चुनाव आयोग ने दिल्ली चुनावों के लिए नामांकन पत्रों की जांच पूरी कर ली है. उन 275 उम्मीदवारों के पर्चे खारिज हो गए हैं जिन्होंने नॉमिनेशन गलत भरा थ. दिल्ली के चुनावी मैदान में नामांकन पत्रों की जांच के बाद कुल 706 उम्मीदवार मैदान में रह गए हैं. यानि 70 सीटों पर औसतन लगभग 10 उम्मीदवार नाम वापस लेने की प्रक्रिया से पहले वैध उम्मीदवार के तौर पर सामने आए हैं.
नई दिल्ली सबसे अधिक तो कस्तूरबा नगर सबसे कम उम्मीदवारों वाली सीट
हाई प्रोफाइल नई दिल्ली सीट पर नामांकन पत्रों की वैधता के आधार पर सबसे अधिक 23 उम्मीदवार मैदान में हैं. यह वही सीट है जहां से दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने बीजेपी और कांग्रेस से प्रवेश साहिब सिंह वर्मा और संदीप दीक्षित चुनाव मैदान में हैं.
नई दिल्ली एकमात्र ऐसी सीट बची है जहां 20 या उससे अधिक उम्मीदवार मैदान में रहते हैं. सबसे कम उम्मीदवार नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में ही कस्तूरबा नगर विधानसभा में आमने-सामने खड़े हैं. यहां नामांकन पत्रों की जांच के बाद सिर्फ पांच उम्मीदवारों की लड़ाई दिख रही है.
कौन कौन सी सीट पर अधिक उम्मीदवार
नई दिल्ली के अलावा अगर बात की जाए तो कई सारी ऐसी सीट हैं जहां 15 से अधिक उम्मीदवार अब भी मैदान में हैं. दूसरे नंबर पर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की करावल नगर सीट है जहां से 17 उम्मीदवार मैदान में बचे हैं. यहां से बीजेपी ने आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रहे कपिल मिश्रा को टिकट दिया है.
बाहरी दिल्ली की मुंडका और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के रोहतास नगर सीट पर 16-16 उम्मीदवार दिखाई दे रहे हैं. वहीं लक्ष्मी नगर सीट पर 15 उम्मीदवार मैदान में नामांकन की जांच के बाद बचे हैं.
कौन कौन सी सीट पर कम उम्मीदवार
वैसे तो सबसे कम पांच उम्मीदवार कस्तूरबा नगर सीट पर हैं. लेकिन कुल पांच सीटें ऐसी हैं जहां पर 6 उम्मीदवार मैदान में दिखाई दे रहे हैं. वो सीटें हैं करोल बाग, गांधीनगर, ग्रेटर कैलाश, मंगोलपुरी और तिलक नगर. इसके अलावा 5 ही सीट पर 7 उम्मीदवारों के नामांकन वैध पाए गए. ऐसी सीटों के नाम हैं, चांदनी चौक, त्रिलोकपुरी, कृष्णा नगर, राजेंद्र नगर और मालवीय नगर.
क्या ये नाम हैं फाइनल?
अब इन उम्मीदवारों की संख्या तभी कम हो सकती है जब कोई उम्मीदवार सोमवार तक अपना नाम वापस ले. यानि अब इन वैध उम्मीदवारों के उम्मीदवारी नामांकन पत्रों में कमी या गड़बड़ी को आधार बना कर ख़ारिज नहीं की जा सकती. यानि अब बचे उम्मीदवारों का मन चुनाव लड़ने को लेकर बदले तभी कमी संभव है.