अपने खिलाफ बड़े गुस्से को भांपते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी सीट बदल डाली. बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य की बीजेपी छोड़ने के बाद अपना मास्टरस्ट्रोक खेला और पडरौना के राज दरबार यानि वहां के राजा और कांग्रेस के कद्दावर नेता आरपीएन सिंह को अपने पाले में किया. इसके बाद से पडरौना का सियासी समीकरण बदल गया. लोगों की नाराजगी भांपते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी सीट बदल दी.
आरपीएन के आते ही स्वामी प्रसाद ने तय की ली थी सीट
फाजिलनगर विधानसभा के सियासी समीकरण को देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने पडरौना सीट छोड़ी है. यह फैसला उसी दिन हो गया था जिस दिन आरपीएन सिंह कांग्रेस से बीजेपी में आए थे. पडरौना में तीन बार से जीत रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए चुनौतियां ज्यादा हो गई थी. बीजेपी में रहते हुए मुस्लिम वोटों को अपने साथ नहीं जोड़ सके थे. ऐसे में उनके सामने अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की चुनौती है. इसी वजह से उन्होंने सीट बदलने का फैसला किया.
क्या है फाजिलनगर का सियासी समीकरण?
फाजिलनगर विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा की संख्या अधिक है जबकि मुस्लिम निर्णायक वोटर की भूमिका में रहते हैं. ब्राह्मणों के अलावा सैंथवार की भी अच्छी खासी संख्या है. मुस्लिम वोटर्स की तादाद 14 प्रतिशत है और विधायक चुनने में इनकी भूमिका बड़ी निर्णायक होती है.
बीजेपी से पहले था सपा का कब्जा
फाजिलनगर में गंगा कुशवाहा दो बार से विधायक हैं, लेकिन यहां बीजेपी से पहले सपा के दिग्गज नेता विश्वनाथ का कब्जा का था. विश्वनाथ 6 बार मुस्लिम वोटों के सहारे विधायक बने. बीजेपी के गंगा सिंह कुशवाहा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के विश्वनाथ को 41,922 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. उससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में गंगा सिंह को बसपा के कलामुद्दीन से कड़ी टक्कर मिली थी. उस वक्त जीत का अंतर 5,500 वोटों से भी कम रहा. 2007 में यहां से सपा के टिकट पर विश्वनाथ विधायक थे. इस सीट पर चनऊ और कुशवाहा बिरादरी का दबदबा है. विश्वनाथ इस सीट से छह बार विधायक रहे हैं.