Maharashtra Siyasi Kisse: जब NCP और Congress ने Uddhav Thackeray को समर्थन पत्र देने से कर दिया इंकार…और फिर महाराष्ट्र में लग गया President Rule, जानिए ये सियासी किस्सा

महाराष्ट्र में अब तक दिन बार राष्ट्रपति शासन (Maharashtra President Rule) लगा है. आखिरी बार राष्ट्रपति शासन 2019 में लगा था. शिवसेना (Shiv Sena) ने कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) से लेटर ऑफ सपोर्ट मांगा लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. महाराष्ट्र के इस सियासी किस्से के बारे में पढ़िए.

President Rule in Maharashtra 2019 (Photo Credit: PTI)
ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:55 PM IST
  • 2019 में महाराष्ट्र में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा
  • शिवसेना कांग्रेस-एनसीपी से समर्थन पत्र नहीं ले पाई

महाराष्ट्र में सियासत चरम पर है. महाराष्ट्र में सिर्फ़ दो ही मुख्यमंत्री ऐसे हैं जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. महाराष्ट्र में सत्ता उथल पुथल भरी रहती है. यही वजह है कि महाराष्ट्र में तीन बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है.

महाराष्ट्र में पहली बार राष्ट्रपति शासन 1980 में लगा था. दूसरी बार राष्ट्रपति शासन 2014 में लागू हुआ था. 2019 में आखिरी बार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन (President Rule Maharashtra) लगा. 2019 की महाराष्ट्र की सियासत काफी बदलाव भरी है.

उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) महाराष्ट्र में शिवसेना का सीएम बनाना चाहते थे. इसके लिए वो महायुति से नाता तोड़कर महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए. शरद पवार और सोनिया गांधी ने उद्धव को समर्थन देने का वायदा किया लेकिन जब सपोर्ट देने का वक़्त आया तो उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया. 

इसके बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया. महाराष्ट्र में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन कैसे लगा? इस पर नज़र डालते हैं.

2019 का चुनाव
महाराष्ट्र में 2019 में लोकसभा चुनाव और कुछ महीनों के बाद विधानसभा चुनाव हुए. दोनों चुनाव शिवसेना और बीजेपी ने साथ मिलकर लड़े. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को कुछ सीटों का नुक़सान हुआ लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी की सबसे ज़्यादा 105 सीटें आईं.

शिवसेना दूसरे नंबर की पार्टी बनी. शिवसेना ने 56 सीटें जीतीं. एनसीपी ने 54 और कांग्रेस के खाते में 44 सीटें आईं. एनसीपी और कांग्रेस ने विपक्ष में रहने का फ़ैसला किया लेकिन उद्धव ठाकरे की शर्त ने सब कुछ बदल कर रख दिया. उद्धव ठाकरे ने ढाई-ढाई साल के सीएम की बात की. काफ़ी बातचीत के बाद भी बीजेपी और शिवसेना में नहीं बन पाई.

महाविकास अघाड़ी
शिवसेना एक तरफ़ बीजेपी के साथ बयानबाजी कर रही थी. शिवसेना सामना (Saamana Shiv Sena) मुख्य पत्र से बीजेपी (BJP) पर लगातार हमले कर रही थी. दूसरी तरफ़ अंदरखाने कांग्रेस और एनसीपी के साथ बात चल रही थी. काफी बातचीत के बाद शरद पवार शिवसेना को समर्थन देने के लिए राज़ी हो गए.

शिवसेना सिर्फ़ एनसीपी के साथ मिलकर सरकार नहीं बना सकती थी. शिवसेना को कांग्रेस की भी ज़रूरत थी. कांग्रेस को साथ लाने की ज़िम्मेदारी शरद पवार (Sharad Pawar) ने उठाई. कांग्रेस के कई नेता इस प्रस्ताव के विरोध में थे. कांग्रेस किसी भी तरह से बीजेपी को महाराष्ट्र में सत्ता से दूर रखना चाहती थी. 

एनसीपी के बाद कांग्रेस (Congress) भी शिवसेना के साथ एक टेबल पर आ गई. आगे चलकर इसको महाशिव अघाड़ी कहा गया. बाद में इसका नाम बदलकर महाविकास अघाड़ी (MVA) किया गया. उद्धव ठाकरे इस गठबंधन के साथ सरकार बनाने का सपना देख रहे थे.

राज्यपाल का न्यौता
21 अक्टूबर का राज्य में चुनाव के नतीजे आ गए थे. 15 दिन बीतने के बाद भी किसी दल ने सरकारी बनाने का दावा नहीं किया था. उस समय भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल थे. 9 नवंबर 2019 को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एक्टिंग सीएम देवेन्द्र फडणवीस को सरकार बनाने के लिए बुलाया.

