उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के तहसील यमकेश्वर के ग्राम पंचुर के रहने वाले हैं. योगी आदित्यनाथ का शुरुआती नाम अजय सिंह बिष्ट है. आदित्यनाथ शुरू से ही शर्मीले स्वभाव के थे, इसी कारण घर में भी बहुत कम बात किया करते थे. उन्होंने अपनी अधिकतर पढ़ाई घर से बाहर रहकर ही की थी. कक्षा 9 में वह इंटर कालेज चमकोटखाल में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते थे. योगी शनिवार शाम को कॉलेज से घर आते और सोमवार को सुबह-सुबह एक हफ्ते का राशन लेकर फिर हॉस्टल चले जाते थे. उनके साथ गांव का ही एक लड़का और पढ़ता था. दोनों साथ में रहते थे. योगी गणित के सवालों को बहुत ही आसानी से सीख और समझ लेते थे.
पढ़ाई में काफी तेज थे योगी
इंटर कालेज चमकोटखाल में गणित के शिक्षक डॉ राजेंद्र बमराड़ा बताते हैं कि पढ़ने में काफी तेज रहे योगी आदित्यनाथ अधिकतर अकेले ही रहना पंसद करते थे. जब वे ऋषिकेश में श्री भरत मंदिर इंटर कालेज और डिग्री कालेज ऋषिकेश में पढ़ रहे थे, तो उस दौरान उन्होंने आवास विकास ऋषिकेश में कमरा ले रखा था. उस समय पिताजी वन विभाग में उत्तरकाशी में कार्यरत थे तो कई बार घर आने से पहले आवास विकास ऋषिकेश आ जाते थे. उनके पिताजी बताते थे कि वे रात के 12:00 बजे तक कमरे में रहकर पढ़ाई करते रहते थे और फिर सुबह 4:00 बजे उठकर पढ़ाई करने लग जाते थे.
कॉलेज के दौरान ABVP से जुड़े
सन् 1990 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए योगी आदित्यनाथ ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’से जुड़े. सन् 1992 में श्रीनगर डिग्री कॉलेज से योगी आदित्यनाथ ने गणित में बीएससी की परीक्षा पास की. उसके बाद कोटद्वार में रहने के दौरान योगी आदित्यनाथ के कमरे से सामान चोरी हो गया, जिसमें इनके सनद प्रमाण पत्र भी थे. इस वजह से गोरखपुर से एमएससी साइंस करने का उनका प्रयास असफल रह गया. इसके बाद उन्होंने ऋषिकेश में फिर से विज्ञान स्नातकोत्तर में प्रवेश तो लिया, लेकिन ‘राम मंदिर आंदोलन’का प्रभाव और स्नातकोत्तर में प्रवेश की परेशानी से उनका ध्यान दूसरी तरफ बंट गया.
21 वर्ष की उम्र में बन गए संन्यासी
योगी आदित्यनाथ सन् 1993 में पढ़ाई के दौरान ‘गुरु गोरखनाथ’पर शोध करने गोरखपुर आए और गोरखपुर प्रवास के दौरान ही महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए. महंत अवैद्यनाथ योगी आदित्यनाथ के पड़ोस के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे. योगी आदित्यनाथ महंत अवैद्यनाथ की शरण में चले गए और उनसे पूर्ण दीक्षा प्राप्त की. योगी आदित्यनाथ ने 21 वर्ष की उम्र में सन् 1994 में सांसारिक मोहमाया त्यागकर पूर्ण संन्यासी बन गए. यही से वो‘अजय सिंह बिष्ट’ से ‘योगी आदित्यनाथ’बनें. अप्रैल 1994 में मंहत अवैधनाथ जी ने उनको अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. साल 1998 में हुए लोकसभा के चुनाव में वे गोरखपुर संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद चुने गये. उस समय वे सबसे कम उम्र के सांसद थे. इसके बाद साल 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद चुने गए. 12 सितंबर सन् 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ को यहां का महंत बनाया गया. दो दिन बाद इन्हें ‘नाथ पंथ’ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया. साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उनको मुख्यमंत्री का दायित्व सौंपा.
