Hashimoto Disease: क्या है हाशिमोटो थायरॉयडिटिस? इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक्टर Arjun Kapoor, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

Arjun Kapoor Suffering Hashimoto Disease: अर्जुन कपूर ने अपनी सेहत को लेकर एक दुखद जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि वह हाशिमोटो थायरॉयडिटिस नामक बीमारी से जूझ रहे हैं. अर्जुन ने बताया कि उन्हें ये बीमारी तब हुई थी, जब वह 30 साल के थे. आइए इस बीमारी के लक्षण और बचाव के बारे में जानते हैं. 

Arjun Kapoor (Photo Credit: instagram arjunkapoor)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST
  • द लेडी किलर और सिंघम अगेन जैसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय के लिए जाने जाते हैं अर्जुन कपूर
  • जब 30 साल के थे तभी हुई थी हाशिमोटो थायरॉयडिटिस नामक बीमारी

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर (Bollywood Actor Arjun Kapoor) अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को लेकर हमेशा चर्चाओं में बने रहते हैं. द लेडी किलर और सिंघम अगेन जैसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय करने वाले अर्जुन कपूर अभी फिल्मों से ज्यादा अपनी एक बीमारी की वजह से चर्चा में हैं. दरअसल, अर्जुन कपूर ने एक इंटरव्यू में अपने मेंटल हेल्थ को लेकर बात की थी. इसी में उन्होंने बताया था कि वह हाशिमोटो (Hashimotos) नामक एक गंभीर बीमारी (Disease) से जूझ रहे हैं.

अर्जुन कपूर ने द हॉलीवुड रिपोर्टर को दिए इंटरव्यू में बताया कि मेरी सेहत हमेशा से ऐसी रही है, जिसके बारे में मैंने कभी खुलकर बात नहीं की. मुझे हाशिमोटो थायरॉयडिटिस नाम की बीमारी है. अर्जुन ने बताया कि उन्हें ये बीमारी तब हुई थी, जब वह 30 साल के थे. आइए इस बीमारी के लक्षण और बचाव के बारे में जानते हैं. 

क्या है हाशिमोटो थायरॉयडिटिस
हाशिमोटो थायरॉयडिटिस एक तरह से थायरॉयड का ही विस्तार है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है. इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपने ही थायरॉयड ग्लैंड पर हमला करने लगता है. इस बीमारी के कारण शरीर स्ट्रेस में चला जाता है. इसके कारण वजन को कंट्रोल करना और एनर्जी का बैलेंस बनाए रखना मुश्किल हो जाता है. डॉक्टरों का मानना है कि हाशिमोटो किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है. हालांकि इसके ज्यादातर केस 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच वाले व्यक्ति में देखने को मिलते हैं. 

गर्दन में स्थित होती है थायरॉयड ग्रंथि
थायरॉयड ग्रंथि गर्दन में स्थित होती है. यह तितली के आकार की होती है.  यह ग्रंथि मेटाबॉलिज्म से लेकर एनर्जी लेवल तक को कंट्रोल करने का काम करती है. थायरॉयड में सूजन और डैमेज होने पर इसका काम धीमा पड़ जाता है. इससे हाइपोथायराडिज्म हो सकता है और थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन घट जाता है. 

हाशिमोटो थायरॉयडिटिस के लक्षण
1. हाशिमोटो थायरॉयडिटिस  के लक्षण शुरू में आसानी से पता नहीं लगते. 
2. थायरॉयड ग्रंथि बढ़ने से गर्दन में भारीपन आ जाता है.
3. थकान महसूस होती है.
4. वजन कंट्रोल में नहीं रहता है.
5. ठंड ज्यादा लगती है.
6. स्किन ड्राई होने लगती है. 
7. कब्ज की समस्या होने लगती है. 
8. बाल पतले और कमजोर होने लगते हैं.
9. डिप्रेशन और चिंता.
10. चेहरे पर सूजन या इंफ्लेमेशन.
11. हाथों और जांघों की मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी.
12. इरेगुलर पीरियड्स.
13. धीमा हार्ट रेट.

इस बीमारी का क्या है इलाज
हाशिमोटो थायरॉयडिटिस बीमारी का कोई प्रॉपर इलाज नहीं है. हालांकि इसके लक्षणों के आधार पर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. शरीर में थायरॉयड हार्मोन की कमी को पूरा करने के लिए थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट मेडिसिन लिया जा सकता है. यह दवा शरीर में हार्मोन की कमी को पूरा करने का काम करती है. इससे वजन कंट्रोल में रहता है और शरीर में एनर्जी बनी रहती है. इस बीमारी को कंट्रोल में करने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करना चाहिए. हेल्दी डाइट लेनी चाहिए. डाइट में सेलेनियम, जिंक और आयोडिन से भरपूर चीजों को शामिल करना चाहिए. इसके अलावा नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराते रहना चाहिए. 

 

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