राज्यपाल ने देवेन्द्र फडणवीस को सरकार बनाने का दावा करने के लिए दो दिन का समय मांगा.  अगले दिन बीजेपी ने गवर्नर को बता दिया कि वो सरकार बनाने में सक्षम नहीं हैं. शाम को गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने दूसरी बड़ी पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. राज्यपाल ने शिवसेना को एक दिन का समय दिया.

सपोर्ट लेटर
शिवसेना को सरकार बनाने का दावा करने के लिए 24 घंटे का समय लगा. इसके लिए शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों का समर्थन पत्र चाहिए थे. शिवसेना इस काम में लग गई. शिवसेना के बड़े नेताओं के बीच तीन घंटे की मीटिंग हुई.

उस दिन का एक क़िस्सा प्रियम गांधी मोडी की बुक पावर ट्रेडिंग में है. प्रियम गांधी बताती हैं कि उसी रात देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को एक फोन आता है. फोन के दूसरी तरफ अजीत पवार थे. अजीत पवार कहते हैं, हमारा कैडर बीजेपी को सपोर्ट करने के लिए तैयार है. अजीत पवार ये भी कहते हैं कि तीन पार्टियों का अरैंजमेंट कभी नहीं हो सकता.

देवेन्द्र फडणवीस पूछते हैं, तो कल आप सेना को लेटर ऑफ सपोर्ट नहीं दे रहे हैं. हां, हम सेना को समर्थन पत्र नहीं दे रहे हैं. संभव है कि कांग्रेस भी ऐसा ही करेगी. अजीत पवार ने जवाब दिया. बात ख़त्म हो जाती है.

क्यों नहीं मिला समर्थन पत्र? 
अगले दिन शिवसेना के मिलिंद सावर्केर और सांसद अनिल देसाई दिल्ली पहुँचते हैं. दिल्ली में कांग्रेस के अहमद पटेल के साथ मीटिंग करते हैं. काफ़ी देर बातचीत के बाद सोनिया गांधी और उद्धव ठाकरे की फ़ोन पर बात होती है. सोनिया गांधी समर्थन पत्र देने के लिए तैयार हो जाती हैं. 

सोनिया गांधी उद्धव ठाकरे से कहती हैं, हमारा लेटर जल्दी ही तैयार हो जाएगा. शरद पवार से बात करने के बाद आपको मिल जाएगा. उसी दिन मुंबई के ताज लैंड होटल में उद्धव और आदित्य ठाकरे शरद पवार से मिलते हैं. मीटिंग में शरद पवार के अलावा अजीत पवार भी थे. काफ़ी देर बातचीत के बाद शरद पवार उद्धव ठाकरे को समर्थन पत्र देने से मना कर देते हैं. 

शरद पवार कहते हैं, टाइम बहुत कम हैं. हमें मिलकर एक फ़ैसला लेना है. उससे पहले तीनों पार्टियों का एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (CMP) तैयार करना होगा. बाद में सोनिया (Sonia Gandhi) गांधी और शरद पवार फ़ोन पर बात करते हैं. सोनिया गांधी शरद पवार से समर्थन पत्र देने के बारे में पूछती हैं. शरद पवार जवाब देते हैं, हम आज लेटर ऑफ सपोर्ट नहीं देंगे. हमारी लगभग बराबर सीटें हैं. हमें सेना से अभी कई मुद्दों पर बात करनी है. इसके बाद कांग्रेस भी लेटर ऑफ सपोर्ट देने से मना कर देती है.

शिवसेना का दावा
डेडलाइन से पहले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) राजभवन पहुंचते हैं. कमलेश सुथार की 36 डेज़ में बताया गया है कि आदित्य ठाकरे के करीबी राहुल कनाल राज भवन के बाहर लैपटॉप और प्रिंटर के साथ थे. शिवसेना को अभी भी कांग्रेस और एनसीपी से लेटर ऑफ सपोर्ट आने की उम्मीद थी. हालाँकि, ऐसा नहीं हुआ.

एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे ने राज्यपाल से सरकार बनाने का दावा किया लेकिन उनके पास समर्थन पत्र नहीं था. आदित्य ठाकरे ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से 2-3 दिन का समय मांगा. राज्यपाल ने शिवसेना के इस अनुरोध को ठुकरा दिया. शिवसेना नेता राज भवन से चले गए.

राष्ट्रपति शासन
इस घटनाक्रम के एक घंटे के बाद अजीत पवार को एक फोन कॉल आया. अजीत पवार को राज्यपाल ने मिलने बुलाया. गवर्नर कोश्यारी ने अजीत पवार (Ajit Pawar) को भी सरकार बनाने का दावा करने के लिए 24 घंटे का समय दिया. अगले दिन एनसीपी (NCP) ने राज्यपाल को सूचना दी कि वो सरकार नहीं बनाएंगे.

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 12 नवंबर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा. केन्द्र सरकार की कैबिनेट ने इसे मंज़ूरी दे दी. इसके बाद राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अपील पर मुहर लगा दी. इस तरह महाराष्ट्र में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लग गया.

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