FilmyFriday Junior Mehmood: सबसे महंगी कार से चलते थे एक्टर... एक दिन में कमाते थे पिता की सैलरी से 10 गुना ज्यादा, खुद महमूद ने दिया अपना नाम

जूनियर महमूद यानी नईम सैय्यद का जन्म 15 नवम्बर 1956 को हुआ था. उन्हें बचपन से ही फिल्मी दुनिया आ​कर्षित करती थी. वे अक्सर कई कलाकारों की मिमिक्री करते थे.जूनियर महमूद बड़े भाई फिल्म सेट पर फोटोग्राफी का काम करते थे.

Junior Mehmood
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

दिग्गज अभिनेता नईम सैय्यद, जिन्हें जूनियर महमूद के नाम से जाना जाता था का शुक्रवार को 67 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया. अभिनेता को प्रसिद्धि तब मिली जब उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू किया. इस दौरान जाने-माने कॉमेडियन महमूद ने उन्हें जूनियर महमूद का नाम दिया और वो लोकप्रिय हो गए. महमूद उस समय के सबसे लोकप्रिय हास्य कलाकारों में से एक थे और 1968 की फिल्म सुहाग रात में एक साथ काम करने के बाद उन्होंने नईम को अपना शिष्य बना लिया. 

जूनियर महमूद ने हाथी मेरे साथी, कारवां, कटी पतंग, मेरा नाम जोकर, परवरिश और दो और दो पांच सहित कई हिट फिल्मों में काम किया. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में 1967 में रिलीज हुई फिल्म 'नौनिहाल' से की थी. जिसके बाद उन्होंने करीब 250 से अधिक फिल्मों में काम किया.

छह भाई बहनों में तीसरे नंबर के थे
जूनियर महमूद की पैदाइश और परवरिश एक बहुत ही साधारण परिवार में हुई. उनका जन्म 15 नवंबर 1956 को मुंबई की वडाला रेलवे कालोनी में हुआ था. उनके पिता मसूद अहमद सिद्दीकी रेलवे में इंजन ड्राइवर का काम किया करते थे. उन्होंने ने उनका नाम मोहम्मद नईम सैय्यद रखा था. छह भाई बहनों में नईम तीसरे नंबर के थे. उनके दो भाइयों का इंतकाल हो चुका है. जूनियर  महमूद के इंतकाल के बाद अब उनके परिवार में एक भाई और दो बहने हैं.

महमूद ने गोद लिया था
जूनियर महमूद ने अमर उजाला को दिए अपने एक इंटरव्यू में कॉमेडिन महमूद के साथ अपने संबंधों के बारे में बात की. नईम महमूद को 'भाईजान' कहकर पुकारते थे. नईम पहली बार महमूद के घर उनकी बेटी के पहले जन्मदिन पर गेस्ट के तौर पर गए थे. नईम ने कहा, “मुझे महमूद के साथ फिल्म सुहाग रात में उनके जीजा की भूमिका में काम करने का मौका मिला. उस फिल्म की शूटिंग के दौरान हम काफी फ्रेंडली हो गए थे.' यह उनकी बेटी का पहला जन्मदिन था जब उन्होंने पूरी यूनिट को अपने घर पर आमंत्रित किया था और मैं भी गया.'' नईम ने वहां भाईजान के गाने 'काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं' पर डांस किया. वहां दिलीप कुमार साहब को छोड़कर इंडस्ट्री के सभी दिग्गज कलाकर थे. भाईजान ने खुशी से महमूद को अपनी गोद में उठा लिया और पिताजी (जूनियर महमूद के पिता) से बोले, ‘इस लड़के को मेरे निगरानी में छोड़ दो.

महमूद ने अगले दिन मुझे (जूनियर महमूद) को दादर स्थित रंजीत स्टूडियो बुलाया और मेरे हाथ पर गंडा बांधकर अपना शागिर्द बना लिया और अपना नाम दिया. यहीं से मुझे लोग जूनियर महमूद कहकर बुलाने लगे.

कैंसर से पीड़ित थे एक्टर
जूनियर महमूद काफी वक्त से पेट के कैंसर से पीड़ित थे. उन्हें स्टेज-4 का कैंसर था. उनका इलाज मुंबई में स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल से चल रहा था. पिछले 2 महीनों से उनकी हालत ज्यादा बिगड़ने लगी थी और वजन भी काफी कम हो गया था. मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर उनके लीवर और फेफड़ों में भी फैल गया था. पेट की आंत में भी ट्यूमर बन गया था. आखिर में उन्हें जॉन्डिस भी हो गया था. बीते दिनों कई एक्टर्स उनसे मिलने आ रहे थे. जॉनी लीवर ने बीते कुछ दिनों पहले उनकी तबियत के बारे में जानकारी दी थी. वहीं जीतेंद्र और सचिन पिलगांवकर ने भी उनके घर पहुंच कर एक्टर का हाल-चाल लिया था. आखिर में कल रात उन्होंने अपनी आखिरी सांसे लीं.

पहली फिल्म के मिले थे पांच रुपये
जूनियर महमूद फिल्म कितना नाज़ुक है दिल की शूटिंग देखने अपने भाई के साथ गए थे. कॉमेडियन जॉनी वॉकर इसमें काम कर रहे थे. शूटिंग के दौरान फिल्म का बाल कलाकार बार-बार अपनी लाइनें भूल जा रहा था. इस बीच जूनियर के मुंह से निकल गया, 'अमां, इतनी सी लाइन नहीं बोल पा रहा और आ गया एक्टिंग करने.’फिल्म के निर्देशक ने सुना और जूनियर महमूद को वहीं लाइनें बोलने के लिए कहा. जूनियर महमूद ने वो लाइनें बोलीं और एक ही टेक में शॉट ओके हो गया. लोगों ने तालियां बजाई और इस छोटे से रोल के लिए उन्हें पांच रुपये मिले. उस समय जूनियर महमूद सिर्फ आठ साल के थे और उस जमाने में पांच रुपये बहुत बड़ी रकम होती थी.

यूं शुरू हुआ फिल्मी सफर
जूनियर महमूद ने साल 1968 में शम्मी कपूर और मुमताज के साथ फिल्म 'ब्रह्मचारी' में काम किया. उनकी सारी फिल्में सिल्वर जुबली रहीं जिनमें दो रास्ते, आन मिलो सजना, कटी पतंग, हाथी मेरे साथी और 'कारवां' जैसी कई फिल्मों के नाम शामिल हैं. जिस समय जूनियर महमूद के पिता को रेलवे की नौकरी से 320 रुपये एक महीने के मिलते थे. उस समय महमूद एक दिन के तीन हजार रुपये लेते थे. उन्होंने कई मराठी और हिन्दी फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया. जूनियर महमूद ने अपने जमाने में राज कपूर को छोड़ कर लगभग सभी सुपरस्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर किया था. उस समय जूनियर महमूद का स्टारडम इतना ज्यादा था कि वह तब सेट पर उस समय की सबसे महंगी कार अंपाला से आया करते थे. तब वह कार मुंबई में महज चंद लोगों के पास ही होती थी.

 

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