Irrfan Khan Best Dialogues: 7 जनवरी 1967 को जन्मे इरफान खान अगर आज होते तो 55वां जन्मदिन मना रहे होते. होते...नहीं नहीं...वो हम सबके बीच ही हैं. हम सबके दिलों में जिंदा हैं. ऐसा लगता है कि वो हमारे आसपास ही हैं. बस पर्दे पर एक डायलॉग बोलेंगे और हमारी, आपकी...हम सबकी तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सिनेमा हॉल गूंज उठेगा. एक जिंदादिल इंसान जिसने दी तो सिर्फ मोहब्बत, की तो सिर्फ मोहब्बत, बांटी तो सिर्फ मोहब्बत...यूं ही नहीं लोग इरफान से मोहब्बत करते हैं. एक ऐसा इंसान जिसने न सिर्फ एक्टिंग बल्कि अपने स्वभाव से भी लोगों के दिलों में जगह बनाई. उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर पढ़िये वो चुनिंदा डायलॉग्स जो फैंस खूब पसंद करते हैं.
इरफान खान की फिल्म जज्बा (irrfan khan dialogues jazbaa) का एक जबरदस्त डायलॉग है-"जिंदगी सबको ईमान बचाकर जीने की लग्जरी नहीं देती है...ना ही सही या गलत में सही चुनने की आजादी. जिंदगी बार-बार आपको ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा करती है जहां ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि जान बचाएं या ईमान". ये भले फिल्म का डायलॉग है लेकिन आम जीवन में ये लोगों पर शायद काफी सटीक बैठता है. एक आम आदमी के साथ कई बार कुछ ऐसी ही परिस्थिति उसकी जिंदगी में कई बार आती हैं.
इरफान खान ने एक ऐड किया था जिसमें वे अपनी फैक्ट्री के लगे केबिन में आकर बैठते हैं. फैकट्री में काम करने वाला एम्प्लॉय आकर कहता है-"सर ये नया प्रोजेक्ट न... डिफिकल्ट लग रहा है". इस पर इरफान पूछते हैं-"क्या". एम्प्लॉय कहता है-"नए प्रोजेक्ट की बात कर रहा हूं सर". इरफान पूछते हैं-"नहीं वो वर्ड...". कर्मचारी कहता है-"डिफिकल्ट". इरफान पूछते हैं-"वो क्या होता है". कर्मचारी कहता है-"सर क्या आपने पहले कभी डिफिकल्ट वर्ड नहीं सुना". इरफान बोलते हैं-"ये सुना होता न तो मैं आज तक समोसे की दुकान पर समोसे बना रहा होता. ये फैक्ट्री खड़ी नहीं की होती. मैं वही सुनता हूं जिससे मेरे इरादे मजबूत होते हैं". इसके बाद इरफान कुर्सी से उठकर चल देते हैं.
पहले इसे पढ़िये-"हैलो भाइयों बहनों, नमस्कार...मैं इरफान खान, मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी. मेरे शरीर के अंदर कुछ Unwanted(अनचाहे) मेहमान बैठे हुए हैं. उनसे वार्तालाप चल रही है. देखते हैं किस करवट ऊंट बैठता है. जैसा भी होगा, आपको इत्तला कर दी जाएगी. कहावत है कि When life gives you a lemon, you make a lemonade(जब जीवन आपको एक नींबू देती है, तो आप नींबू पानी बनाते हैं). बोलने में अच्छा लगता है, लेकिन सच में जब जिंदगी आपके हाथ में नींबू थमाती है ना तो शिकंजी बनाना बहुत मुश्किल हो जाता है. लेकिन आपके पास और चॉइस भी क्या होती है पॉजिटिव रहने के अलावा. इस हालात में नींबू की शिकंजी बना पाते हैं या नहीं ये आप पर है''.
दरअसल, ये इरफान खान की जिंदगी का आखिरी संदेश था जो उन्होंने अस्पताल से रिकॉर्ड करके भेजा था. इसके बाद हम उनकी आवाज कभी नहीं सुन सके. संदेश के बीच उन्होंने अपनी फिल्म अंग्रेजी मीडियम का जिक्र किया था. इसके कुछ वक्त बाद उनका मुंबई में निधन हो गया था.
इरफान ने बॉलीवुड में लंबा संघर्ष किया और बड़ा मुकाम हासिल किया. फर्श से अर्श तक पहुंचने वालों में अपना नाम दर्ज कराया. इरफान भले हमारे बीच नहीं हैं लेकिन जिस तरह के जिंदादिल इंसान इरफान थे और अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में जो जगह बनाई, उससे वे हम सबके बीच हंसते खिलखिलाते जिंदा रहेंगे.