Maharashtra Siyasi Kisse: तारीख़ 21 जून. साल 2022. पूरा देश सुबह-सुबह योग दिवस मना रहा था लेकिन महाराष्ट्र का सबसे ताकतवर शख्स परेशान था. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की एकनाथ शिंदे से बात नहीं हो पा रही थी. शिवसेना के कुछ और विधायक भी ग़ायब थे. एक रात पहले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) विधान भवन से अचानक निकल गए थे.
तब उद्धव ने शिंदे से पूछा, कहां जा रहे हो. एकनाथ शिंदे ने ग़ुस्से में कहा- पता नहीं. उद्धव ने फिर पूछा, कब तक लौटोगे? शिंदे ने कहा- पता नहीं और फिर फ़ोन रख दिया.
इसके कुछ दिन बाद एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की फिर फ़ोन पर बात हुई. उद्धव ठाकरे तो मुंबई में थे लेकिन एकनाथ शिंदे गुजरात के सूरत में किसी होटल में थे. एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे की सरकार गिराने की पूरी-पूरी योजना बना चुके थे.
फ़ोन पर एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से कहा- मुझे मंत्री बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है और न ही शिवसेना को हाथ में लेना चाहता हूं. मेरी चिंता शिवसेना बचाने की है. एकनाथ शिंदे आगे बोले, कांग्रेस-एनसीपी का साथ छोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लीजिए.
एकनाथ शिंदे शिवसेना के आनंद दिघे को अपना गुरू मानते थे. वहीं आनंद दिघे जिनका कहना था- ग़द्दारी की माफ़ी नहीं. बीजेपी और एकनाथ शिंदे ने मिलकर उद्धव की सरकार ही नहीं गिराई. ठाकरे परिवार से शिवसेना को ही छीन लिया. आइए महाराष्ट्र की सियासत की सबसे बड़ी बग़ावत पर एक नज़र डालते हैं.
बग़ावत की रात
महाराष्ट्र में 20 जून को विधान परिषद के चुनाव होने थे. उससे कुछ दिन पहले एकनाथ शिंदे बीजेपी (Eknath Shinde BJP) से संपर्क कर चुके थे. बीजेपी और एकनाथ शिंदे ने उद्धव सरकार को गिराने की योजना बनाई. एकनाथ शिंदे को कहा गया कि शिवसेना नेतृत्व को इस अलगाव के बारे में पता नहीं चलना चाहिए.
इसके लिए शिवसेना के दो उम्मीदवारों को जितवाने के लिए कहा गया. साथ में बीजेपी के एक उम्मीदवार को हराने के लिए कहा गया. एकनाथ शिंदे ने ऐसा ही किया. 20 जून विधान भवन में उद्धव ने एंटी चेंबर में बैठक बुलाई. इस मीटिंग में एकनाथ शिंदे को नहीं बुलाया गया. पहली बार एकनाथ शिंदे ग़ुस्से में दिखाई दिए.
शाम को एकनाथ शिंदे अपने सरकारी आवास नंदनवन चले गए. रात को उद्धव ठाकरे ने उनसे बात की लेकिन उन्होंने ग़ुस्से में ज़्यादा बात नहीं की. इसके बाद एकनाथ शिंदे और कुछ शिवसेना विधायक अलग-अलग जगहों से होते हुए सूरत के लिए निकल गए. रातों रात महाराष्ट्र के 30 विधायक गुजरात के सूरत पहुंच गए.
ऑपरेशन लोटस
अगले दिन ये ख़बर महाराष्ट्र की सियासत की सबसे बड़ी ब्रेकिंग बन गई. इस घटनाक्रम का ज़िक्र जीतेन्द्र दीक्षित की किताब सबसे बड़ी बग़ावत में है. सभी विधायक सूरत के मेरेडियन होटल में ठहरे. होटल में 100 से ज़्यादा पुलिस वालों का पहरा था. जब महाराष्ट्र में शिवसेना के पास ये ख़बर पहुँची तो खलबली मच गई.
