है, जाति का तिलिस्म टूट चुका है. जातियों के नाम पर वोट लेना लोगों के साथ फरेब है. हर व्यक्ति कहीं न कहीं से लाभार्थी है, वह इससे खुश है.

समाजवादी पार्टी से टक्कर के सवाल पर उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव और भी जगह जीत सकते थे. वह वहां क्यों नहीं जीत पाए? उनकी हताशा है. ये लोग समाज को बांटने का काम करते थे. लोकसभा में हार पर उन्होंने कहा कि परिणाम ऊपर नीचे हो सकता है, जहां कमियां थी, वहां फिर से मेहनत हो रही है. जनादेश हमारे फेवर में ही था. मिल्कीपुर को लेकर प्रोग्राम बना रहे हैं, वहां रहकर काम किया जाएगा.

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