दिल्ली में एक बार फिर से साहित्य के महाकुंभ 'साहित्य आजतक' का आगाज हो चुका है. 3 दिवसीय कार्यक्रम 22 नवंबर से शुरू होकर 24 नवंबर तक चलने वाला है. कार्यक्रम में कई बड़ी हस्तियां शुमार होने वाली हैं. शुक्रवार को पहले दिन ही भजन सम्राट अनूप जलोटा ने सरस्वती और गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की. अनूप जलोटा ने ऐसी सुरों की महफिल छेड़ी कि पूरा कार्यक्रम संगीतमय और भक्तिमय हो गया. अनूप जलोटा ने कई सारे भजन गाए. इसमें जग में सुंदर है दो नाम से लेकर रामलला से जुड़े भजन सुनाए.
बताया अपना सफर
कार्यक्रम में अनूप जलोटा ने अपने संगीत के सफर पर भी बात की. उन्होंने इस दौरान क्या-क्या समस्याएं आईं उनको लेकर बताया. अनूप जलोटा ने बताया कि अगर 5 साल चीजें रुक जातीं तो वे अभी जैसा गाते हैं उससे भी बेहतर गाते. साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी हम सीखते हैं वह आगे काम आता है.
वे कहते हैं, “मुझे दुख है कि मेरा नाम बहुत जल्दी हो गया था. तब मैं अपने पिता से संगीत सीख रहा था. वे मुझे सीरियस क्लासिकल म्यूजिक सिखा रहे थे. इस दौरान मेरी एल्बम अचानक हिट हुई. इसका नाम 'भजन संध्या' था. तभी से लोग मुझे भजन सम्राट कहने लगे."
अनूप जलोटा ने बताया कि तब उनकी उम्र केवल 27-28 साल थी जब वे फेमस हुए. वे अचानक से पूरी दुनिया में फेमस हो गए थे. ये मेरे अंदर दुःख है कि मुझे भगवान ने जल्द ही शोहरत दिला दी. अगर चीजें 5 साल थोड़ा और रुक जातीं तो जितना अच्छा वे अभी गाते हैं, उससे भी अच्छा गाते. लेकिन इसमें ईश्वर की मर्जी होती है.
पिता ने सिखाया संगीत
अनूप जलोटा ने बताया कि उन्होंने उनके पिता से संगीत की शिक्षा ली है. वे कहते हैं, “बचपन में जब मैं रियाज किया था तो पिता समझाते थे कि रोज रियाज करना कितना जरूरी है. जैसे तुम तीन दिन ना नहाओ तो तुम्हारे बदन से बदबू आने लगती है, ऐसी ही रियाज तीन दिन न करो तो तुम्हारे गाने से बदबू आने लगेगी.”
‘हर महीने करता हूं 20 प्रोग्राम’
“मेरे पिता जी अच्छे क्लासिकल सिंगर थे, भजन गाते थे. हम लोग 5 भाई-बहन हैं. लेकिन जब मेरे पिताजी रियाज करने बैठते थे तो केवल मैं बैठता था. वो समझ गए यही है जो बिगड़ा है, इसे सुधारना चाहिए, और फिर उन्होंने मुझे सिखाना शुरू किया. मैं 7 साल की उम्र से मंच पर गा रहा हूं. उस उम्र से मैं महीने में 20 प्रोग्राम कर रहा हूं. आज भी कर रहा हूं. मैंने 45 साल पहले 'ऐसी लागी लगन' रिकॉर्ड किया था. लेकिन आज भी लोग उसे उसी तरह सुनते हैं, जैसे तब सुनते थे. मेरा विश्वास था कि अच्छी कविता हो, अच्छी ट्यून हो, अच्छे भाव हो तो कभी भी वह गाना पुराना नहीं होगा. मैंने आज तक ये महसूस किया है, और मैं आज भी हर मंच पर उसे गाता हूं.”