UP MLC Election 2024: विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग को लेकर Samajwadi Party अलर्ट, नहीं छोड़ना चाहती कोई कसर, क्या BJP फिर करेगी खेल?

उत्तर प्रदेश में 13 सीटों के लिए 21 मार्च को चुनाव होने हैं. इसके लिए नामांकन भरने का प्रोसेस शुरू हो चुका है. नामांकन की आखिरी तारीख 11 मार्च है. विधानसभा में विधायकों की संख्या पर नजर डालें तो इस चुनाव में बीजेपी के 10 सदस्य और समाजवादी पार्टी के 3 सदस्य जीत सकते हैं. लेकिन समाजवादी पार्टी को राज्यसभा चुनाव की तरह इस बार भी क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है.

Akhilesh Yadav
समर्थ श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

राज्यसभा चुनाव के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी के लिए इम्तिहान की घड़ी आ गई है. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटों के लिए चुनाव होने वाला है. इसके लिए 21 मार्च की तारीख तय की गई है. 4 मार्च से 11 मार्च के बीच नॉमिनेशन भरने का समय है. अगर विधायकों की संख्या पर नजर डालें तो 3 एमएलसी की सीट समाजवादी पार्टी के लिए पक्की है. लेकिन राज्यसभा चुनाव में अखिलेश यादव की पार्टी के विधायकों ने जिस तरह से क्रॉस वोटिंग की, उसको देखते हुए पार्टी असमंजस में है.

विधान परिषद की 13 सीटों पर चुनाव-
यूपी में विधान परिषद चुनाव में समाजवादी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, बलराम यादव और गुड्डू जमाली को टिकट दे सकती है. यूपी में विधान परिषद की 13 सीटों पर 21 मार्च को चुनाव होना है. इन 13 सीटों में 10 सीटें बीजेपी के खाते में जा सकती हैं. जबकि 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीत सकते हैं. हालांकि राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने SP को तीसरी सीट पर झटका दिया था. ऐसे में विधान परिषद चुनाव में भी सबकी नजर इसपर है कि बीजेपीया 11वां प्रत्याशी मैदान में उतारती है या नहीं?

अखिलेश ने बढ़ाया समाजवादी कुनबा-
पिछले महीने के आखिरी दिनों में गुड्डू जमाली ने बहुजन समाज पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा था. गुड्डू जमाली वही शख्स हैं, जिनके चुनाव लड़ने की वजह से आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को हार झेलनी पड़ी थी. बलराम यादव भी आजमगढ़ से ही आते हैं. बलराम यादव मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री रहे चुके हैं. उनके बेटे संग्राम यादव भी विधायक हैं.

किसका खत्म हो रहा है कार्यकाल-
उत्तर प्रदेश की जिन 13 एमएलसी का कार्यकाल पूरा हो रहा है. उसमें बीजेपी के 10 सदस्य शामिल हैं. जबकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और अनुप्रिया पटेल के अपना दल के एक-एक सदस्य शामिल हैं. लेकिन विधानसभा में संख्याबल पर नजर डालें तो बीजेपी के 10 सदस्य एमएलसी चुने जा सकते हैं. जबकि 3 सदस्य समाजवादी पार्टी के चुने जा सकते हैं. विधान परिषद चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का हाथ खाली ही रहने वाला है.

विधान परिषद चुनाव में कौन डालता है वोट-
विधान परिषद के चुनाव में विधानसभा के सदस्य वोट देते हैं. विधान परिषद की 13 सीटों पर हो रहे चुनाव में एक सीट जीतने के लिए 29 विधायकों के समर्थन की जरुरत पड़ेगी. इस तरह से बीजेपी को 10 और समाजवादी पार्टी के 3 सीटों पर जीत मिल सकती है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी अपने सहयोगी दलों को साधे रखने के लिए एक-एक सीट अपना दल और आरएलडी को दे सकती है. एनडीए के पास यूपी में फिलहाल 288 विधायकों का समर्थन हासिल है और राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सभी विधायक भी उनके साथ में ही हैं.

क्या है सियासी दलों का समीकरण-
यूपी में एमएलसी चुनाव के समीकरण की बात करें तो विधानसभा के कुल 403 सदस्यों में से फिलहाल 399 सदस्य हैं. राज्यसभा की तरह ही एमएलसी चुनाव का फॉर्मूला होता है. एक एमएलसी सीट के लिए 29 वोट चाहिए होते हैं. यूपी विधानसभा में बीजेपी के पास 252, अपना दल के पास 13, आरएलडी के पास 9, निषाद पार्टी के पास 6,  एसबीएसपी के पास 6 और राजा भैया के पास दो विधायक हैं. इस तरह से बीजेपी वाले एनडीए के पास 288 विधायक हो रहे हैं. जबकि समाजवादी पार्टी के पास 108 विधायक हैं और कांग्रेस के पास दो विधायक हैं. इस तरह समाजवादी पार्टी को 110 विधायकों का समर्थन मिलता दिख रहा है. लेकिन जिस तरह राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई है. उसके चलते SP को अपने ही विधायकों के पूरे वोट मिल भी पाएंगे या नहीं? इसको लेकर पार्टी में संदेह की स्थिति बनी हुई है. अखिलेश यादव रणनीति बनाने में लगे हैं कि किस तरह से अपने विधायक को क्रॉस वोटिंग से रोका जाए.

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