आनन-फ़ानन में एक बैठक बुलाई गई. इसमें एकनाथ शिंदे को शिवसेना के विधायक दल के नेता से हटा दिया गया. उनकी जगह अजय चौधरी को ये ज़िम्मेदारी दी गई. उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदो को मनाने के लिए मिलिंद नार्वेकर को सूरत पहुँचा. इसके बाद उद्धव और शिंदे की फ़ोन पर बात हुई. एकनाथ शिंदे ने उद्धव से बीजेपी के साथ आने को कहा. उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को मनाने की कोशिश की लेकिन एकनाथ शिंदे अपना मन बना चुके थे. बात नहीं बनी.
सूरत से गुवाहटी
सूरत से विधायक गोवाहटी पहुँचे. असम में भी बीजेपी की सरकार थी. असम पुलिस की सुरक्षा में विधायक गुवाहटी के रेडिसन ब्लू होटल में रूके. इस जगह को भी पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया. इसी बीच उद्धव ठाकरे ने शाम को फ़ेसबुक पर आकर कहा कि अगर कोई दूसरा शिव सैनिक सीएम बनना चाहता है तो वो कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हैं. कुछ देर बाद उद्धव ने सरकारी आवास वर्षा छोड़ दिया.
महाराष्ट्र में शिवसेना तनाव में थी तो गुवाहटी में भी कुछ ऐसा ही माहौल था. शिवसेना विधायक अपने भविष्य को लेकर डरे हुए थे. तब एकनाथ शिंदे ने भरोसा दिलाते हुए कहा, मैं मर जाऊंगा लेकिन आपको कुछ नहीं होने दूँगा. उन्होंने कहा कि उनके साथ एक राष्ट्रीय पार्टी साथ बड़ी है. ये बड़ी पार्टी बीजेपी थी. इसी बीच कुछ और विधायक एकनाथ शिंदे के साथ आ गए. एकनाथ शिंदे, देवेन्द्र फडणवीस और अमित शाह सरकार गिराने को लेकर लगातार संपर्क में थे.
उद्धव सरकार गिरी
28 जून 2022 को देवेन्द्र फडणवीस राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने पहुँचे. उन्होंने बताया कि ठाकरे सरकार अल्पमत में है. उनको बहुमत साबित करने के लिए कहा जाए. इसी बीच बाग़ी विधायक गुवाहटी से गोवा पहुँच गए. दरअसल, उनको डर था कि ऐसा न हो कि मौसम की वजह से मुंबई पहुँच ही न पाए. राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने का आदेश दिया.
उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया लेकिन वहाँ से कोई मदद नहीं मिली. इसके बाद उद्धव ठाकरे ने आख़िरी कैबिनेट बैठक बुलाई. इसके बाद रात को फ़ेसबुक लाइव कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़े का ऐलान कर दिया. साथ में विधान परिषद से भी इस्तीफ़ा दे दिया. इसके बाद बेटे आदित्य ठाकरे के साथ राजभवन पहुँचे और राज्यपाल को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया.
नई शिवेसना सरकार
इसके बाद की कहानी सबको पता है. एकनाथ शिंदे विधायकों के साथ गोवा से मुंबई पहुँचे. महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनी. बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बने. देवेन्द्र फडणवीस न चाहते हुए भी उपमुख्यमंत्री बने. एकनाथ शिंदे की सरकार ने बहुमत परीक्षण पास कर लिया.
इसी बीच एकनाथ शिंदे ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भंग कर दिया. एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग से उनकी पार्टी को असली शिवसेना की मान्यता मांगी. उस समय तो एकनाथ शिंदे को इसकी मंजूरी नहीं मिली लेकिन बाद में असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की शिवसेना हो गई.
धनुष बाण का चुनाव-चिन्ह एकनाथ शिंदे की शिवसेना को मिल गया. वहीं शिवसेना यूबीटी को मशाल का चुनाव चिन्ह मिला. एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से सीएम की कुर्सी तो छीनी ही साथ में शिवसेना को भी छीन लिया. एकनाथ शिंदे की बगावत को महाराष्ट्र की सियासत की सबसे बड़ी बगावत माना जाता है.