Oppenheimer: दुनिया को पहला परमाणु बम देने वाले वैज्ञानिक J Robert Oppenheimer के बारे में कितना जानते हैं आप?

J Robert Oppenheimer: जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर पर ही एक ब्लॉकबस्टर बायोपिक ओपेनहाइमर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. ऐसे में परमाणु बम और उसके जनक को लेकर चर्चा तेज हो गई है. 

Oppenheimer
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST
  • गुप्त हथियार की रिसर्च के लिए किया था नियुक्त 
  • शिक्षा के क्षेत्र में कर चुके थे काम 

हर बार जब व्लादिमीर पुतिन न्यूक्लियर टकराव की आशंका जताते हैं, तो सभी की नजर एक आदमी की ओर ही जाती है, जिनका नाम है जे रॉबर्ट ओपेनहाइम (J Robert Oppenheimer). आज से 80 साल पहले जब जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने जब दुनिया का पहला परमाणु बम बनाने के लिए टीम बनाई थी तब किसी को नहीं पता था कि यह इतना नुकसान कर सकता है. दरअसल, 1942 में दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के दौरान जब मैनहट्टन प्रोजेक्ट की स्थापना हुई तो इसके पीछे डर था कि कहीं अमेरिका और उसके सहयोगी देश से पहले हिटलर के नाजी वैज्ञानिकों इसे ना बना लें.

अब जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर पर ही एक ब्लॉकबस्टर बायोपिक ओपेनहाइमर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. ऐसे में परमाणु बम और उसके जनक को लेकर चर्चा तेज हो गई है. 

गुप्त हथियार की रिसर्च के लिए किया था नियुक्त 

जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर को प्रोजेक्ट के मिलिट्री लीडर जनरल लेस्ली ग्रोव्स ने साइट वाई - लॉस एलामोस, न्यू मैक्सिको में एक गुप्त हथियार रिसर्च फैसिलिटी का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया था. हालांकि, कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि उन्हें उस वक्त उस प्रोजेक्ट को लीड करने के लिए नियुक्त न करने के पीछे सभी कारण थे. इसमें से सबसे बड़ा कारण था कि कम्युनिस्ट संगठनों के साथ उनके कथित जुड़ाव ने उन्हें एफबीआई का संदिग्ध बना दिया था.

कैसा रहा उनका बचपन?

दरअसल, 1906 में न्यूयॉर्क में एक यहूदी परिवार में जन्मे जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर अपने छात्र जीवन ने वामपंथ की ओर आकर्षित थे. इसका सबसे बड़ा कारण था कि जर्मनी के फासीवादी शासन ने उनके दोस्तों और रिश्तेदारों पर अत्याचार किया था और उन्हें भागने के लिए मजबूर किया था. 1920 के दशक में हार्वर्ड, कैम्ब्रिज और जर्मनी के गोटिंगेन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान, उन्हें "प्रयोगशाला में आपदा" यानि disaster in the laboratory के रूप में जाना जाता था.

शिक्षा के क्षेत्र में कर चुके थे काम 

इसके बाद डॉ. जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर को प्रिंसटन, एन.जे. में इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी के नए निदेशक के रूप में भी चुना गया. उन्होंने युद्ध से पहले और बाद में शिक्षा के क्षेत्र में काम किया था. हो सकता है कि वह लैब में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं पाए थे, लेकिन उन्होंने कैलिफोर्निया में एक यूनिवर्सिटी लेक्चरर के रूप में अपनी पहचान बनाई. वे मुश्किल से मुश्किल थ्योरी को भी आसानी से समझा दिया करते थे. 

प्रोफेसर मोंक के अनुसार, जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर को पता था कि हाइजेनबर्ग, दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक हैं और वे नाजी बम प्रोजेक्ट जो लीड कर रहे थे. इसे लेकर वे चिंतित थे कि वे पहले एटॉमिक बम न बना लें. 

1945 में हुआ था पहला परमाणु बम टेस्ट 

न्यू मैक्सिको में पहला परमाणु बम परीक्षण 16 जुलाई 1945 को हुआ था. इसके बाद ही जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने एक पंक्ति कही थी जो काफी  पॉपुलर है. ट्रिनिटी टेस्ट के बाद उन्होंने एक दार्शनिक और वैज्ञानिक के रूप में अपनी कुशाग्रता की याद दिलाते हुए एक पवित्र हिंदू पाठ का हवाला देते हुए कहा, "अब मैं दुनिया को नष्ट करने वाली मृत्यु बन गया हूं."

कुछ सप्ताह बाद ही इस एटॉमिक बम से बड़े पैमाने पर मौतें हुईं. 6 अगस्त को, हिरोशिमा पर लिटिल बॉय नामक यूरेनियम आधारित बम विस्फोट किया गया था; और दूसरा, फैट मैन, तीन दिन बाद नागासाकी पर गिराया गया था. इसका हश्र ये हुआ था की हिरोशिमा-नागासाकी दोनों शहर पहचानने लायक नहीं रहे थे. इसमें 200,000 लोग मारे गए और जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया था. 

अपने भाषण में क्या कहा था?

रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने नवंबर 1945 में लॉस अलामोस फैसिलिटी में अपना पद छोड़ दिया था. अपने विदाई भाषण में, उन्होंने कहा था, “मुझे लगता है कि यह कहना सही है कि परमाणु हथियार एक खतरा है जो दुनिया में हर किसी को प्रभावित करता है, और इस अर्थ में यह पूरी तरह से सामान्य समस्या है, नाजियों को हराने के लिए मित्र राष्ट्रों के लिए यह उतनी ही सामान्य समस्या थी. मेरा मानना ​​है कि इस आम समस्या से निपटने के लिए सामुदायिक जिम्मेदारी का पूरा एहसास होना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि कोई यह उम्मीद कर सकता है कि लोग समस्या के समाधान में योगदान देंगे जब तक कि वे समाधान में भाग लेने की अपनी क्षमता के बारे में जागरूक ही न हों.”

कैसा था पारिवारिक जीवन?

जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने 1940 में बायोलॉजिस्ट कैथरीन "किट्टी" ओपेनहाइमर (नी पुएनिंग) से शादी की. किट्टी की पहले तीन बार शादी हो चुकी थी. किट्टी और ओपेनहाइमर के दो बच्चे हुए जिसे 1941 में बेटा पीटर और 1944 में बेटी कैथरीन "टोनी" का जन्म हुआ. 

किट्टी से मिलने से पहले, रॉबर्ट ओपेनहाइमर मनोचिकित्सक और अमेरिकी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य जीन टैटलॉक (फ्लोरेंस पुघ) के साथ रिलेशन में थे. दोनों की मुलाकात 1936 में हुई थी, हालांकि जीन ने 1939 में अपना रिश्ता खत्म कर लिया था. 18 फरवरी 1967 को जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर की कैंसर के कारण मौत गई थी. 


 

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