EXCLUSIVE: बेगुनाहों की रिहाई की लड़ाई सियासत तक आई, चुनावी मैदान में उतरे 'रिहाई मंच' के फाउंडर राजीव यादव

राजीव का कहना है कि देश में सरकार ने आंदोलनकारियों के लिए रिकवरी लॉ लागू किया है. बड़े पैमाने पर देखा जाए तो ये पूरे देश के उन नौजवानों के लिए खतरा है जो नौकरी या अपनी कोई भी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. रेलवे परीक्षा को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों के बारे में जिक्र करते हुए राजीव ने कहा कि इलाहाबाद में करीब 1000 लड़कों के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया. और ये सिर्फ बीजेपी की सरकार में नहीं हो रहा है, ये आने वाली सभी पार्टियों के शासन में होगा.

राजीव यादव
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST
  • आजमगढ़ के निजामाबाद से निर्दलीय उम्मीदवार हैं राजीव यादव
  • निजामाबाद सीट से बीजेपी की तरफ से मनोज यादव हैं मैदान में
  • निजामाबाद में अंतिम चरण में यानी 7 मार्च को होना है मतदान

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की निजामाबाद सीट पर एक उम्मीदवार इन द‍िनों चर्चा का व‍िषय बने हुए हैं. ये उम्मीदवार हैं रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव जो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी ताल ठोक रहे हैं. निजामाबाद में अंतिम चरण में यानी 7 मार्च को मतदान होना है. निजामाबाद सीट से बीजेपी की तरफ से मनोज यादव मैदान में हैं और सपा ने मौजूदा व‍िधायक आलमबदी को अपनी तरफ से मैदान में उतारा है.

राजीव यादव पिछले एक दशक के ज्यादा समय से जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष कर उन्हें राजनीति के केंद्र में लाने की कोशिश कर रहे हैं.  राजीव एक डॉक्यूमेंट्री मेकर भी हैं. साल 2000 में राजीव ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी जिसमें भगवा कपड़ा पहने एक साधू आम लोगों के बीच उनको उकसाने वाले स्पीच दिया करता था. राजीव कहते हैं कि उनका राजनीति में आने का सफर दुश्वार‍ियों से भरा था, लेकिन आज भी उनकी लड़ाई आम जनता की सुरक्षा को लेकर है. राजीव रिहाई मंच के जरिए पिछले 17 सालों से मानवाधिकारों, लोकतांत्रिक अधिकारों , बेगुनाहों और गरीबों के लिए आवाज उठाते आए हैं. राजीव का मेन फोकस नफरत की राजनीति को खत्म करना है और अल्पसंख्यकों को उनका अधिकार दिलाना है और यही उनका चुनावी एजेंडा है.
 
बड़े पैमाने पर यूथ का म‍िल रहा साथ

सपा के मुस्लिम और दलितों के वोट बैंक वाले सवाल पर राजीव ने कहा कि जमीनी तौर पर ऐसा कह सकता हूं कि आज का युवा मेरे साथ है. राजीव ने कहा कि वो आगे की प्लानिंग एकदम नीतिगत आधार पर करेंगे. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस रिहाई मंच को समर्थन दे रहा है. राजीव को आम आदमी पार्टी की तरफ से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है. फिलहाल राजीव अपने समर्थन के लिए 12 पार्टियों से बातचीत कर रहे हैं.

निजामाबाद से चुनावी मैदान में उतरने की है खास वजह

निजामाबाद से चुनाव लड़ने के सवाल पर राजीव ने कहा कि इसका अहम कारण बाटला हाउस में निजामाबाद के कई मासूम लड़कों को मार दिया जाना था. इसके अलावा आजमगढ़ के निजामाबाद को आंतकवाद की नर्सरी का नाम दिया जाता रहा है. ये एक तरह से हमारी पहचान पर हमला था. राजीव का कहना है कि कहीं भी जाने पर लोग हमें उसी नजर से देखते थे, उसी से जुड़े सवाल करते थे. एक तरह से लोग हमें आतंकवाद के रुप में जानने पहचानने लगे थे,  इसी को हटाने के लिए रिहाई मंच की शुरुआत भी की गई और आज उसी पहचान के लिए मैंने निजामाबाद को अपना चुनाव क्षेत्र चुना है.

