Anand Bakshi Birth Anniversary: शब्दों का वह जादूगर जो 8 मिनट में लिख देता था गाना, 40 बार किया गया था Filmfare के लिए नोमिनेट

Anand Bakshi Birth Anniversary: आनंद बख्शी ने प्रेम, गुस्से और रोमांस की भावनाओं को गीतों के रूप में इतनी खूबसूरती से बयां किया कि अब उनके गीत भारतीय संगीत के रत्न बन गए हैं. उनके गाने सदाबहार हैं जो सभी पूराने नहीं होते.

Anand Bakshi Birth Anniversary
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:11 PM IST
  • आनंद का जन्म 21 जुलाई 1930 को अविभाजित भारत के रावलपिंडी में हुआ था
  • गायक बनना चाहते थे आनंद, बन गए गीतकार

आजकल हर रोज कोई न कोई गाना रिलीज होता है लेकिन फिर भी लोग यह कहने से नहीं चूकते कि 'Old is Gold.' खासकर कि बात अगर संगीत और गानों की हो तो अब न पहले जैसे गायक हैं और न ही गीतकार. जो शब्दों को ऐसे बुनते थे कि लोगों के दिल में बस जाएं. आज ऐसे ही एक शब्दों के जादूगर, महान गीतकार आनंद बख्शी से आज हम आपको मिलवा रहे हैं.  

आनंद बख्शी के लिखे सदाबहार गाने किसी भी फिल्म में जान डाल देते थे. आनंद बख्शी को दुनिया छोड़े करीब 20 साल हो चुके हैं, लेकिन अपने खूबसूरत और कालातीत गानों की वजह से वह आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं. 

रावलपिंडी में जन्मे थे आनंद
आनंद का जन्म 21 जुलाई 1930 को अविभाजित भारत के रावलपिंडी में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. आनंद बख्शी के पिता रावलपिंडी में एक बैंक में काम करते थे और वह रॉयल इंडियन नेवी में थे. जब भारत का विभाजन हुआ तो उनका परिवार भारत आ गया. इसके बाद वे सिंगर बनने का सपना लेकर मुंबई आ गए. 

लेकिन यहां उनके भाग्य में लंबा संघर्ष लिखा था. पहली बार में कामयाबी न मिलने पर उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का फैसला किया. लेकिन, सेना भी उन्हें संगीत से दूर नहीं रख सकी और वह एक बार फिर मुंबई लौट आए.

साल साल बाद मिली सफलता
आनंद बख्शी बचपन से ही शब्दों के धनी थे. उन्हें पता था कि कि शब्दों से जादू कैसे बुना जाता है. फिर भी, वह कभी गीतकार नहीं बल्कि गायक बनना चाहते थे. ऐसा कहा जाता है कि जब वे मुंबई लौटे और प्रसिद्ध अभिनेता भगवान दादा से मिले, तो उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म 'भला आदमी' में एक गीतकार के रूप में मौका दिया. इस फिल्म ने आनंद को पहचान तो नहीं दी लेकिन उनके लिए राह बनाई.

उन्हें अपनी पहचान बनाने में 7 साल का समय लगा. साल 1965 में आई फिल्म 'जब जब फूल खिले' के गाने 'परदेसियों से ना अंखिया मिलाना' गाने से लोकप्रियता मिली. आनंद के बहुत से गाने ऐसे हैं कि आज भी उनकी कोई उम्र नहीं है.

40 बार किए गए फिल्मफेयर के लिए नोमिनेट
आनंद बख्शी सिंगर बनना चाहते थे पर किस्मत को कुछ और मंजूर था. उन्होंने अपने शब्दों से लोगों का दिल जीत लिया और हिंदी फिल्म उद्योग के दिग्गज गीतकारों में से एक बन गए. चार दशक से अधिक के करियर में, उन्होंने 4,000 से अधिक गीत लिखे. उनके लिखे गए मंत्रमुग्ध कर देने वाले गीत इतने सुंदर और दिल को छू लेने वाले थे कि उन्हें 40 बार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नोमिनेट किया गया. 

हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने केवल चार बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीता. उनके बारे में कहा जाता है कि अगर आनंद स्थिति को ठीक से समझ लेते थे तो मात्र 8 मिनट में गाना लिखकर दे देते थे. उनके गानों ने कई अभिनेताओं को सुपरस्टार बनाने में भुमिका निभाई है. जिनमें राजेश खन्ना, शशि कपूर जैसे कई नाम शामिल हैं. 

कभी न भूलने वाले उनके गाने
आनंद बख्शी की खासियत यह थी कि उन्होंने हर उम्र के लोगों और अभिनेताओं के लिए गीत लिखे. उनके लिखे गीतों में हर युग की ताजगी का अहसास होता है. 

1. दो लफ्ज़ों की है दिल की कहानी 
2. प्यार दीवाना होता है 
3. ये शाम मस्तानी
4. आज मौसम बड़ा बेईमान है
5. दो दिल मिल रहे हैं 
6. तू चीज बड़ी है मस्त-मस्त
7. अच्छा तो हम चलते हैं

 

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