“खबरें कहां गयीं? कोई खबर दिख ही नहीं रही है. जो हमारी कवरेज होगी वो अन्य मीडिया से बहुत अलग होगी. हर कोई को जानना चाहिए कि हां हम पत्रकार हैं. एक महिला पत्रकार और किस तरह की पत्रकारिता हमने की है. मेरा दिल हौसला देता है मेरे लिए.” ये डायलॉग है खबर लहरिया का, जिस फिल्म को ऑस्कर के नॉमिनेशन के लिए चुना गया है.
रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष के डायरेक्शन में बनी डॉक्यूमेंट्री ‘राइटिंग विद फायर’ को 94वें एकेडमी अवार्ड्स की डॉक्यूमेंट्री फीचर केटेगरी में चुना गया है. इसे ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है. इस फिल्म को 138 फिल्मों के पूल चुना गया है. बता दें, 15 फिल्मों को शॉर्टलिस्ट किया गया है. इस केटेगरी में असेंशन (Ascension), प्रोसेशन (Procession), समर ऑफ सोल (Summer of Soul), द वेलवेट अंडरग्राउंड जैसी डाक्यूमेंट्री शामिल हैं.
इसकी वोटिंग 27 जनवरी से शुरू होगी और रिजल्ट 8 फरवरी तक घोषित किए जाएंगे. आपको बता दें, 94वें ऑस्कर पुरस्कार 27 मार्च को लॉस एंजिल्स में होंगे.
क्या है इसकी कहानी?
दरअसल ये फीचर डॉक्यूमेंट्री खबर लहरिया के बारे में है. खबर लहरिया 2002 से दलित महिलाओं द्वारा चलाया जाने वाला भारत का एकमात्र और अपनी तरह का पहला ग्रामीण अखबार है. इसे बुंदेलखंड क्षेत्र के चित्रकूट से दिल्ली स्थित एनजीओ निरंतर द्वारा शुरू किया गया है. यह बुंदेली और अवधी सहित हिंदी की ग्रामीण बोलियों में पूरे उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रकाशित होता है. इस फिल्म में हाल के वर्षों में खबर लहरिया के प्रिंट से डिजिटल में स्विच होने को कैप्चर किया गया है. इसमें मीरा और उनकी पत्रकार साथियों को दिखाया गया है जो स्मार्टफोन चलाना सीख रही हैं.
इसमें देश की इन महिलाओं को अपने घरों की सीमा के भीतर परंपराओं को तोड़ते हुए दिखाया गया है. ये पत्रकार पितृसत्ता और शक्ति को फिर से परिभाषित करने की धारणा पर सवाल था रही हैं. फिल्म के ट्रेलर में महिलाओं द्वारा स्थानीय पुलिस-बल की अक्षमता की जांच करते हुए दिखाया गया है, इसके साथ वे जाति और लिंग आधारित हिंसा के शिकार लोगों को सुनकर रिपोर्ट कर रही हैं.
सोशल मीडिया पर देखी महिलाओं की तस्वीर: डायरेक्टर
डायरेक्टर रिन्तु थॉमस कहती हैं, “हमने इस फिल्म के लिए केरैक्टर को फॉलो किया और फिर करीब से उनकी रिपोर्टिंग देखी. हमने उन्हें एक ऐसे जर्नलिस्टिक ब्रांड को बढ़ाते हुए देखा जो समानता, आजादी और न्याय पर निर्भर है.”
वहीं फिल्म के को-डायरेक्टर सुष्मित घोष कहते हैं, “2015 उन्होंने इंटरनेट पर कुछ महिलाओं की तस्वीर देखी, जिन्होंने रंग-बिरंगी साड़ी पहनी थी और उनके हाथ में अख़बार था. इस अख़बार पर खबर लेहरिया लिखा था. ये सभी अलग-अलग इलाकों में जाकर अख़बार बांट रही थीं. इन्हीं तस्वीरों ने हमें इन तक पहुंचने में मदद की.”
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