मनोरंजन

Happy Birthday Gulzar: शायरी, कविता, गानों से लेकर पटकथा लेखन तक, हर जगह अपनी छाप छोड़ चुके हैं गुलज़ार

निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 18 अगस्त 2022,
  • Updated 10:34 AM IST
1/10

रूमानी आवाज के मालिक गुलज़ार का जन्म अविभाजित हिंदुस्तान के झेलम जिले (अब पाकिस्तान में) के दीना गांव में 18 अगस्त, 1936 को हुआ था. बहुत ही कम लोगों को शायद यह बात पता हो लेकिन उनके बचपन का नाम संपूरण सिंह कालरा था. हर मूड, हर मिजाज पर लिखने वाले गुलज़ार ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की. 

2/10

गुलज़ार का परिवार बंटवारे के बाद अमृतसर आकर बसा. हालांकि, गुलज़ार ने पढ़ाई के लिए दिल्ली का रुख किया और फिर रोजी-रोटी कमाने के लिए मुंबई चले आए. उन्होंने एक गैराज में मैकेनिक का काम किया और खाली समय में कविताएं लिखीं. गुलजार फिल्म इंडस्ट्री में काम तलाश रहे थे जब एक दिन फिल्म निर्देशक बिमल रॉय से उनकी मुलाकात हुई. 

3/10

बिमल रॉय से मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी. यहां से गीत, संवाद और डायलॉग लिखने का सिलसिला आगे बढ़ा. गुलजार ने गंभीर विषयों से लेकर कॉमेडी तक, सबकुछ लिखा है. 

4/10

गुलज़ार मुख्य तौर पर हिन्दुस्तानी भाषा (हिन्दी-उर्दू) और पंजाबी भाषा में लिखते हैं. हालांकि, कई बोलियों पर इनकी अच्छी पकड़ है जिनमें ब्रज भाषा, खड़ी बोली, हरियाणवी और मारवाड़ी शामिल हैं. 

5/10

'वो शाम कुछ अजीब थी’ या 'तुझसे नाराज नहीं जिंदगी’ जैसे गहराई वाले गीत लिखने के लिए मशहूर गुलज़ार ने कई किताबें भी लिखी हैं. उन्होंने बच्चों तक के लिए किताबें लिखी हैं. 

6/10

इसी तरह, बहुत ही कम लोगों को शायद यह पता हो लेकिन 'बीड़ी जलाइले जिगर से पिया' जैसा गाना भी गुलज़ार की कलम से निकला है. गानों में ऐसा कोई भाव नहीं, जिसे गुलज़ार ने नहीं लिखा. प्रेम से लिकर विरह तक, और मस्ती से लेकर कॉमेडी तक, सब जगह गुलज़ार ने छाप छोड़ी है. 

7/10

उनके लिखे गीतों में 'चप्पा चप्पा चरखा चले...', 'दिल से रे...', 'कजरारे कजरारे...', 'चांद सिफारिश करता हमारी...', 'दिल तो बच्चा है जी' जैसे गाने शामिल हैं. 

8/10

गुलज़ार ने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है. इन फिल्मों में 'परिचय', 'आंधी', 'इजाजत', 'माचिस', 'लेकिन', 'अंगूर', 'नमकीन' जैसी फिल्में शामिल हैं. 

9/10

गुलज़ार ने अभिनेत्री राखी से1973 में शादी की थी, लेकिन शादी के एक साल बाद दोनों अलग हो गए. हालांकि, अलग होने के बाद भी दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया. इन दोनों की बेटी मेघना हैं. 
 

10/10

बात सम्मान की करें तो अपने लेखन के लिए गुलज़ार को पद्म भूषण, साहित्य अकादमी, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के अलावा नेशनल फिल्म अवॉर्ड, 20 फिल्मफेयर अवॉर्ड, 1 अकादमी अवॉर्ड, और 1 ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.