शीला दीक्षित (Sheila Dixit) ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के कहने पर 1998 में दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ा. शीला दीक्षित 45 हजार वोटों से हार गईं. कांग्रेस (Congress) केन्द्र की सत्ता से भी दूर रही. दिल्ली में 1993 से बीजेपी की सरकार थी.
पांच सालों में दिल्ली में बीजेपी के तीन मुख्यमंत्री रहे, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज. शीला दीक्षित अपने पुराने कामों में जुट गईं. कुछ महीनों के बाद दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे. कांग्रेस दिल्ली में सत्ता पर काबिज होना चाहती थी.
दिल्ली में भाजपा से टक्कर के लिए कई कांग्रेस नेता था. सभी लोग अपनी दावेदारी ठोक रहे थे लेकिन हाईकमान ने शीला दीक्षित को चुना. एक दिन सोनिया गांधी ने शीला दीक्षित को फोन कर कहा- अब दिल्ली चुनाव में जुट जाओ. आइए इस सियासी किस्से को जानते हैं.
शीला की नई सियासी पारी
शीली दीक्षित ने अपनी किताब सिटीजन दिल्ली माई टाइम्स, माई लाइफ में बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए उनके नाम की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. शीला दीक्षित को बधाई संदेश आने लगे. एक दिन कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह शीला दीक्षित से मिलने गए.
महेन्द्र सिंह ने शीला दीक्षित से कहा, सोनिया जी ने मुझसे आपके बारे में सुझाव मांगा है. सोनिया जी पीसीसी मुखिया के लिए सुझाव मांगा है. इसके कुछ दिन बाद सोनिया गांधी का शीला दीक्षित के पास फोन आया. सोनिया गांधी ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस कमेटी के मुखिया की जिम्मेदारी संभाल लो और दिल्ली चुनाव की तैयारियों में जुट जाओ.
सोनिया गांधी की सलाह
मई में शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस की जिम्मेदारी मिला. दिसंबर में दिल्ली में चुनाव होने थे. शीला दीक्षित ने दिल्ली कांग्रेस में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया और न ही उसके लिए बहुत समय था. शीला दीक्षित इसी टीम के साथ चुनाव में उतरना चाहती थी. उनके इस विचार से सोनिया गांधी भी सहमत थीं.
सोनिया गांधी ने शीला दीक्षित को चुनाव के लिए सलाह भी दी. सोनिया ने कहा- दिल्ली के लोग सब कुछ बारीकी से देखते-समझते हैं. इस बात का हमेशा ध्यान रखें. इस फोन कॉल के दो दिन बाद शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस प्रदेश कमेटी का मुखिया बना दिया गया.
सुषमा बनाम शीला
शीला दीक्षित मजबूती से बीजेपी के खिलाफ प्रचार कर रही थीं. प्याज के दाम आसमान छू रहे थे. इस वजह से बीजेपी ने साहिब को कुर्सी से हटाकर सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया. अब दिल्ली की लड़ाई दो महिलाओं के बीच थी.
शीला दीक्षित तो बीजेपी को बाहरी कह ही रही थी. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी के अंदर भी लोग बाहरी कह रहे थे. प्रचार अभियान खत्म होते-होते ये समझ आ गया था कि दिल्ली में कांग्रेस की सत्ता आने वाली है. सुषमा स्वराज ने 52 दिन के कार्यकाल में मेहनत तो काफी की लेकिन तब तक जनता अपना मन बना चुकी थी.
दिल्ली की CM
दिल्ली चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए काफी चौंकाने वाले आए. बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई. 70 में से कांग्रेस की 52 सीटें आईं. जीत के बाद शीला दीक्षित सोनिया गांधी से मिलने पहुंचीं. सोनिया गांधी ने शीला दीक्षित से कहा, कैबिनेट चुनने के लिए आगे बढ़ो.
सोनिया गांधी की इस बात से साफ हो गया कि शीला दीक्षित ही दिल्ली की मुख्यमंत्री होगी. कुछ दिनों के बाद शीला दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. शीला दीक्षित इस तरह से पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.