Miss Trans Global Universe 2021: जिंदगी में मुश्किलें चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, लेकिन अगर इंसान में जीतने का जज्बा हो तो कुछ भी आपको रोक नहीं सकता. ये बात केरल की ट्रांसजेंडर पेजेंट श्रुति सिथारा पर एकदम सटीक बैठती है. बचपन से ही अपनी पहचान की खोज करने वाली श्रुति आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. आज उनकी एक झलक पाने को हर कोई बेताब है. दरअसल श्रुति सीथारा मिस ट्रांस ग्लोबल यूनिवर्स प्रतियोगिता जीती है, ये उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय हैं वो.
मिस ट्रांस ग्लोबल यूनिवर्स प्रतियोगिता की विजेता बनीं श्रुति
पिछले छह महीनों से इस प्रतियोगिता में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए, उन्हें टॉप पांच दावेदारों में से एक होने की उम्मीद थी. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. श्रुति ने हाल ही में 1 दिसंबर को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से अपना पुरस्कार प्राप्त किया. दरअसल कोरोना महामारी के कारण इस प्रतियोगिता का आयोजन ऑनलाइन ही किया गया था. बता दें कि ये पेजेंट यह ट्रांसजेंडर समुदाय के बीच विश्वास जगाने और उन्हें प्रेरित करने के लिए आयोजित किया गया था.
मोस्ट एलॉक्वेंट क्वीन का जीता खिताब
गुड न्यूज टुडे से बातचीत करते हुए श्रुति ने कहा, "मैं बहुत खुश और उत्साहित हूं. मैंने कभी जीतने की उम्मीद नहीं की थी. मैं महीनों से प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हूं और इसमें भाग ले रही हूं, और अब यह सब इतने उच्च नोट पर समाप्त हो गया है. मैं काफी खुश हूं" सीथारा को इस प्रतियोगिता में अपनी वाक्पटुता से लिए भी प्रोत्साहित किया गया, यहां तक की उन्हें सबसे वाक्पटु क्वीन का ताज भी पहनाया गया है. हालांकि ये बात उनके फोन कॉल में साफ पता चलती है. श्रुति के जवाब बेबाक और स्पष्ट होते हैं.
ट्रांसजेंडरों के समान अधिकार की लड़ रहीं लड़ाई
सीथारा पहले सामाजिक न्याय विभाग में ट्रांसजेंडर सेल का हिस्सा थीं. अब ये मॉडल-कलाकार ट्रांसजेंडरों के अधिकारों पर प्रचार करने का काम करता है. हाल ही में, उन्होंने LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों को सामान्य बनाने और समलैंगिक संबंधों के प्रति सार्वजनिक स्वीकृति बनाने के लिए अपने दोस्तों के साथ द केलिडोस्कोप नामक एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है. उनका कहना है कि "हम चाहते हैं कि लोग जानें कि हम सामान्य हैं और समाज का एक समान हिस्सा हैं. ज्यादातर लोग, जो बाहर आने से डरते हैं, अपने संघर्षों के बारे में मुझसे संपर्क कर रहे हैं."
फिल्म इंडस्ट्री में ट्रांसजेंडर लीड रोल में नहीं हैं- श्रुति
प्रतियोगिता के बारे में जानकारी देते हुए श्रुति बताती हैं कि सौंदर्य प्रतियोगिता के कई दौर थे. जिसमें पहला राउंड एक परिचयात्मक था, उसके बाद सवाल-जवाब राउंड, उसके बाद टैलेंट राउंड और आखिरी में बिकनी राउंड. टैलेंट राउंड के लिए श्रुति ने अपनी एक्टिंग स्किल से जजों का मन मोह लिया. आने वाले दिनों में श्रुति अभिनय की दुनिया में अपना हाथ आजमाना चाहती हैं. श्रुति जल्द ही कुछ मलयालम फिल्मों में काम करने जा रही हैं. वह बताती हैं, "मैं पर्दे के माध्यम से यथार्थवादी भूमिकाएं निभाना चाहती हूं. भले ही मलयालम फिल्म में पर्दे के पीछे काम करने वाली बहुत सारी ट्रांसजेंडर प्रतिभाएं हैं, लेकिन स्क्रीन पर बहुत कम लीड रोल हैं." श्रुति उम्मीद कर रही है जल्द ही बदलाव आएगा. यहां तक की श्रुति भविष्य में बॉलीवुड में भी काम करने की इच्छा रखती हैं.
आसान नहीं था सफर
कुछ साल पहले, श्रुति की पहचान प्रवीण से थी. वो पहचान के बारे में भ्रमित, और उन्हें अक्सर ऐसा लगता था कि यह एक मानसिक समस्या थी. श्रुति स्कूल के दिनों में अपनी पहचान को लेकर खुद से ही लड़ रही थी. अपनी अंदर की इस कश्मकश को बाहर निकाल कर रखने का ना तो उनमें साहस था, और ना ही किसी पर इतना भरोसा की मन हल्का कर सकें. वो बताती हैं, "मैंने कोट्टायम के एक आवासीय स्कूल में पढ़ाई की और बारहवीं कक्षा तक, मुझे ट्रांसजेंडर समुदाय के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. एक बार जब मैं कॉलेज में थी, मैं अपने जैसे लोगों के संपर्क में आई और उसके बाद मुझे लगा कि मैं अकेली नहीं हूं. हालांकि सफर अभी खत्म नहीं होने वाला था, क्योंकि वो अभी भी प्रवीण ही थीं. उन्होंने एक कॉर्पोरेट कंपनी में कोच्चि में काम करना शुरू किया. धीरे-धीरे उसने अपनी बात को लोगों के सामने रखना शुरू किया. जिसके बाद श्रुति का डर काफी हद तक कम हुआ, क्योंकि उनके दोस्तों ने उनका बहुत साथ दिया.
अपनी सच्चाई के कारण पिता को खोने का था डर
श्रुति बताती हैं कि समाज के सामने खुद को स्वीकार करना काफी मुश्किल था, लेकिन उससे भी ज्यादा इस बारे में घर वालों को बताना मुश्किल था. वो कहती हैं, "मुझे डर था कि अपने बारे में ये सब बताने के बाद मेरे पिता शायद मेरा साथ छोड़ दें. लेकिन पापा को मनाने में मेरे दोस्तों ने इसमें मेरा बहुत साथ दिया." हालांकि उनके पिता उनकी पहचान का खुले दिल से स्वागत किया, और हर कदम पर उनका साथ दिया.