लुधियाना जिले के एक छोटे से गांव में 8 दिसम्बर 1935 में धरम सिंह देओल का जन्म हुआ था जिन्हें आज हम धर्मेंद्र के नाम से जानते हैं. धर्मेंद्र ने सीरियस फिल्में भी की हैं, कॉमेडी फिल्में भी की और एक्शन फिल्में भी की हैं और उन्होंने लगभग सभी हिरोइनों के साथ काम किया. इस तरह उन्हें फिल्मों में काम करते-करते लगभग 6 दशक हो चुके हैं. धर्मिंदर सिंह ने अपना प्रारंभिक जीवन साहनेवाल गांव में बिताया. उनकी पढ़ाई लुधियाना जिले के लालटन कलां में सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से हुई, जहां उनके पिता किशन सिंह देओल हेडमास्टर थे. बाद में उन्होंने 1952 में रामगढ़िया कॉलेज, फगवाड़ा से इंटरमीडिएट किया.
धर्मेंद्र को बचपन से ही फिल्मों का बड़ा शौक था. वो सिनेमाघरों तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर तक पैदल चलते थे. एक दिन सुरैया की फिल्म दिल्लगी देखकर धरम इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक्टिंग में ही करियर बनाने का फैसला कर लिया. धर्मेंद्र ने ये फिल्म 40 बार देखी थी और यहीं से उनके मन में हीरो बनने की आस जगी. धर्मेंद्र ने अपनी किताब Dharmendra,Not Just A He-Man जिसे राजीव विजयकर ने लिखा है में बताया कि उनके पिता नहीं चाहते थे कि वो फिल्मों में जाएं लेकिन उनकी मां उन्हें हमेशा सपोर्ट करती थीं. उन्हें ये चिंता नहीं थी कि वो थोड़ा पैसा कमाएंगे या बिल्कुल नहीं कमाएंगे. उनका सिंपल गोल था एक फ्लैट और फिएट कार. उन्होंने कहा कि जब वो मुंबई आए थे तो उन्हें एक्टिंग का कोई आइडिया नहीं था. उनको उनके गुड लुक्स की वजह से फिल्मों के ऑफर मिलने लगे.
कैसे शुरू हुआ फिल्मी सफर
धर्मेंद्र के पास मुंबई को रुकने और ठहरने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए धर्मेंद्र ने ड्रिलिंग फर्म में काम करना शुरू कर दिया. इस मामूली सी नौकरी से उन्हें महज 200 रुपए मिला करते थे. घर ना होने पर धर्मेंद्र एक गैरेज में सोया करते थे. फिल्मफेयर मैगजीन के न्यू टैलेंट अवॉर्ड में हिस्सा लेने के लिए देशभर के मंझे हुए नौजवान आए थे लेकिन इसके बावजूद भी बिना अनुभव वाले धरम ने इन सबको मात दे दी. इस कॉन्टेस्ट के विनर के लिए तय था कि जो जीतेगा उसे एक फिल्म दी जाएगी, लेकिन ये वादा कभी पूरा नहीं हुआ और फिल्म कभी नहीं बनी. काम की तलाश में धर्मेंद्र कई निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर काटने लगे और ये सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा. इसके बाद डायरेक्टर अर्जुन हिंगोरानी ने उन्हें दिल भी तेरा हम भी तेरे से ब्रेक दिया और धर्मेंद्र ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
मीना कुमारी से अफेयर
फूल और पत्थर धर्मेन्द्र के करियर की पहली बड़ी हिट फिल्म थी. इसमें उन्होंने शर्टलेस होकर दर्शकों को चौंका दिया, लेकिन इसके लिए उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी. फूल और पत्थर की शूटिंग के दौरान फिल्म अभिनेत्री मीना कुमारी से उनकी नजदीकियां चर्चा का विषय रहीं. मीना कुमारी के साथ रहते हुए उन्हें शायरी का शौक भी लगा. धर्मेंद्र के करियर को आगे बढ़ाने में मीना कुमारी का बहुत बड़ा हाथ था. इसका कारण ये था कि मीना कुमारी, धर्मेंद्र से बहुत ज्यादा प्यार करती थीं. इस बेहतरीन जोड़ी ने पूर्णिमा, काजल, फूल और पत्थर, मंझली दीदी जैसी बेहतरीन फिल्में दीं.
धर्म बदलकर की शादी
जब धर्मेंद्र और हेमा-मालिनी की शादी हुई, उस समय हेमा मालिनी हिंदी फिल्मों की नंबर-वन हीरोइन थीं. धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने शादी से पहले एक दर्जन से भी ज्यादा फिल्मों में साथ काम किया. धर्मेंद्र पहले से ही शादी-शुदा थे, लेकिन वह ड्रीमगर्ल के लिए सारे बंधन तोड़कर आगे बढ़ गए. धर्मेंद्र और हेमामालिनी ने सबसे पहले एक साथ काम किया 1970 की फिल्म तुम हंसी मैं जवां में. इसके बाद दोनों की नजदीकियां बढ़ती गईं. इसके बाद सीता-गीता, प्रतिज्ञा और शोले जैसी फिल्मों में काम किया. इस समय दोनों का प्यार परवान चढ़ चुका था. दोनों के परिवार वाले इसके लिए राजी नहीं थे लेकिन फिर हेमामालिनी के पिता की मौत के बाद दोनों ने एक दिन शादी कर ली.उन्होंने धर्म परिवर्तन करके हेमामालिनी से शादी की. उन्होंने 2 मई, 1980 को हेमा से शादी की. हेमा मालिनी और धर्मेंद्र की दो बेटियां हैं, जिनका नाम ईशा और अहाना है. बता दें कि हेमामालिनी से पहले धर्मेंद्र की शादी प्रकाश कौर से हुई थी जिनसे उन्हें 4 बच्चों सनी, बॉबी, विजेता और लल्ली (अजीता) हैं.