Siyasi Kisse: VP Singh... Chandrashekhar सब थे Devi Lal को PM बनाने को तैयार... मैं ताऊ हूं... मुझे ताऊ ही रहने दो... यह कहते हुए प्रधानमंत्री का पद सौंप दिया था विश्वनाथ प्रताप सिंह को... ऐसे थे हमारे देवीलाल

Harayana Assembly Election 2024: Devi Lal को आज भी ऐसे राजनेता के तौर पर याद किया जाता है जिसने कुर्सी से अधिक अपने सिद्धांतों को महत्व दिया. देवीलाल ने जहां पीएम का पद ठुकरा कर वीपी सिंह को प्रधानमंत्री बनाया था, वहीं मुलायम सिंह को यूपी का मुख्यमंत्री बनाने से लेकर 1990 में लालू प्रसाद यादव को बिहार का सीएम बनाने तक में इनका अहम रोल रहा. 

Devi Lal and VP Singh (file photo)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:35 AM IST
  • 1989 में आम चुनाव के परिणाम आने के बाद संयुक्त मोर्चा दल की हुई थी बैठक
  • विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर दोनों ही ताऊ देवीलाल के अंडर में काम करने को थे राजी

Harayana Election Story: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 (Harayana Assembly Election 2024) की तारीखों का ऐलान हो चुका है. तमाम राजनीतिक पार्टियां चुनावी महासंग्राम को जीतने में जुट गईं हैं. हर कोई अपनी जीत का दावा कर रहा है.

बीजेपी हो या कांग्रेस या कोई और दल सभी अपने उम्मीदवार को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाह रहे हैं लेकिन हम आज हरियाणा के एक ऐसे दिग्गज नेता के किस्से बताने जा रहे हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री के पद तक को ठुकरा दिया था. जी हां, हम बात कर रहे हैं हरियाणा के लाल कहे जाने वाले ताऊ देवीलाल की. 

खुद ही पद को स्वीकार करने से कर दिया था मना 
दरअसल, ये बात 1989 के आम चुनाव की है. उस दौरान देवीलाल (Devi Lal) की प्रमुख भूमिका के कारण देश में कांग्रेस की सरकार नहीं बन पाई थी. इस समय लोकसभा में 10 प्रतिनिधि भेजने वाले चौधरी देवीलाल अकेले नेता थे जिनसे देश की राजनीति प्रभावित थी. चुनावों के परिणाम आने के बाद संयुक्त मोर्चा दल की बैठक हुई.

बैठक में विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh) यानी वीपी सिंह (VP Singh) ने चौधरी देवीलाल को संसदीय दल का नेता चुनने का प्रस्ताव तैयार किया. उस प्रस्ताव को चंद्रशेखर (Chandrashekhar) का समर्थन भी मिला. विश्वनाथ प्रताप सिंह और चंद्रशेखर दोनों ही ताऊ देवीलाल के अंडर में काम करने को राजी थे लेकिन देवीलाल ने खुद ही पद को स्वीकार करने से मना कर दिया.

क्यों ठुकराया था PM का पद
प्रस्ताव सुनने के बाद बैठक के बीच देवीलाल सबको धन्यवाद करने के लिए खड़े हुए हुए. उन्होंने बेहद ही सरल भाव में कहा कि मैं सबसे बुजुर्ग हूं, मुझे सब ताऊ बुलाते हैं, मुझे ताऊ बने रहना ही पसंद है और मैं ये पद विश्वनाथ प्रताप सिंह को सौंपता हूं.

इसके बाद वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने. ताऊ देवीलाल इस दौरान 19 अक्टूबर 1989 से 21 जून 1991 तक देश के उपप्रधानमंत्री रहे. राजनीति के जानकारों का मानना है कि देवीलाल एक ऐसे नेता रहे हैं, जो अपनी जुबान के पक्के थे. उन्होंने 1989 में जो किया वो किसी भी नेता के लिए करना लगभग नामुमकिन होता.

एक बार और देवीलाल को मिला था पीएम बनने का मौका
देवीलाल को एक बार और पीएम बनने का मौका मिला था. 1989 में पीएम बनने के बाद वीपी सिंह की पारी बहुत लंबी नहीं चली और 11 महीने के बाद ही उनकी सरकार गिर गई और फिर चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने. हालांकि राजनीति में हालात बदले और चंद्रशेखर को चार माह के अंदर ही इस्तीफा देना पड़ा. चंद्रशेखर ने 10 नवंबर 1990 को भारत के 8वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और 6 मार्च 1991 को पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.

यही वो मौका था जब देवीलाल प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी बात रख सकते थे, लेकिन तब भी उन्होंने ऐसा नहीं किया. कहा जाता है कि जब देवीलाल ने चंद्रशेखर को इस्तीफा देने से मना किया तो चंद्रशेखर का जवाब था कि मैं तो इस्तीफा दे रहा हूं आप चाहें तो राजीव गांधी से खुद के लिए बात कर सकते हैं. लेकिन देवीलाल ने ऐसा नहीं किया. 

इसलिए कहा गया किंगमेकर
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक देवीलाल ने उत्तर भारत की राजनीति में बड़ा बदलाव लाने का काम किया. मुलायम सिंह को यूपी का सीएम बनाने से लेकर 1990 में लालू प्रसाद यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने तक में इनका अहम रोल रहा. साल 1989 में जब अजीत सिंह और मुलायम सिंह आमने-सामने खड़े हो गए तो देवीलाल ने अपना समर्थन मुलायम को देकर उनके मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ किया.

इतना ही नहीं, 1990 में जब लालू यादव के पास जनला दल के विधायकों का समर्थन नहीं था तो लालू की परेशानी को हल करने का काम देवीलाल ने किया. बेटे दुष्यंत चौटाला के मुताबिक, चौधरी बीरेंद्र और भगवत दयाल को मुख्यमंत्री बनने में देवीलाल अहम रोल रहा. पहली बार बंसीलाल को राज्यसभा भेजने और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के पीछे भी देवीलाल ही ही थे. इन्हीं सब कारणों से भारतीय राजनीति में देवीलाल को किंगमेकर कहा गया. चौधरी देवीलाल दो बार (21 जून 1977 से 28 जून 1979 और 17 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 1989) हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. 

 

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