धर्मांतरण कानून को खत्म करने जोर

राजीव कहते हैं कि आज जितनी भी बड़ी पार्टियां हैं वो अपने आप में पूरे समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं. पार्टी चाहे कोई भी हो वो समाज के असली मुद्दे नहीं उठाती हैं. राजीव ने लव जिहाद कानून की बात करते हुए कहा कि इस कानून में सबसे ज्यादा शोषण मुस्लिमों का हुआ है. इसमें ना सिर्फ एक लड़का इस कानून का शिकार होता है साथ ही पूरा परिवार इसकी चपेट में आ जाता है. धर्मांतरण कानून पर राजीव का कहना है कि ये पूरा कानून हमारे संविधान के खिलाफ है. हमारा संविधान हमें अपने मन से धर्म चुनने और बदलने की आजादी देता है. इसलिए मेरा फोकस है कि मैं ऐसे कानून को जड़ से खत्म करूंगा. ताकि किसी भी धर्म के लोगों का शोषण ना किया जाए.

रिकवरी लॉ देश के नौजवानों के लिए भी खतरनाक

राजीव का कहना है कि देश में सरकार ने आंदोलनकारियों के लिए रिकवरी लॉ लागू किया है. बड़े पैमाने पर देखा जाए तो ये पूरे देश के उन नौजवानों के लिए खतरा है जो नौकरी या अपनी कोई भी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. रेलवे परीक्षा को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों के बारे में जिक्र करते हुए राजीव ने कहा कि इलाहाबाद में करीब 1000 लड़कों के ऊपर मुकदमा दर्ज किया गया. और ये सिर्फ बीजेपी की सरकार में नहीं हो रहा है, ये आने वाली सभी पार्टियों के  शासन में होगा, क्योंकि कोई पार्टी रिकवरी लॉ को हटाने की बात नहीं करती. राजीव का कहना है कि आज इन कानूनों की वजह से सिर्फ मुसलमान ही नहीं, दलित और पिछड़ी जातियां भी सरकार की नीतियों का शिकार हो रही हैं.

कभी योगी के खिलाफ पहुंचे थे कोर्ट

राजीव ने अपने करियर के बारे में बात करते हुए कहा कि पत्रकारिता की पढ़ाई के पहले से ही वो कई सामाचार पत्रों में लिख रहे थे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट राजीव ने फर्स्ट ईयर में ही डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनाना शुरू कर द‍िया था. राजीव ने ‘सैफ़रॉन वारः ए वार अगेंस्ट नेशन’ और ‘पार्टिशन रिवीजीटेड’ नाम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई. सैफ़रॉन वार यूपी की सियासत में काफी चर्चित डॉक्यूमेंट्री है. यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री और गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने इस  डॉक्यूमेंट्री पर विरोध जताया, और राजीव यादव और उनके साथियों को इस्लामिक फंडेड व नक्सलियों का समर्थक बताया.

इस सब के बावजूद राजीव यादव पूरी हिम्मत के साथ पूर्वांचल में साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ते रहे, और योगी आदित्यनाथ पर साम्प्रदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उनके ख‍िलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गए. राजीव यादव ने 2015 में अपने साथी के साथ मिलकर ‘ऑपरेशन अक्षरधाम’ नामक पुस्तक भी लिखी.

आरक्षण के मुद्दे पर सक्रिय

राजीव इस लड़ाई को चुनावी लड़ाई ना मानते हुए एक आंदोलन के रूप में देख रहे हैं. राजीव लंबे समय से कई आंदोलनों का हिस्सा रहे हैं. 2018 में सवर्ण आरक्षण, 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ, नीट में आरक्षण जैसे सामाजिक न्याय के सवालों पर राजीव लगातार सक्रिय रहे. 13 प्वाइंट रोस्टर के लिए आयोजित भारत बंद के आयोजन में रिहाई मंच की यूपी में अहम भूमिका थी.

एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करने के खिलाफ 2 अप्रैल 2018 को हुए भारत बंद, 2019 में नागरिकता आंदोलन और 2020 में किसान आंदोलन में भी हिस्सा लिया. 2019 में नागरिकता आंदोलन के दौरान लखनऊ समेत पूरे सूबे में हुई हिंसा को लेकर रिहाई मंच निशाने पर आया और उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ जिसमें रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब समेत कई लोग महीनों जेल में भी रहे. योगी सरकार ने मंच पर कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय तक को लिखा. इन सब कार्रवाइयों के दौर में भी रिहाई मंच लगातार सक्रिय रहा.

 

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