Maharashtra Siyasi Kisse: जब Chhagan Bhujbal ने अपने गुरू बाल ठाकरे से ही कर दी थी बगावत…और Shivsena को कर दिया था दो फाड़, फिर Bal Thackeray को करवा दिया गिरफ्तार, जानिए महाराष्ट्र का ये सियासी किस्सा

Maharashtra Siyasi Kisse: शिवसेना (Shivsena) के साथ कई बार बगावत हुई. हाल ही में एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने बगावत की थी लेकिन सबसे पहली बगावत छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) ने की थी. बाल ठाकरे (Bal Thackeray) के साथ पहली बार किसी ने बगावत की थी.

Bal Thackeray Shiv Sena Revolt in 2000 (Photo Credit: Getty Images)
ऋषभ देव
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST
  • बाल ठाकरे ने शिवसेना को 1966 में शुरू किया था
  • बाल ठाकरे के भाषण को सुनकर भुजबल शिवसेना में शामिल हुए थे

Maharashtra Siyasi Kisse: 25 जुलाई 2000. मुंबई की सड़कों पर तनाव साफ दिखाई दे रहा था. व्याापरियों की दुकान बंद थी. मुंबई पुलिस एक बड़े नेता को गिरफ्तार करने के लिए तैयार थी. कुछ देर बाद करीब 500 पुलिस वाले एक नामी बंगले पर पहुंचे.

इस बंगले को मातोश्री के नाम से जाना जाता है. ये जगह बाला साहेब ठाकरे (Bal Thackeray) का घर है. पुलिस बाल ठाकरे को गिरफ्तार कर लिया. ये गिरफ्तार एक नेता की जिद पर हुई थी. ये नेता महाराष्ट्र के गृह मंत्री छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) थे.

छगन भुजबल कभी बाला साहेब ठाकरे को अपना गुरु मानते था. बाद में छगन भुजबल ही वो शख्स बने जिसने पहली बार बाल ठाकरे के साथ बगावत की और शिवसेना को दो हिस्सों में बांट दिया. छगन के आदेश पर ही बाल ठाकरे को गिरफ्तार किया गया. आइए महाराष्ट्र के इस किस्से पर नजर डालते हैं.

शिवसेना में भुजबल
शिवसेना की शुरूआत बाल ठाकरे ने 1966 में की थी. शिवसेना के विस्तार के लिए बाल ठाकरे मुंबई में जगह-जगह पर भाषण देते थे. बाल ठाकरे के भाषण सुनकर ही छगन भुजबल शिवसेना में शामिल हो गए. 

छगन भुजबल ने बाल ठाकरे के अभियान में साथ दिया. छगन भुजबल के साथ महाराष्ट्र में शिवसेना का कद भी बढ़ा. छगन भुजबल बाल ठाकरे के सबसे खास व्यक्ति हुआ करते थे. 1990 तक दोनों के रिश्ते ऐसे ही बने रहे.

यहां से पड़ी दरार
1990 में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कांग्रेस की 141 सीटें आईं. वहीं शिवसेना दूसरे नंबर की पार्टी बनी. शिवसेना को 52 सीटों पर जीत मिली. वहीं बीजेपी के खाते में 42 सीटें रहीं.

शिवसेना दूसरे नंबर की पार्टी थी तो विधानसभा में नेता विपक्ष शिवसेना का होना था. छगन भुजबल शिवसेना के बड़े नेता थे. उनको लगा कि बाल ठाकरे ये जिम्मेदारी उनको देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बाल ठाकरे ने मनोहर जोशी को नेता प्रतिपक्ष बना दिया. छगन भुजबल को इसका बुरा लगा लेकिन वो शांत रहे.

भुजबल का डिमोशन
बाल ठाकरे ने छगन भुजबल को राज्य की राजनीति से शहर की सियासत में भेज दिया. छगन भुजबल को बाल ठाकरे ने मुंबई का मेयर बना दिया. छगन भुजबल ने इसे अपना डिमोशन माना.

