दिव्या भारती एक ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने बहुत कम उम्र में बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई.उस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में देकर उस समय अन्य अभिनेत्रियों के लिए कड़ा कम्पटीशन खड़ा किया.उन्होंने तीन साल में 14 बॉलीवुड फिल्में करके प्रसिद्धि हासिल की. वह महज 19 साल की उम्र में दुनिया छोड़कर चली गईं.
दिव्या ने 90 के दशक में भारत में काफी लोकप्रियता हासिल की और हिंदी और तेलुगु फिल्मों में लगातार सफलता के साथ उन्होंने इंडस्ट्री में एक मजबूत मुकाम हासिल किया. दिव्या भारती ने अपनी शानदार एक्टिंग से सभी का दिल जीत लिया. 5 अप्रैल 1993 को दिव्या भारती की मौत हो गई और उनकी मौत से सभी सितारे सदमे में आ गए. किसी को कुछ समझ नहीं आया और दिव्या के अचानक निधन से सभी हैरान रह गए.
पढ़ाई में नहीं लगता था मन
साल 1990 में दिव्या ने अपने मासूम चेहरे और बेहतरीन एक्टिंग से ऑडियंस को अपनी दीवाना बना दिया था. दिव्या जब बॉलीवुड में आई थीं तब उनकी उम्र बहुत कम थी इसलिए लोग उन्हें डॉल कहते थे.दिव्या भारती का जन्म 25 फरवरी 1974 में हुआ था. दिव्या बचपन से ही चुलबुले स्वभाव वाली थीं. उन्हें पढ़ाई में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी. पड़ोस में रहने वाले निर्माता जब दिव्या के पास फिल्में लेकर आते तो वो अपनी मां से पूछती थीं कि क्या फिल्में करने से उनका पढ़ाई से पीछा छूट जाएगा. दिव्या ने 9वीं क्लास में पढ़ाई छोड़ दी.दिव्या किसी फिल्मी परिवार से नहीं थीं. पिता ओम प्रकाश भारती बीमा कंपनी में अधिकारी थे और मां मीता भारती गृहिणी थीं. पढ़ाई छोड़ने के बाद दिव्या ने 14 साल की उम्र में मॉडलिंग शुरू कर दी.
छीन ली गई थी फिल्म
कीर्ति कुमार ने दिव्या को फिल्म 'राधा का संगम' ऑफर की थी. इस फिल्म के लिए दिव्या को एक्टिंग और डांस की पूरी शिक्षा दी गई थी,लेकिन कुछ अनबन के चलते डायरेक्टर ने फिल्म में जूही चावला को साइन कर लिया. जब उनसे दिव्या को बाहर करने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दिव्या का व्यवहार बच्चों जैसा है और फिल्म बेहद गंभीर है.इसके बाद दिव्या ने तेलुगु फिल्म 'बोब्बिली राजा' से डेब्यू किया. यह फिल्म सुपरहिट रही और दिव्या को साउथ फिल्म इंडस्ट्री में सुपरस्टार बना दिया. इसके बाद दिव्या फिल्म नीला पन्ने में दिखीं.इन दो फिल्मों के बाद से ही दिव्या भारती की तुलना विजयशांति से होने लगी जिन्हें साउथ इंडस्ट्री की द लेडी ऑफ सुपरस्टार और लेडी अमिताभ कहा जाता था.
सनी देओल के साथ पहली फिल्म
फिर राजीव राय ने 1992 में रिलीज हुई विश्वात्मा में दिव्या को सनी देओल के अपोजिट कास्ट किया. इस फिल्म का गाना 'सात समुंदर पार' आज भी लोकप्रिय है.एक हफ्ते बाद ही दिव्या भारती की दूसरी फिल्म दिल का क्या कसूर रिलीज हुई. हालांकि ये फिल्म फ्लॉप हो गई. दिव्या भारती ने कहा कि वो खुद को साबित करना चाहती थी लेकिन अब उन्हें दोबारा चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि वो इस बात को लेकर पॉजिटिव हैं कि उन्हें एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी.इसी साल दिव्या डेविड धवन की फिल्म शोला और शबनम में गोविंदा के साथ नजर आईं. ये फिल्म दिव्या के करियर की पहली बड़ी हिट फिल्म थी. साल 1992 में ही दिव्या ने दीवाना,जान से प्यारा, दिल आशना है,बलवान, दिल ही तो है,दुश्मन जमाना,गीत जैसी कई फिल्में कीं.
साल 1992 में दिव्या की फिल्मों ने उन्हें शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया. शाहरुख खान ने दिव्या के साथ फिल्म 'दीवाना' से डेब्यू किया था. दोनों युवा कलाकारों को उस साल बेस्ट डेब्यू का अवॉर्ड मिला. उस वक्त दिव्या महज 18 साल की थीं. फिल्म जबरदस्त हिट हुई.
धर्म बदलकर की शादी
शोला और शबनम फिल्म की शूटिंग के दौरान दिव्या भारती और गोविंदा की अच्छी दोस्ती हो गई और उन्हीं ने दिव्या को साजिद नाडियाडवाला से मिलवाया था. पहले दिव्या और साजिद में दोस्ती हुई और बाद में प्यार. इसके बाद दोनों ने 10 मई 1992 गुपचुप शादी कर ली. साजिद से शादी करने से पहले दिव्या ने इस्लाम कबूल कर अपना सना नाम रख लिया था. मुंबई की तुलसी बिल्डिंग में हुई इस शादी में सिर्फ दिव्या की हेयरड्रेसर, दोस्त संध्या, संध्या का पति,काजी ही शामिल हुए थे.
लोगों को सपने में आती थीं
5 अप्रैल 1993 को 5वीं मंजिल से गिरने के बाद दिव्या भारती की मौत हो गई. कहा गया कि जिस वक्त दिव्या बालकनी से गिरीं उस वक्त वो शराब के नशे में थीं.पुलिस ने इसे हादसा मान 1998 में मौत की जांच से जुड़ा केस बंद कर दिया.दिव्या की मौत के बाद उनकी मां ने एक इंटरव्यू में बताया था कि दिव्या रोज उनके सपनों में आकर उन्हें जगाती थीं. मां के अलावा दिव्या की स्टोरी कवर कर रहीं पत्रकार वर्धा खान को भी कई महीनों तक दिव्या के सपने आते रहे. स्टोरी के सिलसिले में वर्धा की मुलाकात साजिद से हुई और साल 2000 में दोनों ने शादी कर ली.