Happy Birthday Yamini Krishnamurthy: भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी की वह कुशल नृत्यांगना जिन्हें मिले हैं भारत के तीनों सर्वोच्च नागरिक सम्मान

भारतीय क्लासिकल डांसर, यामिनी कृष्णमूर्ति को भारत के तीनों सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है.

Happy Birthday Yamini Krishnamurthy (Photo: Twitter)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:47 AM IST
  • सीखीं कई नृत्य कला
  • आता है वीणा बजाना भी

भारतीय नृत्यांगना, यामिनी कृष्णमूर्ति ने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश का नाम रोशन किया है. बचपन से ही डांस की दीवानी रही यामिनी ने अपना पूरा जीवन इस कला को समर्पित कर दिया. 20 दिसंबर, 1940 को मदनपल्ले, आंध्र प्रदेश में जन्मीं यामिनी भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी और अन्य शास्त्रीय भारतीय शैलियों के लिए जानी जाती हैं.  

यामिनी जन्म से भले ही तेलुगु हैं लेकिन उनका पालन-पोषण तमिलनाडु में हआ. बहुत कम उम्र में वह अपने परिवार के साथ तमिलनाडु आ गई थीं. बताते हैं कि शिव मंदिर में नटराज की मूर्ति को देखकर वह मंत्रमुग्ध हो गईं थीं और घर में डांस सीखने की इच्छा जाहिर की. उन्होंने बहुत कम उम्र से भरतनाट्यम में अपना प्रशिक्षण शुरू किया. 

सीखीं कई नृत्य कला 
यामिनी ने रुक्मिणी देवी अरुंडेल्स कलाक्षेत्र में नृत्य सीखना शुरू किया. क्लासिकल डांस फॉर्म सीखने के लिए यह एक प्रमुख स्कूल है. बुनियादी कौशल में महारत हासिल करने के बाद, वह कांचीपुरम एलप्पा पिल्लई और तंजावुर किट्टप्पा पिल्लई जैसे प्रसिद्ध नर्तकियों के अधीन सीखने गईं. 

साल 1957 में मद्रास (अब चेन्नई) में अपनी शुरुआत के बाद, कृष्णमूर्ति जल्दी ही भारत के नृत्य परिदृश्य में एक उभरता हुआ सितारा बन गईं. अपनी एक शिक्षिका के आग्रह पर, उन्होंने कुचिपुड़ी करना शुरू किया. यह थोड़ा तेज़, लेकिन बहुत ही सहज नृत्य कला है. बाद में, उन्होंने पंकज चरण दास और केलुचरण महापात्र से ओडिसी सीखा. 

आता है वीणा बजाना भी 
नृत्य के अलावा, यामिनी ने कर्नाटक वोकल म्यूजिक और वीणा, एक प्रकार का तार वाद्य का भी प्रशिक्षण लिया. अपनी विविध रुचियों के बावजूद, कृष्णमूर्ति ने मुख्य रूप से भरत नाट्यम और कुचिपुड़ी पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखा. उन्होंने देश और विदेश में इन नृत्य रूपों को लोकप्रिय बनाया. साल 1990 में उन्होंने दिल्ली में अपना खुद का डांस स्टूडियो, यामिनी स्कूल ऑफ़ डांस खोला. 

यामिनी को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अस्थाना नर्तकी (निवासी नर्तकी) होने का सम्मान प्राप्त है. साथ ही, वह कुचिपुड़ी नृत्य के "मशाल वाहक" (Torchbearer) के रूप में भी जानी जाती थीं. साल1995 में उन्होंने अपनी आत्मकथा (रेणुका खांडेकर के साथ), ए पैशन फॉर डांस प्रकाशित की थी. यामिनी के लिए उनका नृत्य सबकुछ रहा और इसलिए उन्होंने कभी शादी भी नहीं की. 

मिले हैं तीनों सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
बहुआयामी कलाकार, कृष्णमूर्ति को उनके काम के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें पद्म श्री (1968), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1977), पद्म भूषण (2001) और पद्म विभूषण (2016) शामिल हैं. उन्हें भारत गणराज्य के तीनों सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार मिले हैं. 

 

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