बचपन से था बाग-बगीचे का शौक
योगी आदित्यनाथ को बचपन से ही बाग बगीचे लगाने का शौक था. बचपन में उन्होंने घर के पास ही एक बगीचा बनाया था. बगीचे में लगाये पौधों को गर्मियों में पानी देने के लिए गांव का ही एक मजदूर रखा, गांव में पानी की हर समय कमी रहती थी. इसके बावजूद वो आधा किमी दूर से पानी मंगवाकर उन पौधों में पानी डालते थे. उनके लगाये बगीचे में आम, अमरूद, आंवला, कटहल, नींबू, बादाम, अखरोट, कागजी आदि के अनेक पेड़ पौधे थे, जो आज भी फल दे रहें हैं. साल 2004 और 2013 के दौरान वो अपने घर पंचूर आए थे. इस दौरान वो अपने लगाये बगीचे को देखने गए तथा बगीचे में पेड़ पौधों के आसपास की झाड़ियों की सफाई करने और पेड़ पौधों को समय पर खाद पानी देने के निर्देश दिए.
गणित से बीएससी हैं योगी
योगी आदित्यनाथ का असली नाम अजय सिंह बिष्ट है. उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ. उनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट हैं. वह वन विभाग से रेंजर के पद से रिटायर हुए और आज भी अपनी पत्नी सावित्री देवी के साथ गांव में रहते हैं. योगी चार भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर के भाई हैं. उनके दो भाई कॉलेज में नौकरी करते हैं, जबकि एक भाई सेना की गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार है. योगी ने अपनी शुरुआती शिक्षा गांव से ली. इसके बाद ऋषिकेश से आगे की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय के तहत आने वाले कोटद्वार कॉलेज से गणित में बीएससी किया.
कैसे राजनीति में आए?
आज योगी गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत हैं. वह हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो हिंदू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है. योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार संसद में गोरखपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. योगी यूपी में भाजपा का बड़ा चेहरा हैं. वह 2014 में पांचवी बार सांसद बने. योगी के गुरु अवैद्यनाथ ने 1998 में राजनीति से संन्यास लिया और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई. 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, वो 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बनें. योगी के घर में आज भी उनकी यादें हर कोने में बसी हुई हैं. योगी को तस्वीर खिंचवाने का शौक था. उनकी अलमारी में बचपन और गोरखनाथ मठ में दीक्षा की तस्वीरें अब भी रखी हुई हैं. यही नहीं पढ़ाई के दौरान बनाए गए नोट्स भी घर में सहेज कर रखे हैं. योगी ने बचपन जिस कमरे में गुजारा, आज भी गांव आने पर उसी गांव में रुकते हैं. सबसे छोटे भाई महेंद्र बताते हैं कि वह पढ़ाई पर बहुत जोर देते हैं. लड़कियों की शिक्षा पर उनका खासा जोर रहता है. उन्होंने गांव में लड़कियों के लिए डिग्री कॉलेज खोला है.
1994 में बसंत पंचमी के दिन ली दीक्षा
पारिवारिक मोहमाया और आराम भरी जिंदगी छोड़कर साधु बनने के सवालों पर योगी आदित्यनाथ खुद कहते हैं, ‘मेरी जिंदगी में अध्यात्म का महत्व शुरू से ही था. जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था उस समय मैं महंत अद्वैतनाथ जी के संपर्क में आ गया था. उस समय दो चीजें चल रही थीं - एक तो अध्यात्म की ओर मेरी रूचि थी, दूसरा उस समय के सबसे बड़े सांस्कृतिक आंदोलन रामजन्म भूमि आंदोलन. उसकी मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष महंत अद्वैतनाथ जी महाराज थे. इन दोनों कारणों से उनके संपर्क में आया था और फिर आगे बढ़ता गया और 1993 में मैंने संन्यास लेने का पूर्ण निश्चय किया. 1994 में बसंत पंचमी के दिन मैंने योग की दीक्षा ले ली.
(मनजीत सिंह नेगी की रिपोर्ट)