हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच 'पंचायत आजतक' का मंच सजा है. इस कार्यक्रम में सूबे की तमाम हस्तियां शामिल हुईं. इसमें पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी शिरकत की. इस दौरान जब उनसे विनेश फोगाट के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने का सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आज से 5 साल पहले जब विनेश के घुटने का ऑपरेशन हुआ था, तब दीपेंद्र हुड्डा कहां थे? दुष्यंत चौटाला ने कहा कि खेल का दंगल अलग होता है और पॉलिटिक्स का दंगल अलग होता है.
'विनेश के घुटने का ऑपरेशन हुआ था तो कहां थे दीपेंद्र'
जब दुष्यंत चौटाला से पूछा गया कि विनेश फोगाट के ताऊ महावीर फोगाट ने कहा था कि जब राज्यसभा भेजना था, तब तो भेजा नहीं. लेकिन अब वो कांग्रेस के टिकट चुनाव लड़ रही हैं. इसपर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आाज से 5 साल पहले जब विनेश फोगाट के घुटने का ऑपरेशन होना था तो उनकी मदद किसने की थी? सिर्फ एक संगठन इंडियन नेशनल स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन था, जो हमारा छात्र संगठन है. बच्चों ने कॉलेजों में 5 लाख रुपए इकट्ठा किए थे, उस समय दीपेंद्र कहां थे?
मैं सिर्फ पूछना चाहता हूं कि आज जो लोग आगे आए हैं, सबको पॉलिटिक्स में आना चाहिए. खेल का दंगल अलग है, राजनीति का दंगल अगल है. वहां वन टू वन लड़ाई होती है, यहां 2 लाख वोटर के सामने जाकर उनका विश्वास जीतना पड़ता है. इसमें बहुत अंतर होता है.
इस दौरान दुष्यंत चौटाला ने पहलवान आंदोलन को लेकर इस्तीफे की बात पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि उस आंदोलन में मेरे इस्तीफे का औचित्य ही नहीं था. पहलवान जिस फेडरेशन के खिलाफ लड़ रहे थे वो हरियाणा में नहीं, बल्कि दिल्ली में रजिस्टर्ड था.
मुझे इस्तीफा देना चाहिए था-
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान मुझे इस्तीफा देना चाहिए था, मेरी गलती थी. जनभावनाएं थीं. अब समझ आया है. अगर मैं किसान आंदोलन के समय छोड़ देता हूं तो मेरे 7 एमएलए उसी समय भाग जाते, जेजेपी का सिंबल भी बीजेपी ले जाती. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बिजेंद्र सिंह, जो बीजेपी के सांसद थे, हासी के अंदर किसान आंदोलन के खिलाफ ट्रैक्टर चलाने वाला वो, किसानों के खिलाफ लाए गए बिल पर संसद में वोट करने वाला वो, आज वो अगर कांग्रेस में शामिल हो गया तो क्या वह पाक-साफ हो गया? मैं तो आज भी वहीं खड़ा हूं, पहले भी झेल रहा था, आज भी झेल रहा हूं.
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