Haryana Siyasi Kisse: क्या है हरियाणा का महम कांड, जिसकी वजह से Om Prakash Chautala को छोड़नी पड़ी थी सीएम की कुर्सी, जानिए पूरी कहानी

Haryana Siyasi Kisse: मुख्यमंत्री बने रहने के लिए ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) को महम उप चुनाव (Mahak Byelection 1990) किसी भी हालत में जीतना था. इसके लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा दी. पिता देवी लाल (Devi Lal Haryana) तो साथ थे लेकिन खाप पंचायत का विरोध भारी पड़ गया.

Maham Case Haryana
ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST
  • देवी लाल के इस्तीफे के बाद महम सीट खाली हुई थी
  • जनता दल ने ओमप्रकाश चौटाला को उम्मीदवार बनाया

Haryana Siyasi Kisse: हरियाणा की राजनीति के कई वाकये मशहूर हैं. हरियाणा में एक उपचुनाव ऐसा हुआ था जिसमें खूनी खेल खेला गया था. इस उपचुनाव (Mahak Byelection 1990) ने हरियाणा से लेकर दिल्ली की सियासत को हिला दिया था. हरियाणा का (Maham Case) महम कांड देवी लाल (Devi Lal Haryana) और ओमप्रकाश चौटाला (Om Prakash Chautala) से जुड़ा हुआ है.

हरियाणा के महम कांड को देश के सबसे खूनी उपचुनाव के लिए जाना जाता था. इस कांड ने हरियाणा को पूरे देश में बदनाम कर दिया था. इस कांड में कई लोगों की जान चली गई थी. आइए जानते हैं आखिर महम कांड क्या है? जिसके बाद ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा की मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी.

देवी लाल बने डिप्टी PM
इस कहानी की शुरूआत साल 1989 से होती है. वीपी सिंह सरकार बनती है. वीपी सिंह की सरकार में देवी लाल देश के डिप्टी पीएम बनते हैं. देवी लाल उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री थे. देवी लाल ने अपने बेटे ओमप्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनवा दिया.

देवी लाल उस समय महम से विधायक थे. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने महम विधायक से इस्तीफा दे दिया. वहीं ओमप्रकाश चौटाला सीएम तो बन गए लेकिन वो हरियाणा विधानसभा के सदस्य नहीं थे.

महम में उप चुनाव
मुख्यमंत्री बने रहने के लिए ओमप्रकाश चौटाला को हर हाल में 6 महीने के भीतर चुनाव जीतना था. महम सीट पर 1990 में उपचुनाव होना था.  जनता दल की तरफ से ओमप्रकाश चौटाला को उम्मीदवार बनाया गया.

महम की खाप ने ओमप्रकाश चौटाला का विरोध किया. खाप ने अपनी बात डिप्टी पीएम देवी लाल को बताई. देवी लाल ने खाप की बात नहीं मानी. खाप ने चौटाला के विरोध में आनंद सिंह दांगी को मैदान में उतारा. खाप ने आनंद दांगी को समर्थन दे दिया.

CM का बेटा और बूथ कैप्चरिंग
ओमप्रकाश चौटाला ने महम उपचुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी. ओमप्रकाश चौटाला ने महम उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी बेटे अभय चौटाला को दे दी. 27 फरवरी 1990 को महम में उप चुनाव हुए. चुनाव में कई जगहों पर बूथ कैप्चरिंग हुई.

महम में 8 मतदान केन्द्रों को छोड़कर सभी जगह वोटिंग निष्पक्ष रूप से हुई. पॉलिटिक्स ऑफ चौधर में सतीश त्यागी ने बूथ कैप्टचरिंग की घटना का जिक्र किया है. गांव बैंसी के स्कूल में मतदान केन्द्र पर अभय सिंह अपने साथियों के साथ बूथ कैप्चरिंग करने लगे तो दांगी समर्थकों ने स्कूल को घेर लिया.

सिपाही के कपड़ों में भागा CM का बेटा
दांगी के समर्थकों ने अभय सिंह और उनके साथियों को स्कूल में ही बंद कर दिया. लोगों को भगाने के लिए पुलिस ने गोलीबारी कर दी. इस गोलीबारी में 20 लोगों की मौत हो गई. ओमप्रकाश चौटाला ने आदेश दिया कि अभय सिंह को सुरक्षित निकालना है.

अभय सिंह को बचाने के लिए सिपाही हरबंस सिंह के कपड़े उनको पहनाए गए. सिपाही ने सीएम के बेटे अभय सिंह के कपड़े पहने. भीड़ ने सिपाही को हरबंस सिंह समझकर मार डाला. वहीं अभय सिंह को सुरक्षित निकाल लिया गया.

चौटाली की कुर्सी गई
महम कांड के बाद केन्द्र सरकार पर चौटाला को हटाने का दबाव आने लगा. इसको लेकर मार्च में पीएसी की बैठक हुई. इस मीटिंग में देवी लाल और अजित सिंह में गाली गलौज भी हुई. इसके बाद दोबारा मतदान कराने का निर्णय लिया गया.

महम में दोबारा चुनाव होने थे लेकिन उससे पहले चुनाव आयोग ने महम चुनाव को रद्द कर दिया. इसी बीच मदीना कांड हो गया. इसके बाद बीजेपी नेता भी चौटाला का इस्तीफा मांगने लगे. तब प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने ऐलान किया- चौटाला महम से जीतने के बाद ही मुख्यमंत्री बन सकेंगे.

इसके बाद जनता दल की एक बैठक हुई. इसमें ओमप्रकाश चौटाला से इस्तीफा मांगने का निर्णय लिया गया. देवी लाल पार्टी में अलग-थलग पड़ चुके थे. अब ओमप्रकाश चौटाला के पास मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

चौटाला ने चुना नया CM
ओमप्रकाश चौटाला इस्तीफा देने को राजी हो गए लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी. चौटाला अपनी पसंद के व्यक्ति को सीएम बनाना चाहते थे ताकि बाद में उनके लिए वो कुर्सी खाली कर सके. उनकी शर्त को मान लिया गया.

22 मई 1990 को ओमप्रकाश चौटाला ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. उसी दिन जनता दल की बैठक हुई. चौटाला ने मुख्यमंत्री के लिए बनारसीदास गुप्ता को चुना था. मीटिंग में बनारसीदास गुप्ता को नेता चुना गया. उसी दिन बनारसीदास को हरियाणा के मुख्यमंत्री की शपथ दिला दी गई.

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