सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक: अब UA 7+, UA 13+ और UA 16+ कैटेगरीज में भी दिया जाएगा सेंसर सर्टिफिकेट, इस बिल से फिल्म इंडस्ट्री को कितना फायदा होगा?

नए कानून के मुताबिक अब फिल्म पायरेसी करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की जेल और फिल्म की लागत का 5% जुर्माना लगेगा. यानी अगर किसी फिल्म की लागत 100 करोड़ रुपए है तो उस फिल्म की पायरेसी करते पकड़े जाने पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.

Cinematograph (Amendment) Bill, 2023
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 9:05 PM IST

राज्यसभा में सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 (Cinematograph Act 1952 ) संशोधित विधेयक पारित हो गया. ये एक्ट सेंसरशिप के तरीके को बदलने के साथ-साथ फिल्म पायरेसी पर रोक लगाता है. नए कानून के मुताबिक अब फिल्म पायरेसी करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की जेल और फिल्म की लागत का 5% जुर्माना लगेगा. यानी अगर किसी फिल्म की लागत 100 करोड़ रुपए है तो उस फिल्म की पायरेसी करते पकड़े जाने पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. पाइरेसी से फिल्म इंडस्ट्री को करीब 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.

तीन नई कैटेगरी में सर्टिफिकेशन
इस बिल में कुछ नई कैटेगरी जैसे UA 7+, UA 13+ और UA 16+ को शामिल किया गया है. अब फिल्मों को UA सर्टिफिकेशन के तहत 7 साल, 13 साल और 16 साल के दर्शकों के लिए अलग-अलग सर्टिफाइड किया जाएगा. यानि कि इस आयु सीमा से कम उम्र के बच्चे माता-पिता के साथ ऐसी फिल्में देख सकते हैं. पहले केवल तीन कैटेगरी में फिल्मों को बांटा जाता था. पहला U यानी कि इसे सभी लोग देख सकते हैं. दूसरा  UA यानी बच्चे अपने माता-पिता के साथ फिल्म देख सकते हैं. तीसरा है A यानी फिल्म को सिर्फ वही लोग देख सकते हैं, जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा है.

पायरेसी पर तीन साल की जेल
नया बिल फिल्म इंडस्ट्री के जानकारों के साथ परामर्श के बाद तैयार किया है. इस विधेयक में फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग (धारा 6एए) और उनके प्रदर्शन (धारा 6एबी) पर रोक लगाने के प्रावधानों के साथ सिनेमैटोग्राफ एक्ट में नई धाराएं जोड़ने का प्रस्ताव है. विधेयक में पायरेसी को दंडनीय अपराध बनाने का प्रावधान भी किया गया है. इसमें दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की कैद या 10 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. 

हमेशा के लिए मान्य होगा सेंसर सर्टिफिकेट
नए बिल में फिल्म सेंसरशिप को आसान बनाने के लिए कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया गया है. नए बिल के बाद सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट हमेशा के लिए मान्य होगा. फिलहाल किसी फिल्म को 10 साल के लिए सेंसर प्रमाण पत्र दिया जाता है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) से अब टीवी कॉन्टेंट को लेकर भी सर्टिफिकेशन लेना होगा. इस तरह फिल्म निर्माता और प्रसारक बिना किसी कानूनी समस्या के अपना कंटेंट दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं.

राज्यसभा की मंजूरी के बाद अब ये बिल आगे की चर्चा और मंजूरी के लिए संसद के निचले सदन लोकसभा में जाएगा. यदि इसे दोनों सदनों और राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाती है, तब यह कानून बन जाएगा. अगर ये कानून बन जाता है तो फिल्म पाइरेसी पर लगाम लगेगी. इससे इंडस्ट्री को होने वाला करोड़ों का नुकसान कम किया जा सकेगा.

 

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