Uttar Pradesh Election 2027: उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए भाजपा ने तैयार की नई रणनीति, दलितों के वोट पर भी रहेगी नजर.. सपा और कांग्रेस को रखना चाहती है दूर

भाजपा ने उत्तर प्रदेश 2027 के चुनाव के लिए नई रणनीति तैयार की है. इसके लिए उनके लोकसभा चुनाव से सीख ली है. साथ ही इस बार वह दलित वर्ग को टार्गेट करने वाली है. जिसके लिए उसने पिच पर धर्मपाल सिंह को उतारा है.

कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

2024 लोकसभा चुनाव की तरह 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी दलितों का नैरेटिव बीजेपी के खिलाफ ना हो जाए. इसे भांपकर यूपी बीजेपी संगठन ने अभी से ही नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. राहुल गांधी दलितों के नए मसीहा बने इससे पहले ही बीजेपी उनके दलित प्रेम की हवा को अपने नए दलित विमर्श के जरिए निकलना चाहती है. भाजपा सामाजिक न्याय संगोष्ठी के जरिए अपने विमर्श को दलितों के बीच ले जा रही है.

पहली बार प्रदेश बीजेपी का संगठन सीधे दलित युवाओं, दलित छात्रों, दलित और पिछड़े वर्ग के प्रोफेसरों और शिक्षाविदों को जोड़ रहा है. और उनसे संवाद कर बीजेपी की विचारधारा उनके जरिए ही दलितों के बीच ले जाने की रणनीति बनाई गई है. यही नहीं दलित छात्र और दलित एकेडेमिया के जरिए ही दलित विमर्श में भाजपा की विचारधारा को भी स्थान देने की रणनीति है.

दलितों के बीच इस कार्यक्रम के सूत्रधार बीजेपी संगठन के प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह हैं. जो खुद भी अति पिछड़ी बिरादरी से आते हैं. और उनकी कोशिश है एक ऐसा दलितों का बड़ा वर्ग तैयार करना जो कांग्रेस और सपा के दलित नेरेटिव को तोड़ सके. सामाजिक न्याय संगोष्ठी का पहला कार्यक्रम लखनऊ में हुआ जिसे भाजपा नेता और राजनाथ सिंह के छोटे बेटे नीरज सिंह ने कराया जिसमें संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह और बीजेपी के दलित चेहरे और मंत्री असीम अरुण शामिल हुए. यह काम बेहद गुपचुप तरीके से चल रहा है और मीडिया को ऐसे संगोष्ठियों से दूर रखा गया है.

कांग्रेस और सपा को मुंह तोड़ जवाब देने की तैयारी

बीजेपी संगठन की कोशिश है कि सभी कॉलेज, यूनिवर्सिटी, पॉलिटेक्निक और शिक्षण संस्थानों में दलित और ओबीसी के युवाओं और छात्रों को एकजुट कर उन्हें भाजपा की विचारधारा से जोड़ा जाए. और वह एक ऐसी वैचारिक आर्मी के तौर पर तैयार हो जो कांग्रेस और सपा के दलित नैरेटिव का जवाब दे सके. इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर जोर भी दिया जा रहा है. लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा के हाथों बुरी तरीके से पिछड़ने के बाद बीजेपी के संगठन ने ये नई रणनीति तैयार की. जिसमें दलितों की वह फौज तैयार होगी जो कांग्रेस और सपा के नैरेटिव को ध्वस्त करे.

लोकसभा चुनाव से ली जा रही सीख

राहुल गांधी अभी भी संविधान, जातीय जनगणना और दलितों के आरक्षण के मुद्दे को लेकर उसी तरीके से आक्रामक हैं जैसा वो लोकसभा चुनाव के वक्त थे. अपने आक्रामक अंदाज के जरिए ही राहुल गांधी ने बीजेपी के खिलाफ नैरेटिव तैयार किया था. और माहौल बीजेपी के खिलाफ हो जाने से यूपी में बीजेपी की लुटिया लगभग डूब ही गई थी. लेकिन भाजपा संगठन को लगता है कि अगर शहर-शहर दलित और ओबीसी का ये संगठन तैयार हो गया तो यह सपा और कांग्रेस के नैरेटिव का मुकाबला कर सकेगा. इससे सबक लेते हुए बीजेपी के संगठन ने अब दलितों को लेकर अपने पक्ष में नेरेटिव बनाने के लिए नई रणनीति बनाई है. 

 

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