आशुतोष राणा ने समझाए अभिव्यक्ति के मायने, आज तक एजेंडा के मंच पर दिए बेबाक जवाब

आशुतोष ने कहा कि अभिव्यक्ति काफी हद तक इंसान के व्यक्तित्व पर निर्भर करती है. हर स्टेटमेंट क्या कहा गया है कि अपेक्षा व्यक्ति क्या सुनना चाहता है पर ज्यादा निर्भर करता है. क्या लिखा गया है कि अपेक्षा व्यक्ति क्या पढ़ना चाहता है, उसके ऊपर निर्भर करता है. क्या दिखाया जा रहा है कि अपेक्षा व्यक्ति क्या देखना चाहता है, इसके ऊपर भी निर्भर करता है.

एजेंडा आज तक के मंच पर आशुतोष राणा
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST
  • आशुतोष ने समझाए अभिव्यक्ति के मायने
  • व्यक्तित्व पर निर्भर करती है अभिव्यक्ति: आशुतोष
  • संवाद नहीं बिकता लेकिन विवाद बिक जाता है

आशुतोष राणा बॉलीवुड के एक व़सटाइल्‌ एक्टर है. उन्होंने फिल्मों में लगभग हर किस्म के रोल अदा किए हैं. एक से बढ़कर एक फिल्मों करने वाले आशुतोष ने लगभग सभी ज़ोनर के दर्शकों का दिल जीता है. उन्होंने संघर्ष, अब तक छप्पन, मुल्क और सिम्बा जैसी कई फिल्में की हैं. शानदार एक्टर होने के साथ-साथ आशुतोष एक बेहद अच्छे लेखक भी है. आए दिन वो अपनी अभिव्यक्ति लोगों के सामने रखते हैं, और उनके फैंस भी उन्हें खूब पसंद करते हैं.

आशुतोष ने समझाए अभिव्यक्ति के मायने
आज तक एजेंडा के मंच पर आशुतोष ने अभिव्यक्ति के मायने समझाए. आशुतोष ने कहा कि, "हम बोलना को दो साल की उम्र में सीख जाते हैं. लेकिन क्या बोलना है, कैसे बोलना है, और कब बोलना है इसको सीखने में पूरा जीवन निकल जाता है." उन्होंने आगे कहा कि अभिव्यक्ति का मतलब केवल बोलना नहीं होता, बल्कि बोलने से पहले कब, क्या और कैसे बोलना है ये सीखना बेहद जरूरी है. 

व्यक्तित्व पर निर्भर करती है अभिव्यक्ति: आशुतोष
अभिव्यक्ति के नजरिए के सवाल पर आशुतोष ने उदाहरण देते हुए कहा कि अभिव्यक्ति काफी हद तक इंसान के व्यक्तित्व पर निर्भर करती है. हर स्टेटमेंट क्या कहा गया है कि अपेक्षा व्यक्ति क्या सुनना चाहता है पर ज्यादा निर्भर करता है. क्या लिखा गया है कि अपेक्षा व्यक्ति क्या पढ़ना चाहता है, उसके ऊपर निर्भर करता है. क्या दिखाया जा रहा है कि अपेक्षा व्यक्ति क्या देखना चाहता है, इसके ऊपर भी निर्भर करता है. जिस व्यक्ति का स्वयं के प्रति नियंत्रण नहीं है वो अगर दूसरों पर नियंत्रण करने की आकांक्षा पाले तो ये अनीतिपूर्ण बात होगी. 

संवाद नहीं बिकता लेकिन विवाद बिक जाता है
आशुतोष ने सेलिब्रिटी बैशिंग के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि, हमें इस मानसिकता पर भी विचार करना होगा कि क्या सतमुत में विवाद बिकता है, या हम विवाद के विक्रेता हैं, या विवाद के हम जन्मदाता हैं. क्या हम विवादों को ही जन्म देना चाहते है. उन्होंने आगे मीडिया को अभिव्यक्ति का ध्वजवाहक बताया. उन्होंने कहा की हमें अपने आप को नहीं अपने काम को सीरियस लेना चाहिए.
 

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