राहत इंदौरी के नाम से मशहूर राहत कुरैशी एक उर्दू शायर थे, जो अपने शब्दों से जादू बुनने के लिए जाने जाते थे. राहत इंदौरी ने अपने करियर की शुरुआत इंदौर के एक कॉलेज में उर्दू साहित्य के शिक्षक के रूप में की थी.
राहत इंदौरी शायर होने के साथ-साथ एक कुशल खिलाड़ी भी थे. वह हाई स्कूल और कॉलेज फुटबॉल और हॉकी टीमों के कप्तान भी थे. उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में कविता पाठ शुरू किया था। उन्होंने 19 साल की उम्र में अपना पहला शेर पढ़ा था. आज हम आपको बता रहे हैं उनकी कुछ शायरियां.
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है!
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए!
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो!
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते!
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है!
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया!
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं!
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो!