पुलिस प्रणाली से अक्सर ही लोगों को काफी शिकायत रहती है. ऐसे बहुत कम ही लोग मिलते हैं जो अपने शब्दों के लेकर दृढ़ हों, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में कार्यरत ऐसा उदाहरण हैं, जो अपने शब्दों पर खरे उतरते हैं. उनके जीवन की घटनाओं पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है, यही वजह है कि भारत के ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर भौकाल के नाम से उनके जीवन से प्रेरित एक वेब सीरीज पहले से ही मौजूद है. इस सीरीज को जनता का काफी प्यार मिला है. एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्य को निभाने के लिए उनके साहसी और अडिगपन यूपी के कठोर गिरोहों के सामने भी एक ढाल बनकर खड़ा रहा.
आईआईटी पास आउट हैं सिकेरा
22 अक्टूबर 1971 को जन्मे नवनीत सिकेरा ने अपनी स्कूली शिक्षा यूपी के फिरोजाबाद जिले के एटा में ऑल-बॉयज स्कूल से पूरी की. हिंदी माध्यम के छात्र होने के बावजूद, उनके समर्पण और दृढ़ता के कारण उन्होंने आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री ली. उन्होंने 1993 में स्नातक किया और आईआईटी दिल्ली में एम.टेक के लिए आवेदन किया. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.
पिता के साथ हुए दुर्व्यवहार से लिया प्रण
IIT रुड़की से स्नातक करने के बाद, सिकेरा ने कुछ ऐसा देखा, जिसका उनकी मानसिकता पर गहरा असर पड़ा. सिकेरा एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. एक बार, उनके पिता को स्थानीय गुंडों से कुछ धमकियाँ मिली और वह अपने पिता के साथ इन गुंडों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए एक पुलिस स्टेशन गए. हालांकि, वहां पहुंचकर पुलिस अधिकारी के रवैये को देखकर वो हैरान रह गए. उस पुलिस अधिकारी ने सिकेरा और उनके पिता का मजाक उड़ाया. घर आने के बाद, नवनीत सिकेरा ने सब कुछ छोड़कर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया ताकि पुलिस व्यवस्था में बदलाव लाया जा सके.
पहली बार में किया UPSC क्वालीफाई
प्रभावशाली रूप से, वह उन बहुत कम छात्रों में से थे जिन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी को पास कर लिया और आईएएस अधिकारी बनने के योग्य हो गए. लेकिन उन्होंने मन बना लिया और IPS कैडर को चुना. एक क्रांतिकारी पुलिस अधिकारी के रूप में देश की सेवा करने का सपना साकार हुआ और उन्होंने हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपीए) में अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अपने प्रतिष्ठित करियर की शुरुआत की. वह 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.
गोरखपुर में पहली पोस्टिंग
गोरखपुर में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) के रूप में अपनी पहली पोस्टिंग मिलने के बाद, उन्हें दिसंबर 1998 में एएसपी के रूप में मेरठ ट्रांसफर कर दिया गया था. एक सुपरकॉप की झलक उनके शुरुआती दिनों से दिखने लगी थी. जब उत्तर प्रदेश के कुछ खास इलाकों में संगठित अपराध अपने चरम पर था, उस समय पुलिस व्यवस्था में एक क्रांति की शुरुआत करने के लिए वह पूरी तरह जिम्मेदार थे. गैंग और ऐसे शरारती संगठन यूपी में राजनीतिक और पुलिस के समर्थन के दम पर कहर बरपा रहे थे. ये बात सबको पता होने के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. लेकिन नवनीत ने धीरे-धीरे सब कुछ अंडर कंट्रोल कर लिया. नवनीत या तो सीधे एनकाउंटर करते या सलाखों के पीछे डालते थे. इस तरह उन्होंने तमाम गिरोहों की कमर तोड़ दी. एक से एक गुंडे मवाली आए लेकिन सिकेरा किसी मजबूत दीवार की तरह डटे रहे.
जनता में सिकेरा के लिए जबरदस्त प्यार
जब सिकेरा का मेरठ से ट्रांसफर हुआ तो लोगों ने उनको वापस बुलाने के लिए शहर भर उनके पोस्टर छापे और वितरित किए. उन्होंने जो विरासत छोड़ी, उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वह वहां मौजूद नहीं होते थे तो लोगों ने थाने में शिकायत दर्ज कराना बंद कर दिया था. यह इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने आम लोगों पर किस तरह का प्रभाव डाला था.