Faces of Climate Resilience in India: पहाड़ों पर जल संकट दूर करने से लेकर गांव-शहर को बाढ़ से बचाने तक… डिज्नी-हॉटस्टार पर देखें क्लाइमेट हीरोज की अनोखी कहानियां 

इस पूरी डॉक्यूमेंट्री में 16 फिल्में हैं. ये सीरीज केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड समेत भारत के पांच सबसे ज्यादा जलवायु-संवेदनशील राज्यों की आवाजों को समेटे हुए है. ये डॉक्यूमेंट्री उन लोगों और समुदाय के बारे में है जो भारत में जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं.

Faces of Climate Resilience Series (Photo Credit: Shawn Sebastian/CEEW)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST
  • मिल चुके हैं कई अवार्ड 
  • देश के कई राज्यों की आवाज समेटे हुए हैं ये फिल्में 

अगर आप भी पर्यावरण को लेकर सीरीज और डॉक्यूमेंट्री देखना पसंद करते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है. डिज्नी-हॉटस्टार पर एक 16 फिल्मों वाली डॉक्यूमेंट्री सीरीज लॉन्च की गई है. फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस एक अवॉर्ड विनिंग डॉक्यूमेंट्री सीरीज है.

5 जुलाई से डिज्नी-हॉटस्टार पर इसकी स्ट्रीमिंग शुरू हो गई है. इन डॉक्यूमेंट्रीज को थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) ने इंडिया क्लाइमेट कोलैबोरेटिव, एडेलगिव फाउंडेशन और ड्रोकपा फिल्म्स के साथ मिलकर प्रोड्यूस किया है.

देश के कई राज्यों की आवाज समेटे हुए हैं ये फिल्में
दरअसल, 16 फिल्मों की ये सीरीज केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड समेत भारत के पांच सबसे ज्यादा जलवायु-संवेदनशील राज्यों की आवाजों को समेटे हुए है. ये डॉक्यूमेंट्री उन लोगों और समुदाय के बारे में है जो भारत में जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं. ये वो लोग हैं जो जलवायु संकट निपटने के लिए अलग-अलग उपाय कर रहे हैं. ये लोग बाढ़, चक्रवात, सूखे व जंगल में आग लगने जैसी आपदाओं का सामना करने के लिए ये उपाय कर रहे हैं.

मिल चुके हैं कई अवार्ड
कोच्चि स्थित फिल्म निर्माता शॉन सेबेस्टियन फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस के डायरेक्टर हैं. इस सीरीज को 2023 सीएमसीसी क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन अवार्ड ‘रेबेका बैलेस्ट्रा’ के साथ-साथ डॉक्यूमेंट्रीज विदाउट बॉर्डर इंटरनेशनल फेस्टिवल (USA) और अरावली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (भारत) में अवार्ड मिल चुके हैं. केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इसकी तारीफें हो रही हैं. इसका ट्रेलर हॉटस्टार पर देखा जा सकता है.

फिल्म में हुई है देश के अलग-अलग कोने के लोगों की बात
इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज में शामिल फिल्म ‘मंदाकिनी की आवाज’ बताती है कि कैसे उत्तराखंड में एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन लोगों को आपदा का सामना करने के लिए तैयार कर रहा है. वहीं ‘रिबिल्डिंग चेरूथोनी आफ्टर 2018’ डॉक्यूमेंट्री दिखाती है कि कैसे केरल का एक शहर बाढ़ और भारी बारिश से बचाव के लिए अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को जलवायु आपदाओं से सुरक्षित बना रहा है.

उत्तराखंड के युवा जल वैज्ञानिकों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री पहाड़ों पर जलसंकट को दूर करने के प्रयासों को दर्ज करती है. फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लोगों के निजी और सामूहिक प्रयासों की शक्ति को दर्शाती है. 

जलवायु संकट है हमारे समय की सच्चा
दरअसल, सीईईडब्ल्यू के अध्ययन बताते हैं कि देश के 75 प्रतिशत जिले जलवायु से जुड़ी चरम घटनाओं के लिए वल्नरेबल हैं. अब इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज की डिज्नी-हॉटस्टार पर स्ट्रीमिंग हो रही है. मिलन जॉर्ज जैकब जो सीईईडब्ल्यू के कम्युनिकेशंस स्पेशलिस्ट हैं ने इस सीरीज को लेकर बात की है. उन्होंने कहा, “जलवायु संकट हमारे समय की एक जीती-जागती सच्चाई है. दिल्ली से लेकर असम और केरल तक, सभी का ध्यान बाढ़ से निपटने पर केंद्रित हो गया है.

सीईईडब्ल्यू के विश्लेषण के अनुसार, 10 में से 8 भारतीय उन जिलों में रहते हैं, जहां जलवायु बहुत वल्नरेबल है. लगातार गर्म होती दुनिया में, ऐसी चरम मौसमी घटनाओं की संभावनाएं बढ़ेंगी, इसलिए इन्हें सहने की शक्ति यानी लचीलापन विकसित करना जरूरी है. इसकी प्रेरणा के लिए हमें कहीं दूर देखने की जरूरत नहीं है.”

मिलन जॉर्ज जैकब आगे कहते हैं, “फेसेस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस ने भारत के स्थानीय क्लाइमेट हीरोज की कहानियां और जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन लाने में उनकी कुशलता को दिखाया है. ये फिल्में बताती हैं कि सामूहिक प्रयासों को संगठित करना वास्तविक रूप से प्रभाव डाल सकता है.”

फेसेज ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस के डायरेक्टर शॉन सेबेस्टियन, कहते हैं, “जलवायु परिवर्तन को लेकर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. जलवायु संकट से उभर रही मांगों को पूरा करने के लिए उन कहानियों और उदाहरणों को खोजना होगा, जो लोगों को कदम उठाने के लिए प्रेरित करें. फेसस ऑफ क्लाइमेट रेजिलिएंस ने इन्हीं कहानियों को जुटाने का एक प्रयास किया है.”

दुनियाभर में हो रही है चर्चा

गौरतलब है कि पहली बार इन फिल्मों को 2022 में मिस्र में वैश्विक जलवायु सम्मेलन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP27) से पहले रिलीज किया गया था. अब तक ये फिल्में 40 से अधिक स्क्रीनिंग में शामिल हो चुकी हैं और 15 से अधिक भारतीय व अंतरराष्ट्रीय शहरों में चर्चाएं हो चुकी हैं.

 

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