इस दौरान केन्द्र में वीपी सिंह की सरकार थी. वीपी सिंह ने पिछड़ा आरक्षण की सिफारिशें लागू कर दीं. शिवसेना ने इसका विरोध किया. छगन भुजबल को पार्टी का ये फैसला ठीक नहीं लगा. इसी दौरान पीएम वीपी सिंह मुंबई आए. उन्होंने भुजबल को जनता दल में शामिल होने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया.

बगावत
छगन भुजबल अब तक मौन विरोध कर रहे थे लेकिन 1991 में वो खुलकर सामने आ गए. छगन भुजबल मनोहर जोशी का विरोध करने लगे. इसे देखते हुए बाल ठाकरे ने छगन भुजबल और मनोहर जोशी को मातोश्री बुलाया. बाल ठाकरे ने दोनों में सुलह करा दी.

छगन भुजबल ज्यादा दिन शांत नहीं रह पाए. 5 दिसंबर 1991 को छगन भुजबल ने शिवसेना को तोड़ दिया. इस पूरे घटनाक्रम का जिक्र जीतेन्द्र दीक्षित की किताब सबसे बड़ी बगावत में है. छगन भुजबल की अगुवाई में 18 शिवसेना विधायकों ने स्पीकर को खत सौंपा. 

शिवसेना को नुकसान
छगन भुजबल ने अलग शिवसेना विधायकों के साथ शिवसेना 'बी' गुट बना लिया. स्पीकर ने भुजबल गुट को मान्यता दे दी. इस तरह से छगन भुजबल ने शिवसेना को दो हिस्सों में बांट दिया. बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए.

इससे शिवसेना को तो नुकसान हुआ ही साथ में विधानसभा में शिवसेना को बड़ा नुकसान हुआ. 18 विधायकों के जाने से शिवेसना विधायकों की संख्या 34 रह गई. दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी बन गई. इस तरह से शिवसेना को नेता प्रतिपक्ष का पद भी छोड़ना पड़ा.

छगन भुजबल पर हमला
1995 में महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की सत्ता में वापसी हुई. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ. कांग्रेस सिर्फ 80 सीटें जीत पाई. वहीं शिवसेना 73 और बीजपी की 65 सीटें आईं. राज्य में शिवसेना-बीजेपी की सरकार बनी. मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने.

छगन भुजबल को जेड सिक्योरिटी मिली हुई थी. 1997 में इस सुरक्षा को हटा लिया गया. इसी दौरान एक रात सैकड़ों शिव सैनिकों ने छगन भुजबल के बंगले पर हमला कर दिया. इस हमले में भुजबल बाल-बाल बचे. बाल ठाकरे ने इस हमले का समर्थन किया. बाल ठाकरे ने कहा- भुजबल के भड़काऊ भाषण की वजह से शिव सैनिकों ने आपा खो दिया.

बाल ठाकरे की गिरफ्तारी
छगन भुजबल इस हमले का बदला बाल ठाकरे से लेना चाहते थे. उनको ये मौका साल 2000 में मिला. राज्य में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार आ चुकी थी. छगन भुजबल राज्य के गृह मंत्री थे. बाल ठाकरे का एक पुराना मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था.

छगन भुजबल ने उस मामले को खुलवाया और मुंबई पुलिस को बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने की अनुमति दे दी. बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बुलवाई गई. 25 जुलाई 2000 के दिन 500 पुलिस कर्मी मातोश्री पहुंचे.

भुजबल का बदला
पुलिस वाले बाल ठाकरे को लेकर मेयर हाउस पहुंचे. यहीं पर बाल ठाकरे की औपचारिक तौर पर गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बाल ठाकरे को कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने हमेशा के लिए मामला बंद कर दिया.

बाल ठाकरे कोर्ट से बाहर निकले तो दो उंगलियां दिखाते हुए जीत का मैसेज दिया. बाल ठाकरे रिहा जरूर हो गए थे लेकिन कभी उनके शिष्य रहे छगन भुजबल ने बदला जरूर ले लिया था. 

Read more!

RECOMMENDED